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भ्रष्टाचार के भवन को कौन गिराएगा, किसकी हिम्मत है?
By लोकमत समाचार सम्पादकीय
सुपरटेक द्वारा निर्मित नोएडा के दो संयुक्त टॉवरों का गिराया जाना अपने आप में ऐतिहासिक घटना है। पहले भी अदालत के आदेशों और सरकारों के अपने हिसाब से कई इमारतें भारत के विभिन्न प्रांतों में गिराई गई हैं लेकिन जो इमारतें कुतुबमीनार से भी ऊंची हों और जिनमें 7000 लोग रह सकते हों, उनको अदालत के आदेश पर गिराया जाना सारे भ्रष्टाचारियों के लिए एक कड़वा सबक है। ऐसी गैरकानूनी इमारतें सैकड़ों-हजारों की संख्या में सारे भारत में खड़ी कर दी गई हैं। नेताओं और अफसरों को रिश्वतों के दम पर ऐसी गैरकानूनी इमारतें खड़ी करके मध्यमवर्गीय ग्राहकों को अपने जाल में फंसा लिया जाता है। वे अपना पेट काटकर किश्तें भरते हैं और बाद में उन्हें बताया जाता है कि जो फ्लैट उनके नाम किया गया है, अभी उसके तैयार होने में काफी वक्त लगेगा।
लोगों को निश्चित अवधि के दस-दस साल बाद तक उनके फ्लैट नहीं मिलते हैं। इतना ही नहीं, नोएडा में बने कई भवन ऐसे हैं, जिनके फ्लैटों में बेहद घटिया सामान लगाया गया है। ये भवन ऐसे हैं जिन्हें गिराने की भी जरूरत नहीं है। वे अपने आप ढह जाते हैं, जैसे कि गुड़गांव का एक बहुमंजिला भवन कुछ दिन पहले ढह गया था। नोएडा के ये संयुक्त टॉवर सफलतापूर्वक गिरा दिए गए हैं लेकिन भ्रष्टाचार के जिन टॉवरों के दम पर ये टॉवर खड़े किए गए हैं, उन टॉवरों को गिराने का कोई समाचार अभी तक सामने नहीं आया है। जिन नेताओं और अफसरों ने ये गैरकानूनी निर्माण होने दिए हैं, उनके नामों की सूची उ.प्र. की योगी सरकार द्वारा तुरंत जारी की जानी चाहिए। उन नेताओं और अफसरों को अविलंब दंडित किया जाना चाहिए। उन अधिकारियों को तुरंत जेल भेजा जाए। ईंट-चूने के गैर-कानूनी भवनों को गिराना तो बहुत सराहनीय है, लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है- भ्रष्टाचार के भवन को गिराना! किसकी हिम्मत है, जो इसको गिराएगा?
Rani Sahu
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