सम्पादकीय

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: नोट से वोट और वोट से नोट कमाना ही देश के राजनीति का है मूल मंत्र, कोई पार्टी-नेता नहीं कर सकता है भ्रष्टाचार-मुक्त का दावा

Rani Sahu
30 July 2022 5:16 PM GMT
वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: नोट से वोट और वोट से नोट कमाना ही देश के राजनीति का है मूल मंत्र, कोई पार्टी-नेता नहीं कर सकता है भ्रष्टाचार-मुक्त का दावा
x
प. बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की सरकार भयंकर दुर्गति को प्राप्त हो गई है

By लोकमत समाचार सम्पादकीय

प. बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की सरकार भयंकर दुर्गति को प्राप्त हो गई है. कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि ममता बनर्जी की सरकार इतने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार कर सकती है
उनके उद्योग और व्यापार मंत्री पार्थ चटर्जी को पहले तो जांच निदेशालय ने गिरफ्तार किया और फिर उनके निजी सहायकों, मित्रों और रिश्तेदारों के घरों से जो नकद करोड़ों रु. की राशियां पकड़ी गई हैं, उन्हें टीवी चैनलों पर देखकर दंग रह जाना पड़ता है.
पार्थ चटर्जी के कई फ्लैटों पर छापे पड़ना अभी बाकी है
अभी तो उनके कई फ्लैटों पर छापे पड़ना बाकी हैं. पिछले एक सप्ताह में जो भी नकदी, सोना, गहने आदि छापे में मिले हैं, उनकी कीमत 100 करोड़ रु. से भी ज्यादा है.
यदि जांच निदेशालय के चंगुल में उनके कुछ अन्य मंत्री भी फंस गए तो यह राशि कई अरब तक भी पहुंच सकती है. उनकी गिरफ्तारी के छह दिन बाद तक उनके खिलाफ पार्टी ने कोई कार्रवाई नहीं की.
देश में बदनामी के बाद टीएमसी ने पार्थ चटर्जी को किया बर्खास्त
तृणमूल के नेता भाजपा सरकार पर प्रतिशोध का आरोप लगाते रहे. अब जबकि सारे देश में ममता सरकार की बदनामी होने लगी तो कुछ होश आया और पार्थ चटर्जी को मंत्रीपद तथा पार्टी की सदस्यता से बर्खास्त किया गया है.
पार्टी प्रवक्ता कह रहे हैं कि जांच में वे खरे उतरेंगे, तब उनको उनके सारे पदों से पुनः विभूषित कर दिया जाएगा.
देश का कोई पार्टी-नेता नहीं कर सकता भ्रष्टाचार-मुक्त का दावा
यह मामला सिर्फ तृणमूल कांग्रेस के भ्रष्टाचार का ही नहीं है. देश की कोई भी पार्टी और कोई भी नेता यह दावा नहीं कर सकता कि वे भ्रष्टाचार-मुक्त हैं. भ्रष्टाचार के बिना यानी नैतिकता और कानून का उल्लंघन किए बिना कोई भी व्यक्ति वोटों की राजनीति कर ही नहीं सकता. रुपयों का पहाड़ लगाए बिना आप चुनाव कैसे लड़ेंगे?
नोट से वोट और वोट से नोट कमाना ही राजनीति है
अपने निर्वाचन-क्षेत्र के पांच लाख से 20 लाख तक के मतदाताओं को हर उम्मीदवार कैसे पटाएगा? नोट से वोट और वोट से नोट कमाना ही अपनी राजनीति का मूल मंत्र है.
नोट-वोट की राजनीति में कई सीएम भी जा चुके है जेल
इसीलिए हमारे कई मुख्यमंत्री तक जेल की हवा खा चुके हैं. नोट और वोट की राजनीति विचारधारा और चरित्र की राजनीति पर हावी हो गई है. यदि हम भारतीय लोकतंत्र को स्वच्छ बनाना चाहते हैं तो राजनीति में या तो आचार्य चाणक्य या प्लेटो जैसे 'दार्शनिक नेता' लोगों को ही प्रवेश दिया जाना चाहिए.
वरना आप जिस नेता पर भी छापा डालेंगे, वह आपको कीचड़ से सना हुआ मिलेगा.
Rani Sahu

Rani Sahu

    Next Story