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- राष्ट्र की अभिव्यक्ति...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 मई को यूरोप के तीन देशों की यात्रा के पहले चरण में जब जर्मनी पहुंचे तो इस दौरान लोग वंदे मातरम् के नारे लगाते नजर आए। 'वंदे मातरम् ही स्वतंत्रता के लिए देश के संघर्ष के दौरान भारतीय क्रांतिकारियों और राष्ट्रवादी नेताओं का मूल गीत था। इसने कई युवा, पुरुषों और महिलाओं को उत्साहित और प्रेरित किया जो समय की देशभक्ति भावनाओं में घिरे हुए थे। उनकी मातृभूमि की सेवा में अपनी आत्माओं को समर्पित करते थे। प्रसिद्ध उपन्यासकार बंकिम चंद्र चटर्जी ने 1875 में वंदे मातरम् गीत की रचना बंगाली भाषा में की थी। बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 7 नवंबर, 1876 ईस्वी में बंगाल के कांतल पाडा नामक गांव में इस गीत की रचना की थी, जिसे उन्होंने अपने 1882 के बंगाली उपन्यास आनंदमठ में शामिल किया था। वंदे मातरम् शीर्षक का अर्थ है 'मां! मैं आपके सामने नतमस्तक होता हूं या 'मैं आपके सामने नतमस्तक होता हूं, मां। आनंदमठ की कहानी 1772 में पूर्णिया, दानापुर और तिरहुत में अंग्रेज़ और स्थानीय मुस्लिम राजा के खिलाफ संन्यासियों के विद्रोह की घटना से प्रेरित है। आनंदमठ का सार ये है कि किस प्रकार से हिंदू संन्यासियों ने मुसलमान शासकों को हराया। आनंदमठ में बंकिम चंद्र ने बंगाल के मुस्लिम राजाओं की कड़ी आलोचना की। एक जगह वो लिखते हैं, 'हमने अपना धर्म, जाति, इज्जत और परिवार का नाम खो दिया है। हम अब अपनी जि़ंदगी गंवा देंगे। जब तक इनको भगाएंगे नहीं तब तक हिंदू अपने धर्म की रक्षा कैसे करेंगे? इतिहासकार तनिका सरकार की राय में 'बंकिम चंद्र इस बात को मानते थे कि भारत में अंग्रेज़ों के आने से पहले बंगाल की दुर्दशा मुस्लिम राजाओं के कारण थी।