सम्पादकीय

वंदे भारत प्रीमियम ट्रेन: घटती दूरी, बढ़ते अवसर

Rani Sahu
16 Oct 2022 7:07 PM GMT
वंदे भारत प्रीमियम ट्रेन: घटती दूरी, बढ़ते अवसर
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एक बात जो पहाड़ों के लिए अक्सर कही जाती रही है कि पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी कभी पहाड़ के काम नहीं आती। आखिर क्या वजह रही होगी कि यह बात कही गई। अगर गहराई से सोचें तो निचोड़ यह निकल कर आता है कि क्षमताओं का, संभावनाओं का सही उपयोग न कर पाना या ऐसे अवसर न उपलब्ध करा पाना जिससे पानी-जवानी का सही उपयोग हो सके। मगर अब वक्त बदल रहा है और बदल रही है पहाड़ों की कि़स्मत। अब पहाड़ के संसाधन पहाड़ के काम आ रहे हैं जिसका मुख्य कारण है आदरणीय मोदी जी की पहाड़ोन्मुखी नीतियां। हम पहाड़ी यह भली-भांति समझते हैं कि कनेक्टिविटी यहां सबसे बड़ी चुनौती है और मोदी जी ने इस चैलेंज को सहर्ष स्वीकार करते हुए आज हिमाचल को वहां लाकर खड़ा कर दिया है जिसकी आज से एक दशक पहले कल्पना करना भी संभव नहीं था। मैं एक खिलाड़ी रहा हूं और उस नाते मुझे अपने शुरुआती दिनों में अलग-अलग राज्यों, अलग-अलग क्षेत्रों में खूब यात्रा करने का अवसर प्राप्त हुआ। उस दौरान मैं यही सोचा करता था कि काश हमारे हिमाचल में रेल का ऐसा ही जाल होता तो कितना अच्छा होता। संभावनाएं कम नहीं थीं, कमी बस इच्छाशक्ति की थी। आज जब हम आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को हमारे अपने हिमाचल के अंब अंदौरा से देश की सबसे प्रीमियम ट्रेन वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाते हुए देखते हैं तो यह महसूस करते हैं कि पटरी पर केवल एक रेलगाड़ी नहीं, हिमाचल के विकास का एक स्वर्णिम अध्याय सरपट दौड़ा चला जा रहा है। कब हमने सोचा था कि देवभूमि से राजधानी का सफर हम महज़ 5 घंटे में तय कर पाएंगे। यह कोई छोटी बात नहीं है, देश में इतने राज्य हैं, इतने बड़े बड़े शहर हैं, इतने औद्योगिक केंद्र या व्यापारिक और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इतने स्टेशन हैं, मगर देश को चौथी वंदे भारत प्रीमियम ट्रेन मिली तो हमारे अपने हिमाचल के, मेरे संसदीय क्षेत्र के ऊना को। यह अपने आप में दिखाता है कि आदरणीय मोदी जी के लिए हिमाचल के क्या मायने हैं और क्यों वो इसे अपना दूसरा घर मानते हैं। ट्रेन का चलना केवल एक यातायात सुविधा नहीं है। यह विकास की पूरी गाथा है जिसमें ट्रेन का चलना केवल पहला अध्याय कहा जा सकता है। अब ऊना को ही ले लीजिए।
वंदे भारत ट्रेन के चलते यहां के स्थानीय निवासियों, खासकर बाहर काम करने वाले और पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं को एक बेहतरीन विकल्प तो मिला ही है, साथ ही यह छुट्टियां बिताने, घूमने-फिरने के लिए आने वालों के लिए भी काफी सुविधाजनक साबित होगा। नई दिल्ली से पांच घंटे में कोई भी पैसेंजर ऊना पहुंच जाएगा और चाहे तो शाम होने से पहले आगे की यात्रा भी कर सकेगा। स्थानीय व्यापारी, बागबानी करने वाले, छोटे व मध्यम उद्योग धंधे वाले लोगों के लिए यह रेल विकास की अपार संभावनाएं लेकर आई है। क्योंकि हर उद्यमी और व्यापारी यह जानता है कि कनेक्टिविटी ही उसके विकास की पहली शर्त है। और ऊना से चलकर हिमाचल व इस रूट की पहली वंदे भारत ट्रेन जब दिल्ली पहुंची तो इसका जो स्वागत दिल्ली स्टेशन पर हुआ वो अपने आप में अविस्मरणीय है। वास्तव में यह दिखाता है कि हमें 170 किमी प्रति घंटा की स्पीड से चलने वाली इस ट्रेन की कितनी ज़रूरत थी। मैदानी क्षेत्र में तो ट्रेन चलना सामान्य बात है। लेकिन केवल हिमाचल वासी ही समझ सकते हैं कि इस पर्वतीय प्रदेश में रेलगाडिय़ों का चलना और वह भी वंदे भारत जैसी अत्याधुनिक ट्रेन का चलना, कितना ऐतिहासिक मौका है। मुझे अच्छी तरह याद है कि 13 जून 1998 को जब धूमल जी प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, उस दिन हिमाचल में रेलवे का स्वर्णिम अध्याय शुरू हुआ। नंगल डैम-तलवाड़ा रेलवे लाइन के ऊना हिमाचल-टकारला चुरडु खंड कार्य का शुभारंभ हुआ था। वो दिन है और आज का दिन है, हिमाचल में रेल विस्तार का काम भाजपा ने कभी रुकने नहीं दिया। वर्ष 2009 में ऊना से चुररू रेलवे लाइन का विद्युतीकरण पूर्ण हुआ।
वर्षों से पीछे पडऩे के बाद 6 जुलाई 2011 को चुररू से अम्ब अंदौरा रेललाइन के सेक्शन को शुरू कराया। वर्ष 2014 में चुरडु से अम्ब आंदोरा रेललाइन के सेक्शन का विद्युतीकरण कराया। वर्ष 2014 से वर्ष 2018 के बीच चार नई ट्रेन्स को चलाने का सौभाग्य भी मोदी जी के आशीर्वाद से मिला। वर्ष 2018 में अम्ब आंदोरा रेल सेक्शन को दौलतपुर तक विद्युतीकरण किया गया एवं 6 मार्च 2019 को अम्ब अंदौरा रेल सेक्शन को दौलतपुर तक, दौलतपुर से जयपुर नई ट्रेन के साथ पूरी तरह ऑपरेटिव कराया गया। जनता के आशीर्वाद से अब तक 10 ट्रेनें इस ट्रैक पर चलाने का सौभाग्य मोदी जी की हिमाचल के प्रति अपार स्नेह-लगाव के कारण हमीरपुर के सांसद के रूप में मुझे मिला है। यही है मोदी जी के अद्भुत विजन और डबल इंजन का कमाल। एक वक्त था जब लोग किसी प्रोजेक्ट की नींव डाले जाने के बाद उसके बारे में भूल जाते थे। पीढिय़ां बदल जाती थी। नींव का पत्थर भी चोरी हो जाता था, लेकिन प्रोजेक्ट ठप पड़ा रहता था। पिता अपने पुत्र और पोते को कहानी सुनाया करते थे। आज मोदी जी के नेतृत्व में भाजपा की सरकारें जिस योजना का शिलान्यास करती हैं उसका उद्घाटन भी निर्धारित समय पर ही होता है और वंदे भारत एक ट्रेन नहीं, बल्कि एक विश्वास का नाम है। विश्वास घटती दूरियों का, विश्वास जुड़ते रिश्तों का, विश्वास बढ़ती संभावनाओं का, विश्वास आगे बढऩे के अवसरों का, विश्वास भारतीय रेलवे के नाम का, पहचान का, सम्मान का, विश्वास नए भारत का, बदलते भारत का, विश्वास मोदी जी की वचनबद्धता का। उन्होंने हिमाचल को उम्मीद से बढक़र दिया है और आगे भी हिमाचल के विकास की रफ़्तार में कोई कमी नहीं आने देंगे, इसका पूर्ण विश्वास है।
अनुराग ठाकुर
केंद्रीय मंत्री
By: divyahimachal
Rani Sahu

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