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आदित्य चोपड़ा: कोरोना संक्रमण ने जिस प्रकार देश के समूचे चिकित्सा तन्त्र के साथ ही इसकी संघीय व्यवस्था को उधेड़ कर रख दिया है उसकी कोई दूसरी मिसाल स्वतन्त्र भारत के इतिहास में नहीं मिलती है। यह सच है कि कोरोना की पहली लहर के चलते हम गफलत में रहे और हमने कोरोना के बदलते स्वरूपों की संभावनाओं को गंभीरता से नहीं लिया मगर अब हम जागे हुए लगते हैं और पूरे देश के 18 वर्ष से ऊपर के लगभग 90 करोड़ लोगों से अधिक को वैक्सीन लगाने की जुगत में लग गये हैं। इस बारे में केन्द्र सरकार द्वारा नियुक्त नीति आयोग के सदस्य डा. वी.के. पाल ने विश्वास दिलाया है कि सरकार विश्व की तीन प्रमुख कोरोना वैक्सीन बनाने वाली कम्पनियों माडरेना, जानसन एंड जानसन व फाइजर के सम्पर्क में पिछले कुछ समय से है और उनसे भारत को वैक्सीन सप्लाई करने के बारे में बातचीत कर रही है तथा कह रही है कि ये कम्पनियां भारत में अपने उत्पादन केन्द्र भी लगाना चाहें तो उनका स्वागत है। यदि डा. पाल की मानें तो इन कम्पनियों से आगामी जुलाई से दिसम्बर महीने तक भारी मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध हो सकती हैं क्योंकि इन कम्पनियों ने चालू वर्ष की तीसरी तिमाही से भारत की गुजारिश पर गौर करने का वादा किया है। इसके साथ ही भारत की दो कम्पनियों सीरम इंस्टीट्यूट व भारत बायोटेक ने भी अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने का खाका सरकार के सामने रख दिया है। डा. पाल के मुताबिक दिसम्बर महीने तक भारत के पास दो सौ करोड़ से अधिक वैक्सीन होंगी।