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- वैक्सीन लगाना ही...
देश में कोरोना संक्रमण जिस तरह सिमट रहा है और कोरोना मरीज भले-चंगे हो रहे हैं उसे देखते हुए यह बहुत जरूरी है कि हम अब इस संक्रमण की पुनरावृत्ति को रोकें और बिना कोई लापरवाही बरते कोरोना से बचाव के उन नियमों को अपनी जीवन शैली का हिस्सा बनायें जो संक्रमण की रोकथाम के लिए आवश्यक माने जाते हैं। अब देश भर से 50 हजार के करीब कोरोना के मामले आ रहे हैं और भारत के कुल साढे़ सात सौ के लगभग जिलों में से 78 जिले ही ऐसे हैं जिनमें संक्रमितों की संख्या बहुत मामूली दर से बढ़ रही है। यह उत्साहजनक संकेत है जिसे बरकरार रखने में नागरिकों को संयम से काम लेना चाहिए। मगर इसके साथ-साथ यह भी जरूरी है कि कोरोना मरीजों की लगातार कम होती संख्या के क्रम को बदस्तूर जारी रखने के लिए प्रत्येक वयस्क नागरिक को वैक्सीन जल्द से जल्द लगाई जाये। आज से 18 वर्ष से 44 वर्ष तक के नागरिकों के लिए भी मुफ्त वैक्सीन लगाने की योजना शुरू हो चुकी है जिसकी सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि भारत के पास वैक्सीन का यथोचित भंडार है कि नहीं। अब वह समय बीत चुका है कि हम वैक्सीन खरीद और लगाने की नीतियों की नुक्ताचीनी में उलझे रहे, अब जरूरी यह है कि प्रत्येक को वैक्सीन लगा कर निश्चिन्तता का वातावरण तैयार किया जाये। चूंकि अब वैक्सीन केन्द्र सरकार ही खरीदेगी और राज्यों को वितरित करेगी तो प्रादेशिक सरकारों को अपने चिकित्सा तन्त्र को सावधान मुद्रा में लाना होगा। केन्द्र ने वैक्सीन लगवाने के लिए पंजीकरण नीति में भी ढिलाई बरती है और लोगों को विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र के नागरिकों को सुविधा दी है कि वे सीधे चिकित्सा केन्द्रो पर जाकर अपना पंजीकरण करा सकते हैं। अतः जिला व पंचायत स्तर पर बहुत सतर्कता बरतने की आवश्यकता होगी। लेकिन यह सब काम इस बात पर निर्भर करेगा कि वैक्सीन पर्याप्त मात्रा मे उपलब्ध हों। फिलहाल भारत में तीन वैक्सीनें उपलब्ध हैं। कोविशील्ड, कोवैक्सीन व स्पूतनिक। इनमें सपहली दो का उत्पादन भारत में ही होता है। इनकी उत्पादन क्षमता में इस प्रकार वृद्धि की जा रही है कि आगामी दिसम्बर मास तक प्रत्येक नागरिक को दो बार टीका लग सके। जो कमी होगी उसे स्पूतनिक का रूस से आयात करके पूरा किया जायेगा। इस बारे मे विशेषज्ञों की सलाह पर काम करना बहुत जरूरी होगा जिससे दो वैक्सीनों के लगाने के बीच के अन्तराल पर किसी प्रकार का विवाद पैदा न हो सके।