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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हमारे देश में विज्ञान बड़ा है या राजनीति, कोरोना का वायरस भी कन्फ्यूज, अब बहस इस बात को लेकर होनी चाहिए कि हमारे देश में विज्ञान बड़ा है या राजनीति! कोरोना का वायरस भी कन्फ्यूज हो गया है कि हाय, किस बुरी घड़ी में मैं इस देश में आया? एक तरफ 'टीका' उसके प्रयोग और प्रसार के स्वाद को 'फीका' बना रहा है, दूसरी तरफ यहां के राजनीतिक दल उस टीके की ही नाक में दम किए पड़े हैं। वहीं यह कोरोना का वायरस कितने भी रूप बदल ले। इसका नया स्ट्रेन आ धमके, लेकिन इसको हमारे देश की प्रतिक्षण रंग बदलने वाली राजनीति के सम्मुख मुस्कुराते हुए नतमस्तक होना ही पड़ेगा। इस नए ईजाद हुए टीके को भी एक अलग प्रकार के प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। वह मानव शरीर की इम्युनिटी को भले ही न भेद पाए, किंतु उसको हमारे कुछ राजनेताओं की प्रतिरोधक क्षमताओं से दो-दो हाथ जरूर करने पड़ रहे हैं।