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- जजों के खाली पड़े पद

आदित्य चोपड़ा| न्याय पालिका के 'शेर' कहलाए जाने वाले जस्टिस रोहिंटन नरीमन सेवानिवृत्त हो गए। जस्टिस नरीमन ने अपने सात साल के कार्यकाल में 13565 केस सुने। वे अपनी विद्वता, स्पष्टता और निष्पक्ष फैसलों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, निजता और निजी स्वतंत्रता का समर्थन किया। जस्टिस नरीमन के ऐतिहासिक फैसलों में आईटी एक्ट की धारा 66ए को रद्द करना, तीन तलाक को खत्म करने, निजता के अधिकार को संविधान के तहत मौलिक अधिकार मानना तथा मानव अधिकारों की रक्षा के लिए सीबीआई और एनआईए जैसी केन्द्रीय एजैंसियों के कार्यालयों और पुलिस थानों में सीसीटीवी लगाने का आदेश शामिल है। अपने ऐतिहासिक फैसलों से जस्टिस नरीमन ने देश के न्याय शास्त्र पर अमिट छाप छोड़ी है, तभी तो उनके विदाई समारोह में चीफ जस्टिस एन.वी. रमना ने कहा कि ''मैं न्यायिक संस्थान की रक्षा करने वाले शेरों में से एक को खो रहा हूं।'' जस्टिस नरीमन ने अपने विदाई समारोह में जजों की प्रत्यक्ष नियुक्तियां करने का जोरदार समर्थन किया। उन्होंने कहा कि भारत के लोगों की उम्मीदें जायज हैं और इस अदालत से गुणवत्तापूर्ण न्याय प्राप्त होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वकीलों की भी जज के तौर पर नियुक्ति होनी चाहिए, लेकिन दूसरी तरफ कहा कि मेरिट ही नियुक्ति का आधार होना चाहिए। जस्टिस नरीमन पांचवें ऐसे जज थे जो वकील से जज बने थे।
