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- सूर्य का उत्तरायण: मकर...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सूर्य का उत्तरायण होना वस्तुत: भारतीयता का उत्तरायण होना है। सूर्य के उत्तरायण होने का अर्थ है सूर्य द्वारा मकर रेखा को संक्रांत करना और धनु से मकर पर पहुंचना। ज्योतिष में मकर एक राशि है, जिसके स्वामी शनि हैं। शनि को सूर्य पुत्र कहा गया है। सूर्य भारत की आचार्य परंपरा के प्रतीक भी हैं। वे ज्ञान और प्रकाश के देवता हैं, जबकि शनि मंद गति के। इसलिए मकर संक्रांति को लेकर यह मान्यता है कि भगवान भास्कर अपने पुत्र से मिलने जाते हैं। शनि अंधकार का, तम का, मद्धिम गति का ग्रह है। सूर्य की रश्मियां बहुत देर से शनि पर पहुंचती हैं। इसलिए मकर का सूर्य पर पहुंचना ब्रह्मांड में सर्वत्र प्रकाश का पहुंचना और सौर परिवार के अंतिम ग्रह का प्रकाश से प्रकाशित होना है। भारत में इस दिन से दिन बड़ा होता है। भारत में दिन का बड़ा होना ही देवताओं का दिन होना है। वहीं उत्तरायण यानी पूर्व से उत्तर की ओर पूर्व एवं उत्तर का साथ होना है। पूर्व से उत्तर अर्थात पहले के प्रकाश को अतिक्रांत कर नया प्रकाश उत्पन्न करना है। यही ज्ञान का परिपक्व होना है। पूर्व और उत्तर मिलते हैं तो ईशान्य होता है। ईशान्य देवताओं की दिशा है। भारत में अरुणोदय ईशान से प्रशस्त माना जाता है।