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- उत्तर प्रदेश या प्रश्न...
प्रियदर्शन तीन दिन से लखीमपुर खीरी में जो कुछ हो रहा है, वह संवैधानिक भावनाओं और प्रतिज्ञाओं के प्रति उत्तर प्रदेश सरकार और भारतीय जनता पार्टी की अक्षम्य और आपराधिक अवहेलना का एक नया उदाहरण है. अब इस बात के कई प्रमाण आ चुके हैं कि लखीमपुर खीरी में उपमुख्यमंत्री को झंडा दिखाने जुटे किसानों पर बाकायदा गाड़ी चढ़ा दी गई. इस हादसे या हमले में 4 किसानों की मौत हो गई. निस्संदेह इसके बाद नाराज़ भीड़ ने जिस तरह एक गाड़ी के ड्राइवर सहित चार लोगों को पीट-पीट कर मार डाला, उसका भी बचाव नहीं किया जा सकता. दरअसल ऐसे उकसावे ही असल इम्तिहान का अवसर होते हैं. अभी-अभी दो अक्टूबर गुज़रा है और गांधी की याद ताज़ा है. अहिंसा किसी भी आंदोलन की रणनीति या मजबूरी नहीं हो सकती, वह उसका बुनियादी दर्शन ही हो सकती है. यह अहिंसा आहत होती है तो आंदोलन आहत होता है. अगर गाड़ी से कुचले जाने के बावजूद किसानों ने पलट कर हमला नहीं किया होता तो उनके विरोध प्रदर्शन की नैतिक साख इतनी ऊंची होती कि दूसरे शर्मिंदा हो जाते.