सम्पादकीय

Uttar Pradesh Chunav Result : क्या समाजवादी पार्टी का 'खेला' कर गया सॉफ्ट हिंदुत्व कार्ड? अयोध्या और काशी के दर्शन भी नहीं मिटा सकेंगे चौथी बड़ी हार का दाग

Gulabi
10 March 2022 6:15 AM GMT
Uttar Pradesh Chunav Result : क्या समाजवादी पार्टी का खेला कर गया सॉफ्ट हिंदुत्व कार्ड? अयोध्या और काशी के दर्शन भी नहीं मिटा सकेंगे चौथी बड़ी हार का दाग
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अयोध्या और काशी के दर्शन भी नहीं मिटा सकेंगे चौथी बड़ी हार का दाग
हरीश तिवारी.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) की काउंटिंग चल रही है और जो रूझान सामने आ रहे हैं, उसके मुताबिक अब राज्य में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार बन सकती है. हालांकि ये रूझान शुरुआती हैं. लेकिन इस रूझानों ने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को सोचने पर मजबूर कर दिया है. क्योंकि राज्य में सरकार बनाने का दावा करने वाली समाजवादी पार्टी को एक बार फिर जनता ने नकार दिया है. अगर ये रूझान परिणाम के रूप में बदले तो राज्य में अखिलेश यादव की अगुवाई में ये समाजवादी पार्टी की चौथी हार होगी. इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में एसपी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था और उस वक्त अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे.
जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में एसपी को दूसरी बड़ी हार मिली थी और उसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव. वहीं अब 2022 के विधानसभा चुनाव में चौथी हार समाजवादी पार्टी को मिल सकती है. चुनाव परिणाम देर शाम तक पूरी तरह से घोषित हो जाएंगे. लेकिन सुबह 11 बजे तक के रूझानों में बीजेपी 241 और एसपी 121 सीटों पर आगे चल रही है और इससे एक बात साफ हो गई है कि अखिलेश यादव की बीजेपी को सत्ता से बाहर करने की रणनीति विफल रही है. वहीं इस चुनाव में अखिलेश यादव ने जो सॉफ्ट हिंदुत्व का फार्मूला अपनाया है. उसे भी राज्य की जनता ने नकार दिया है. ये पहला चुनाव है जिसमें अखिलेश यादव खुलकर मंदिरों में गए और बीजेपी पर धर्म के नाम पर राजनीति करने के आरोप लगाए.
सॉफ्ट हिंदुत्व का सियासी तौर पर कोई फायदा नहीं हुआ
अगर देखें तो इस बार के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने हिंदुत्व और धर्म का सहारा लेने से गुरेज नहीं किया. वह मंदिरों में गए और एसपी की सरकार बनाने के लिए आशीर्वाद भी मांगा. लेकिन जो रूझाने सामने आ रहे हैं उसमें इसका असर देखने को नहीं मिल रहा है. एसपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुनाव से पहले 8 जनवरी को चित्रकूट से चुनाव प्रचार की शुरुआत की थी और उन्होंने कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा भी की. इसके जरिए उन्होंने हिंदू वोटरों को साधने की कोशिश की.
यही नहीं अखिलेश यादव ने अपने चुनावी रथ के जरिए चित्रकूट में प्रचार किया. हालांकि मंदिरों में अखिलेश यादव का जाना बीजेपी को रास नहीं आया और उसने समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव को अयोध्या में कारसेवकों पर चलाई गई गोलियों के जरिए घेरा. लेकिन दिख रहा है कि अखिलेश यादव का सॉफ्ट हिंदुत्व उनको सियासी तौर पर कोई फायदा नहीं दे सका और बीजेपी इसके जरिए हिंदु वोटरों का धुव्रीकरण करण में सफल रही.
अयोध्या और काशी में भी की मंदिरों की परिक्रमा
असल में अखिलेश यादव ने इस बार काशी में जाकर बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए. जबकि इससे पहले उन्होंने अयोध्या में चुनावी रैली भी की. इस रैली के जरिए उन्होंने हिंदू वोटर्स को संदेश देने की कोशिश. हालांकि अखिलेश यादव ने श्रीरामलला के दर्शन नहीं किए, लेकिन वह हनुमान गढ़ी गए और भगवान बजरंग बली से आशीर्वाद लिया. जबकि इससे पहले अखिलेश यादव ने अयोध्या का दौर टाल दिया था. गौरतलब है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश ने भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा लगाने का ऐलान किया था. वहीं हिंदू वोटर्स, खासतौर से ब्राह्मण वर्ग को विधानसभा चुनाव में साधने के लिए अखिलेश यादव ने हर जिले भगवान परशुराम जी की प्रतिमा स्थापित करने का वादा किया था. लेकिन ये वादे भी अखिलेश यादव के माथे से चौथी हार को नहीं मिटा सके. इसके अलावा अखिलेश यादव ने 2020 में परशुराम की प्रतिमा और मंदिर बनाने की घोषणा की थी.
क्या सॉफ्ट हिंदुत्व से मुस्लिम हुए हैं नाराज
राज्य में ये भी चर्चा है कि अखिलेश यादव के मंदिरों में जाने से सपा का परंपरागत मुस्लिम वोट बैंक भी उससे नाराज हुआ है. अभी तक अखिलेश यादव ने एसपी में मुस्लिम चेहरा कहे जाने वाले रामपुर के सांसद आजम खान से दूरी बनाकर रखी है. चुनाव के दौरान ये भी चर्चा थी कि आजम खान ने एक दर्जन सीट अपने करीबियों को देने के लिए अखिलेश यादव से कहा था, लेकिन अखिलेश यादव ने आजम खान की मांग को ठुकरा दिया. हालांकि एसपी ने आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान को टिकट दिया. लेकिन कहा जा रहा है कि अखिलेश यादव को लेकर मुस्लिमों का एक वर्ग नाराज हो गया है.
बीजेपी पर बना हुआ है हिंदू वोटर्स का विश्वास
फिलहाल सियासत के जानकारों का कहना है कि बीजेपी का तिलिस्म तोड़ने में अखिलेश यादव अभी तक सफल नहीं दिख रहे हैं और 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद जिस तरह से हिंदू वोटरों पर बीजेपी की पकड़ मजबूत होती गई है. उसे तोड़ने में इस बार अखिलेश यादव को कामयाबी नहीं मिलती दिख रही है और एसपी हिंदू वोटर्स में सेंधमारी करने में पूरी तरह से फ्लॉप हुई है.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, आर्टिकल में व्यक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं.)
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