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- अमेरिकी जंगी बेड़े की...
आदित्य नारायण चोपड़ा। अमेरिका के सातवीं जंगी जहाजी बेड़े के एक युद्ध पोत 'जान पाल जोन्स' ने भारत के 'लक्ष्यद्वीप' के निकट विशिष्ट भारतीय आर्थिक जल क्षेत्र में अनधिकृत तरीके से प्रवेश करके फेरा लगाया, उसका असली उद्देश्य क्या था? भारत सरकार ने अमेरिका के इस कृत्य पर कूटनीतिक माध्यमों से विरोध प्रकट करते हुए कहा है कि अमेरिकी बेड़े की यह कार्रवाई अन्तर्राष्ट्रीय जल यातायात नियमों के अनुरूप नहीं है और इस सम्बन्ध में भारत द्वारा बनाये गये कानून का सीधा उल्लंघन है। 1976 में भारत की सरकार ने यह कानून बनाया था कि हिन्द महासागर के भारतीय जल सीमा क्षेत्रों से कोई भी नागरिक या मालवाहक जहाज शान्तिपूर्वक गुजर सकते हैं मगर किसी भी दूसरे देश के युद्धपोत या पनडुब्बी को इनसे गुजरने के लिए पहले भारत सरकार की अनुमति लेनी होगी। यह वह दौर था जब भारत विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर लगातार यह मांग कर रहा था कि हिन्द महासागर को क्षेत्र को 'विश्व शान्ति क्षेत्र' घोषित किया जाये क्योंकि तब अमेरिका 'दियेगों गार्शिया' में नौसिक परमाणु अड्डा बना रहा था। पूरे हिन्द महासागर व प्रशान्त क्षेत्र को जंगी अखाड़ा बनने से रोकने के लिए भारत की यह महत्वपूर्ण पहल थी जो बदलते विश्व राजनीति की वजह से सफल नहीं हो सकी। परन्तु 21वीं सदी को लगे हुए भी अब बीस साल बीत चुके हैं और अरब सागर से लेकर हिन्द व प्रशान्त सागर क्षेत्रों की स्थिति में गुणात्मक परिवर्तन आ चुका है।