सम्पादकीय

यूएस स्टडी ने बताया कि अल्फा और डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ क्यों कारगर है कोवैक्सीन

Gulabi
30 Jun 2021 12:38 PM GMT
यूएस स्टडी ने बताया कि अल्फा और डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ क्यों कारगर है कोवैक्सीन
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भारत में बनी कोवैक्सीन की प्रभावशीलता पर मुहर अमेरिका की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने भी लगा दिया है.

भारत में बनी कोवैक्सीन (Covaxin) की प्रभावशीलता पर मुहर अमेरिका की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) ने भी लगा दिया है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक कोवैक्सीन अल्फा (B.1.1.7) और डेल्टा (B.1.617) के खिलाफ पूरी तरह से कारगर है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) अमेरिका का प्रसिद्ध संस्थान है और इसका भारत के साथ पहले भी कई मामलों में साझा अध्ययन होता आया है. कोवैक्सीन ले चुके लोगों के ब्लड सीरम से मिले एंटीबॉडी की जांच में पाया गया कि कोवैक्सीन द्वारा तैयार किए गए एंटीबॉडी अल्फा और बीटा वायरस को न्यूट्रलाइज करने की क्षमता बखूबी रखते हैं. न्यूज एजेंसी एएनआई (ANI) ने एनआईएच की स्ट़डी का हवाला देते हुए इन तथ्यों को सामने रखा है.


स्टडी में कहा गया है कि एडजुवेंट एलहाइड्रोक्सीक्वीम-2 नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की मदद से डिवेलप किए जाने की वजह से वैक्सीन की एफीकेसी (Efficacy) ज्यादा पाई गई है. दरअसल एडजुवेंट (Adjuvent) वैक्सीन का वो हिस्सा है जो लोगों में इम्यून रिस्पॉन्स बढ़ाने के लिए तैयार किया जाता है. एडजुवेंट (Adjuvent) की मदद से टीएलआर-7 और टीएलआर-8 रिसेप्टर्स को एक्टीवेट किया जाता है जो इम्यून रिस्पॉन्स को बेहतर बनाने का काम करते हैं.


अमेरिका के व्हाइट हाउस के मेडिकल एडवाइजर ने कहा कि उन्हें इस बात को लेकर खुशी है कि एडजुवेंट (Adjuvent) जो यूएस में तैयार किए जाते हैं उसकी भूमिका भारत में इस्तेमाल किए जा रहे वैक्सीन में महत्वपूर्ण है.

मेड इन इंडिया कोवैक्सीन की क्या है खासियत
कोवैक्सीन इनएक्टिवेटेड वायरस (Inactivated Virus) की मदद से तैयार किया जाता है तो शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है, लेकिन एंटीबॉडी तैयार करने में शरीर को मदद करता है. कोवैक्सीन के फेज 3 ट्रायल के रिजल्ट को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है. लेकिन इंटरिम (Interim) रीजल्ट में बताया गया है कि कोवैक्सीन सिप्टोमैटिक पेशेंट (Symptomatic Patients) में 78 फीसदी, सीवियर पेशेंट (Severe Patient) में 100 फीसदी और एसिप्टोमैटिक पेशेंट (Asymptomatic Patient) में 70 फीसदी कारगर है. भारत में कोवैक्सीन को आईसीएमआर (ICMR) और एनआईवी पुणें (NIV,PUNE) द्वारा तैयार किया गया है और अभी तक इसे दुनियां के ढाई करोड़ लोगों को लगाया जा चुका है.
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