सम्पादकीय

अमेरिकी फेड, बाजार और तेल: भारत पर इनका क्या असर हो सकता है?

Rani Sahu
29 Jan 2022 2:33 PM GMT
अमेरिकी फेड, बाजार और तेल: भारत पर इनका क्या असर हो सकता है?
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अमेरिकी फेडरल रिजर्व सिस्टम (US Fed) ने पिछले कुछ महीनों में बढ़ी महंगाई दर से जुड़े खतरों का आकलन शुरू कर दिया है

करन भसीन अमेरिकी फेडरल रिजर्व सिस्टम (US Fed) ने पिछले कुछ महीनों में बढ़ी महंगाई दर से जुड़े खतरों का आकलन शुरू कर दिया है. इसलिए निसंदेह फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) का बयान आर्थिक जगत से इस वक्त की सबसे बड़ी खबर है. वर्तमान में अमेरिका में महंगाई दर भारत के कन्ज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) मुद्रास्फीति से ज्यादा है. आमतौर पर अमेरिका में महंगाई दर 2 फीसदी के आसपास रहती है.

कुछ महीने पहले तक अमेरिका में मुद्रास्फीति कई विकसित अर्थव्यवस्था की तुलना में काफी अलग थी. हाल के कुछ महीनों में इन देशों में भी मुद्रास्फीति तेजी से बढ़ी है. नतीजतन इन देशों के रिजर्व बैंक ने मौद्रिक सहजता का रास्ता छोड़ कर कम ब्याज दर और बॉन्ड खरीद कार्यक्रमों का समर्थन करने का फैसला किया. 90 डॉलर प्रति बैरल के दर के साथ पेट्रोलियम पदार्थ भी कई देशों की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ा रहा है
RBI ने 2013 के प्रकरण से सीख ली और डॉलर रिजर्व का बड़ा स्टॉक तैयार कर लिया
ऐसा लग रहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था उथल-पुथल के दौर की तरफ बढ़ रही है जिसका असर हमारे शेयर बाजारों और एक्सचेंज रेट पर भी पड़ सकता है. पिछली बार जब भारत ने ऐसा अनुभव किया था तो कई विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक या तो शेयर बेचने लगे या भारतीय मार्केट से बाहर निकलने लगे. नतीजा यह हुआ कि हमारी एक्सचेंज रेट दबाव में आ गई और अर्थव्यवस्था में टेपर टैंट्रम नजर आने लगा. भारत की गिनती तब दुनिया के नाजुक पांच अर्थव्यवस्थाओं में होती थी.
इसके विपरीत, इस बार चीजें अपेक्षाकृत बेहतर हैं क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक ने 2013 के प्रकरण से सीख ली और डॉलर रिजर्व का बड़ा स्टॉक तैयार कर लिया गया है ताकि रुपया जब दबाव में आये तो उसे समर्थन दिया जा सके. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के जनवरी के अपडेट भी उत्साहजनक हैं क्योंकि यह भारत को वित्त वर्ष 2021-22, 22-23 और 24-25 में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में दिखाता है. ऐसे में यह सोचना उचित है कि ग्रोथ रिकवरी प्रक्रिया और एक्सचेंज रेट पर दरों में वृद्धि का सीमित असर पड़ेगा.
कमजोर अर्थव्यवस्था वाले देशों में विकास बुरी तरह से बाधित होगा
कई वैश्विक फैक्टर पर भी विचार कर लेना महत्वपूर्ण होगा – जैसे दूसरे उभरते हुए बाजारों पर अमेरिकी दरों में वृद्धि का प्रभाव. डॉलर पर आधारित अत्यधिक कर्ज लेने वाले देशों को मुश्किल पेश आएगी क्योंकि वहां पर पूंजी का प्रवाह अस्थिर हो जाएगा. कमजोर अर्थव्यवस्था वाले देशों में विकास बुरी तरह से बाधित होगा और मंदी जैसे हालात पैदा होंगे जिसका आखिरकार साल के वैश्विक विकास दर पर बुरा असर दिखेगा.
इनके अलावा चीन भी रियल एस्टेट संकट का सामना कर रहा है. वहां आई मंदी वैश्विक विकास को आने वाले कुछ तिमाहियों तक नीचे की तरफ ले जाएगी. विकसित अर्थव्यवस्था वाले देश अपनी-अपनी इकॉनोमी को सामान्य स्थिति में लाने की कोशिश में दरों में इजाफा कर रहे हैं. ऐसे में इतना तो कहा ही जा सकता है कि वैश्विक विकास इस वक्त के पूर्वानुमानों की तरह प्रभावशाली नहीं रहेगा.
धीमे वैश्विक विकास का हमारे निर्यात पर असर पड़ेगा. इसका हमारे समग्र विकास पर भी सीमित असर पड़ेगा. हालांकि, इसके बावजूद भारतीय विकास दर 7.5 फीसदी से नीचे जाने का अनुमान नहीं है मगर व्यापक आर्थिक स्थिति को देखते हुए नौ फीसदी के विकास दर की उम्मीद भी नहीं की जानी चाहिए.
भारत अब भी विश्व में सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है
2022-23 में नौ फीसदी की जगह 8.3 फीसदी विकास दर ज्यादा बेहतर आकलन होगा. वैसे यह भी असाधारण विकास दर है क्योंकि भारत अब भी विश्व में सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है. विश्व की राजनीति के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें अभी लंबे समय तक आसमान छूती रहेंगी. यहां पर केंद्र और राज्य सरकारों को दो में से एक विकल्प चुनना होगा – या तो वो टैक्स कम करके तेल के बढ़े दाम को कम रखें या देश में तेल के दाम को बढ़ा कर जनता पर बोझ डाल दें. सरकार देश में तेल के दाम बढ़ाने से बचना चाहेगी, लेकिन ऐसे में उसके पास दो ही कदम बचते हैं- या तो लोगों की आर्थिक स्थिति बिगड़ने दें या फिर बढ़े दाम को सीधे जनता तक पहुंचने दें. 2022 में भारतीय अर्थव्यवस्था की परेशानी दूसरे देशों के ब्याज दरों में बदलाव नहीं बल्कि पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमत है. लंबे समय में इलेक्ट्रिक वाहन या इस तरह के दूसरे माध्यमों से इन्हें काबू में किया जा सकेगा मगर वर्तमान में पेट्रोलियम पदार्थों पर टैक्स फिक्स करने पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है.
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