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- UPSC: आगे बढ़तीं...
नवभारत टाइम्स: यूपीएससी परीक्षा के नतीजे एक बार फिर समाज में गर्ल पावर के उद्घोष का जरिया बन गए। टॉप के तीनों स्थानों पर लड़कियां काबिज दिखीं। वैसे लड़कियों का मेरिट लिस्ट में सबसे ऊपर होना अब कोई खबर नहीं रही। पिछले दस साल में यह पांचवां मौका है, जब यूपीएससी टॉपर के रूप में लड़की का नाम सामने आया है। ऊपर के तीनों स्थान लड़कियों को मिल जाएं, यह जरूर थोड़ी खास बात कही जाएगी, लेकिन यह चमत्कार भी पहले हो चुका है। 2014 की सिविल सर्विसेज परीक्षा में तो ऊपर के चारों स्थान लड़कियों ने हासिल किए थे। जाहिर है, खास बात यह नहीं है कि लड़कियां यूपीएससी परीक्षा में अव्वल आई हैं, खास बात यह है कि अब यह चौंकाने वाली बात नहीं रही। और सिर्फ ऊपर के तीन स्थानों की बात नहीं है। इस बार चुने गए कुल 685 प्रत्याशियों में 177 लड़कियां हैं और ऊपर के 25 स्थानों की बात करें तो उनमें भी 10 लड़कियां शामिल हैं। जाहिर है, पूरे देश के स्तर पर 685 प्रत्याशियों के चयन में अगर कोई ट्रेंड तलाशा जा रहा है तो उसका आधार सिर्फ संख्यात्मक नहीं है।
इन आंकड़ों की अहमियत इस तथ्य में है कि इस प्रतिष्ठित सेवा की ओर देश का बेस्ट टैलंट आकर्षित होता है और इसीलिए इसमें कॉम्पिटिशन भी उतना ही टफ होता है। इससे भी बड़ी बात यह है कि इस सेवा के लिए चुने जाने वाले प्रत्याशियों की आने वाले वर्षों में देश के स्तर पर नीतियों के निर्धारण में ही नहीं उनके क्रियान्वयन में भी अहम भूमिका होती है। इसीलिए इस परीक्षा में कामयाब होने वाले प्रत्याशियों में समाज के अलग-अलग हिस्सों की नुमाइंदगी का सवाल महत्वपूर्ण हो जाता है। बहरहाल, इस संदर्भ में यह बात याद रखना महत्वपूर्ण है कि भारतीय समाज में महिलाओं के तेजी से आगे बढ़ने की धारणा के अपने आधार हो सकते हैं। कई ऐसे प्रफेशन हैं, जो पारंपरिक तौर पर पुरुषों के माने जाते रहे हैं, इसके बावजूद वहां महिलाओं ने मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। उदाहरण के लिए, पायलटों को लें तो भारत में महिला एयरलाइंस पायलटों का प्रतिशत 15 है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है।
वैश्विक औसत करीब 5 फीसदी का है। इसके बावजूद हम इस सचाई से मुंह नहीं मोड़ सकते कि लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन में महिलाओं का प्रतिशत अपने देश में अभी भी 21 के आसपास ही है। इंटरनैशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (आईएलओ) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत इस मामले में 131 देशों की सूची में 121वें नंबर पर है। बहरहाल, इस स्थिति में बदलाव की उम्मीद भी सही नीतियों और उनके सही ढंग से क्रियान्वयन में ही निहित है। इस लिहाज से यूपीएससी परीक्षाओं में महिलाओं का अच्छा प्रदर्शन बेहतर भविष्य की संभावनाएं जरूर खोलता है।