- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- यूपी चुनाव:...
x
उत्तरप्रदेश में चुनावी जंग जारी है. आज यहां पांचवे चरण में 12 जिलों की 61 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हो रही है
नरेन्द्र भल्ला
उत्तरप्रदेश में चुनावी जंग जारी है. आज यहां पांचवे चरण में 12 जिलों की 61 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हो रही है, जहां राज्य के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य समेत योगी सरकार के आधा दर्जन मंत्रियों की किस्मत का फैसला ईवीएम मशीन में बंद हो जायेगा. सब जानते हैं कि भारत पीरों-फकीरों और संतों का देश पहले भी था और आज भी है, लेकिन पीर मत्स्येन्द्रनाथ नाथ की गद्दी पर बैठे और पिछले पांच साल से यूपी सरकार के मुखिया बने योगी आदित्यनाथ ने वोटिंग से ठीक पहले एबीपी न्यूज़ से हुई खास बातचीत में फिर से वोटों का ध्रुवीकरण करने का एक बड़ा सियासी दांव खेला है. उन्होंने साफ कह दिया है, "राज्य में पेशेवर माफिया और अपराधी अगर मुस्लिम हैं तो उसका मैं क्या कर सकता हूं. लेकिन जो अपराधी हैं, उनके खिलाफ उनकी सरकार ने कार्रवाई की है." योगी के इस बयान को हिंदू वोटों को गोलबंद करने की कोशिश के रुप में देखा जा रहा है.
यूपी विधानसभा चुनाव के इस चरण में श्रीराम की नगरी अयोध्या से लेकर प्रयागराज और श्रावस्ती की जनता तो अपना जन प्रतिनिधि चुनेगी ही लेकिन ये गांधी परिवार के लिए भी इसलिये अहम है कि बरसों तक रहे उसके गढ़ अमेठी व रायबरेली में भी ये वोटिंग उसके लिए बड़ा इम्तिहान होगी. हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी अमेठी से राहुल गांधी को हराकर इस गढ़ को तोड़ चुकी हैं, लेकिन प्रियंका गांधी ने कांग्रेस के इन दोनों परंपरागत गढ़ों को बचाने के लिए इस बार पूरी ताकत लगाई है, लिहाज़ा ये चरण उनके लिए भी किसी परीक्षा से कम नहीं है.
पांचवें चरण में सूबे के अवध इलाके से लेकर पूर्वांचल क्षेत्र की सीटों पर मतदान होना है, जहां पांच साल पहले बीजेपी ने भगवा लहराते हुए इन 61 में से 51 सीटों पर कब्जा किया था. जबकि दो सीटें उसकी सहयोगी अपना दल-एस को मिली थीं. लिहाज़ा, बीजेपी के लिए जहां अपने इस पुराने गढ़ को बचाने की चुनौती है तो वहीं सपा मुखिया अखिलेश यादव के लिए भी एक कठिन परीक्षा इसलिये है कि पिछली बार उन्हें इस हिस्से से सिर्फ पांच सीटें ही मिल पाई थीं. जबकि कांग्रेस को महज एक सीट मिली तो और दो सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे. मायावती की बीएसपी का खाता भी नहीं खुल पाया था. वैसे तो ये चरण योगी सरकार के आधा दर्जन मंत्रियों की किस्मत तय करेगा लेकिन सबकी निगाहें प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पर लगी हैं. वे अपने गृह जिले कौशांबी के सिराथू विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं और उन्हें कड़ी टक्कर देने के लिए समाजवादी पार्टी ने अपना दल (कमेरावादी) की नेता पल्लवी पटेल को मैदान में उतारा है. वे मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की बहन हैं.
लेकिन इस चरण का सबसे दिलचस्प चुनाव बहराइच जिले में हो रहा है, जहां पति-पत्नी चुनाव लड़ रहे हैं. दोनों सपा के ही उम्मीदवार हैं लेकिन उनकी सीट अलग-अलग है. अगर ये दोनों ही चुनाव जीत गए तो यह यूपी की सियासत में इतिहास की एक नई इबारत लिखेगा, जहां एक ही घर में रहने वाले पति-पत्नी विधायक बन जाएंगे. दरअसल बहराइच के साम्प्रदायिक समीकरण को देखते हुए अखिलेश यादव ने इस बार बड़ा सियासी दांव खेलने की हिम्मत दिखाई है. यहां की मटेरा सीट से सपा ने अपने मौजूदा विधायक यासिर शाह को दोबारा उतारने की बजाय उनकी पत्नी मारिया शाह को उम्मीदवार बनाया है. जबकि पिछली बार इसी सीट से जीते यासिर शाह को बहराइच की सदर से चुनाव लड़वाकर दोनों सीटों को कब्जाने की रणनीति बनाई है.
हालांकि आज होने वाली वोटिंग सूबे की सियासत में बाहुबली नेता की पहचान रखने वाले रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के लिए भी बहुत मायने रखती है. वे फिलहाल प्रतापगढ़ की कुंडा सीट से निर्दलीय विधायक हैं, लेकिन इस बार वे अपनी जनसत्ता पार्टी से चुनावी मैदान में उतरे हैं. पिछले तीन चुनावों में सपा ने उनके खिलाफ अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था लेकिन इस बार सपा ने उन्हें टक्कर दे दी है.प्रतापगढ़ जिले में ही अपना दल (कमेरावादी) की अध्यक्ष कृष्णा पटेल भी समाजवादी गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में बीजेपी को कड़ी टक्कर दे रही हैं.वे केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की मां हैं. यूपी के लोगों को इस बार चुनावी सियासत के अजीब रंग देखने को मिल रहे हैं. एक बेटी बीजेपी के साथ है,तो दूसरी बेटी और मां सपा की साइकिल पर सवार हैं. वहीं यूपी विधानसभा में कांग्रेस की पहचान रखने वाली आराधना मिश्रा 'मोना' भी प्रतापगढ़ जिले की अपनी परंपरागत रामपुर खास सीट से किस्मत आजमा रही हैं.
वोटिंग से ऐन पहले यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने एबीपी न्यूज़ के साथ हुई खास बातचीत के जरिये ये संदेश देने की कोशिश की है कि वे अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन उन्होंने कह दिया है कि गजवा-ए-हिंद का सपना कयामत के दिन तक पूरा नहीं होने वाला. पर, साथ ही उन्होंने ये भी साफ कर दिया कि अल्पसंख्यकों को मेरे बयानों से नहीं डरना चाहिए. मेरे कार्यों को देखना चाहिए. मेरे कार्य क्या है? सबको सुरक्षा, सम्मान ये मेरा काम है. मुझे दिक्कत किसी से नहीं है, जो भारत के खिलाफ बात करते हैं, मुझे उनसे दिक्कत है. उन्होंने AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी पर निशाना साधते हुए ये भी कहा कि उन्हें तो उनकी ही भाषा में जवाब देना जरुरी है.
उनसे एक अहम सवाल ये भी पूछा गया कि क्या आप मुस्लिमों से चिढ़ते हैं? उसके जवाब में योगी ने कहा कि मैं किसी से नहीं चिढ़ता. मैं सबके साथ सबके विकास की बात करता हूं. अगर लोग ये कहते हैं कि मेरी सरकार का बुलडोजर धर्म देखकर चलता है तो ऐसे लोगों के दृष्टिदोष का उपचार तो मैं नहीं कर सकता. कुल मिलाकर देखें तो इस चुनाव में अब तक हुई चार चरणों की वोटिंग से लगभग साफ हो चुका है कि ये पूरा चुनाव एक तरह से हिंदू बनाम मुस्लिम के खानों में बंट चुका है या बांट दिया गया है. इसलिये ये कहना गलत नहीं होगा कि आज पांचवां चरण पूरा होने के बाद छठे और सातवें चरण में भी यही दोहराया जायेगा.
Rani Sahu
Next Story