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सम्पादकीय
यूपी चुनाव का 'प्री-प्रचार'आरंभ, क्या है काशी बनाम मुरादाबाद?
Tara Tandi
15 July 2021 1:01 PM GMT
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उत्तर प्रदेश चुनाव का प्री-प्रचार शुरू हो गया है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | मनोज सिंह| उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) चुनाव का प्री-प्रचार शुरू हो गया है. काशी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) के कार्यक्रम को प्रचार उद्घाटन कह सकते हैं. प्रधानमंत्री के पूरे संबोधन से उत्तर प्रदेश चुनाव में बीजेपी (BJP) के संदेश का केंद्र बिंदु साफ हो गया है. मगर जैसा कि राजनीति में होता है, जितना दिखता है, उतना ही छिपता भी है. इस छिपने में एक रोचक बात है. वो ये कि एक तरफ जहां प्रधानमंत्री ने पूर्वी यूपी में भाषण दिया वहीं दूसरी ओर AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin owaisi) ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संभल और मुरादाबाद में रोड शो शुरू किया.
यूपी की राजनीति और आने वाले चुनावों के लिहाज़ से ये एक बड़ा दिन है. प्रदेश के दो विपरीत मगर महत्वपूर्ण क्षेत्रों में दो विपरीत विचारधारा वाली पार्टियों ने अपना प्री-प्रचार शुरू कर दिया है. मगर यूपी की बड़ी विपक्षी पार्टियां और उनके नेता अखिलेश यादव और मायावती ख़बर से ग़ायब हैं.
हिन्दू , हेल्थ और कानून की हथकड़ी!
काशी में हर-हर महादेव, हेल्थ-अस्पताल और कानून का राज, ये वो प्रमुख बिन्दु हैं जिन पर प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्वी उत्तर प्रदेश को संबोधित किया. काशी उनका अपना संसदीय क्षेत्र है. मगर इसके साथ ही पूर्वी उत्तर की हिन्दू आबादी के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र भी है. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से लेकर गंगा घाटों के सौंदर्यीकरण तक का काम बेहतर तरीके से हुआ है. नगर में जन सुविधाओं के लिए, साफ सफाई, बिजली, पीने का साफ पानी, ऐसी तमाम योजनाएं हैं जो काशी को पूरे पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए एक आदर्श नगर के तौर पर पेश करती हैं.
मगर कोरोना की दूसरी लहर में उत्तर प्रदेश की स्थिति पर काफी टिप्पणी हुई. प्रधानमंत्री के अपने संसदीय क्षेत्र, वाराणसी में स्थिति इस हद तक पहुंच गई कि, हालात संभालने के लिए खुद प्रधानमंत्री को दखल देना पड़ा. लेकिन आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी को पूर्वी उत्तर प्रदेश के 'मेडिकल हब' के तौर पर पेश किया. यह संदेश कोविड काल में हुई प्रशासन की तमाम आलोचनाओं को ख़ारिज करता है.
वहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश बीते कई दशकों से माफिया का गढ़ भी रहा है. लेकिन बीजेपी ने अपने शासन काल में अतीक अहमद, मुख़्तार अंसारी और विकास दूबे जैसे माफियाओं के ख़िलाफ बड़ी कार्रवाई को अंजाम भी दिया है. तो प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में यूपी में कानून के राज और माफिया के अंत का प्रमुखता से जिक्र किया. कुल मिलाकर प्रधानमंत्री ने यूपी में बीजेपी के प्रचार का एजेंडा साफ कर दिया. जिसके केंद्र में, हिन्दू गर्व, नागरिक एवं स्वास्थ्य सुविधाएं और माफिया के लिए क़ानून की हथकड़ी है.
प्री-प्रचार के पैकेज में ओवैसी फैक्टर!
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में यूपी चुनाव में प्रचार का कवर पेज तो दिखा दिया है. मगर ऐसा बिल्कुल नहीं कि इसके और पन्ने नहीं हैं, या नहीं होंगे. अगर बीजेपी ने पूर्वी उत्तर प्रदेश से प्री-प्रचार का शुभारंभ किया है तो असदुद्दीन ओवैसी ने ठीक इसी समय पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्री-प्रचार का बिसमिल्लाह कर दिया है. संभल और मुरादाबाद में ओवैसी ने अपना पार्टी कार्यालय खोल दिया है. दोनों ही जगहों पर वो रोड शो कर रहे हैं. इसकी एक वजह यह भी है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कुछ सीटों पर उन्हें जीत की बड़ी उम्मीद है.
पिछली बार यहां की दो सीटें उनकी पार्टी कम अंतर से हारी और इस बार तो पश्चिमी यूपी में किसानों का मूड भी बीजेपी के पक्ष में नहीं दिखता. हालांकि पिछले विधानसभा चुनावों में ओवैसी की पार्टी भले ही अपना खाता नहीं खोल पाई, मगर 2022 में बीजेपी ओवैसी को ही अपना सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी बनाकर पेश करेगी. ओवैसी को भी यह बेहतर तरीके से सूट करता है. पिछले रोज़ ही ओवैसी ने कहा कि योगी आदित्यनाथ को वो दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बनने देंगे, तो योगी ने तपाक से उनका जवाब भी दे दिया. योगी ने कहा कि, वो ओवैसी का चैलेंज स्वीकार करते हैं और 2022 में बीजेपी और ज्यादा सीटें लेकर सरकार बनाएंगी.
हालांकि, अखिलेश यादव, मायावती और प्रियंका वाड्रा भी उत्तर प्रदेश में योगी सरकार पर टिप्पणी करते रहे हैं. लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनको कोई भाव नहीं दिया. बीजेपी के प्रचार के कवर पेज पर अगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं तो फ्रंट पेज पर योगी आदित्यनाथ. और इसमें अगर ओवैसी का चैप्टर जोड़ दिया जाए तो सब का राजनीतिक फ़ायदा है. अखिलेश यादव, मायावती, प्रियंका वाड्रा भले ही ओवैसी को बीजेपी की बी टीम कहेंगे, मगर अफ़सोस उनके पास कुछ करने की योजना नहीं दिखती.
फिर विपक्ष को किसका इंतज़ार?
पिछले महीने पंचायत चुनाव के नतीजों से समाजवादी पार्टी उत्साह में ज़रूर नज़र आई, मगर जिला पंचायत चुनाव के नतीजों के बाद वह जोश भी ठंडा होता दिख रहा है. अखिलेश यादव आज भी अपने परिवार के झगड़े नहीं सुलझा पा रहे हैं. बीएसपी सुप्रीमो मायवती अपने लिमिडेट वोट बैंक को पकड़े बैठी हैं और उसके आगे बढ़ना तो दूर अब उसे बचाए रखना उनकी बड़ी चिंता लग रही है. 'आज़ाद समाज पार्टी' बनाकर युवा दलितों में लोकप्रिय हो रहे चंद्रशेखर आज़ाद रावण साइकिल यात्रा कर रहे हैं.
भीम आर्मी के संस्थापक रहे चंद्रशेखर का इलाका भी प्रमुख रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश ही है. वहीं उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ना तीन में और तेरह में दिख रही है. एक तो यूपी में कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है, तो दूसरे पार्टी इस वक्त पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों की कलह में फंसी हुई है. शायद कांग्रेस पार्टी को खुद भी लगता है कि उत्तर प्रदेश में, अब उसके बस में कुछ नहीं. समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी पिछले कुछ चुनावों में लगातार कमज़ोर हुई हैं. ऐसे में उनके गढ़ समझे जाने वाले क्षेत्रों में ओवैसी और चंद्रशेखर अभी से मेहनत करते दिख रहे हैं. यानि योगी, ओवैसी और चंद्रशेखर तीनों ही जानते हैं उन्हें क्या करना है.
कहते हैं कि राजनीति में बिसात बिछाने वाले के पास बड़ा हाथ होता है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कैबिनेट विस्तार से पिछड़ा और अति पिछड़े का समीकरण साधने के बाद यूपी गए हैं. काशी में आज उन्होंने यूपी चुनाव का प्री-प्रचार एजेंडा भी रख दिया. अब विपक्षी पार्टियों का प्रचार इस एजेंडे पर प्रतिक्रिया के आस-पास ही घूमेगा. विपक्ष के लिए समय का पहिया तो घूमेगा मगर उनका अपना समय बदलेगा इसकी संभावना उतनी ही है जितनी, मौसम विभाग की भविष्यवाणी के बाद, आसमान में बादल बनने की होती है.
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