सम्पादकीय

UP Assembly Elections 2022: क्या बीजेपी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोटों के समीकरण को साध पाएगी

Gulabi
21 Dec 2021 11:55 AM GMT
UP Assembly Elections 2022: क्या बीजेपी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोटों के समीकरण को साध पाएगी
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इसमें से हर बूथ पर अपने मुस्लिम कार्यकर्तओं को कम से कम 30 मुसलमानों के वोट बीजेपी के पक्ष में डलवाने की ज़िम्मेदारी सौंपी है
यूसुफ़ अंसारी। यूपी के आगमी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections) में क़रीब 20 प्रतिशत मुस्लिम मतदाताओं (Muslim Voters) को साधने के लिए एसपी, बीएसपी और कांग्रेस हर मुमकिन कोशिश कर रही है. अभी तक बीजेपी मुस्लिम वोटों के बंटवारे से अपनी जीत की राह आसान करती रही है. लेकिन शायद इस बार उसे भी जीतने के लिए मुस्लिम वोटों की ज़रूरत महसूस हो रही है. इसलिए सूबे के मुस्लिम बहुल इलाक़ों में उसने क़रीब पचास हज़ार बूथ छांटे हैं. इसमें से हर बूथ पर अपने मुस्लिम कार्यकर्तओं को कम से कम 30 मुसलमानों के वोट बीजेपी के पक्ष में डलवाने की ज़िम्मेदारी सौंपी है.
दरअसल बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास' के नारे को सार्थक करने के लिए 2022 के विधानसभा चुनाव में बदली हुई रणनीति के तहत मैदान में उतर रही है. वो समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलती हुई दिखना चहती है. ये अलग बात है कि पार्टी के कुछ बड़े नेता और योगी सरकार के मंत्री आए दिन मुसलमानों को चिढ़ाने वाले बयान देकर चुनाव को हिंदू-मुस्लिम के सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की पिच पर लाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन पार्टी के चुनावी रणनीतिकार चाहते हैं कि चुनाव में जाति और धर्म से अलग विकास और कल्याणकारी योजनाओं के नाम पर अपने पक्ष में माहौल खड़ा किया जाए. इसी रणनीति के तहत पार्टी ने अपने अल्पसंख्यक मोर्चे को चुनिंदा बूथों पर मुसलमानों को बीजेपी के पक्ष में वोट डालने को राज़ी करने की ज़िम्मदेरी सौंपी है.
हर बूथ पर 30 मुस्लिम वोटों का लक्ष्य
ग़ौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में क़रीब 1.63 लाख बूथ हैं. इनमें से क़रीब 50,000 बूथों पर मुस्लिम वोट चुनावी नतीज़ों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं. इनमें से करीब 40,000 बूथों पर बीजेपी के अलंपसंख्यक मोर्चा का भी संगठन तैयार हो चुका है. पार्टी ने ऐसे बूथ अध्यक्षों और अल्पसंख्यक मोर्चे के कार्यकर्ताओं को अपने-अपने स्तर पर कम से कम 30-30 मतदाताओं को बीजेपी के पक्ष में वोट डालने के लिए समझाने की ज़िम्मेदारी सौंपी है. संगठन महामंत्री सुनील बंसल के निर्देशो पर ये ज़िम्मेदारी दी गई है. इस सिलसिले में अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में यूपी औऱ केंद्रीय अल्पसंख्यक मोर्चे के नेताओं के साथ अहम बैठक हुई थी. यूपी में बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष बासित अली का दावा है कि इस बार हर बूथ से 100 अल्पसंख्यक वोट जुटाने का लक्ष्य रख गया है.
बीजेपी को क्यों है मुस्लिम वोट मिलने की उम्मीद
सवाल पैदा होती है कि मुसलमानों के ख़िलाफ़ अक्सर नकरात्मक बाते करने वाली बीजेपी को इस चुनाव में मुसलमानों के वोट मिलने की उम्मीद क्यों हैं? पार्टी के चुनावी रणनीतिकारों का मानना है कि मुस्लिम समाज के सामजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े तबक़ों को मोदी और योगी सरकार की योजनाओं का लाभ मिल रह है. लिहाज़ा इनमें बीजेपी के प्रति पहले की तरह नफरत नहीं रही. अगर इनसे संपर्क साधकर इन्हें समझया जाए कि बीजेपी इनके खिलाफ़ नहीं है बल्कि वो इनका सही मायनों मे विकास चाहती है तो इनमें से काफी लोग बीजेपी के पक्ष में मतदन कर सकते हैं. पार्टी के अंदरूनी सर्वे मे ये बात सामने आई है कि सरकारी योजनाओं का फायदा उठाने वाले मुसलमानों में बीजेपी को लकेर तल्ख़ी कम हो रही है. इसी लिए बीजेपी मुसलमानों के बीच ऐसे लोगों के छांट कर मुस्लिम वोटों में सेंध लगाने की रणनीति पर चुपचाप काम रही है.
किन योजनओं से हुआ मुसलमानों को फ़ायदा
यूपी बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चे के अध्यक्ष बासित अली के मुताबिक़ सबको मुफ्त राशन वितरण और सबको आवास और उज्ज्वला समेत तमाम योजनाओं के क़रीब 30 फीसदी लाभार्थी मुसलमान हैं. इसके अलावा आयुष्मान भारत योजना का लाभ भी बड़े पैमाने पर मुसलमानों को मिल रहा है. इस योजना के तहत सरकारी और निजी अस्पतलों में गंभीर बीमारियों का पांच लाख तक की इलाज़ फ्री होता है. इसके अलावा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पुराने मकानों की मरम्मत के लिए ढाई लाख रूपए तक की मदद सरकार से मिलती है. सूबे में ऐसे बहुत से मुसलमान हैं जो ज़िंदगी भर एक छत के लिए मेहनत करते रहें, लेकिन अपना मकान नहीं बनवा सके. मोदी सरकार की इस योजना ने उनके सिर पर पक्की छत का सपना साकार कर दिया. इसी तरह बहुत से मुसलमानों को लाखों रुपए के इलाज का भी फायदा मिला है. इन्हीं के वोटों पर अब बीजेपी की नज़र है.
कैसे हो रहा है रणनीति पर अमल
बीजेपी का अल्पसंख्यक मोर्चा बड़े पैमाने पर मुस्लिम बुद्धिजीवियों को अपने साथ जोड़ने की योजना पर काम कर रहा है. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक़ पहले यूपी में बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के पास बूथ स्तर पर बहुत कम सदस्य थे. लेकिन पिछले पांच साल में अल्पसंख्यक सेल के पास ज़मीनी स्तर पर बड़ा संगठन तैयार हो गया है. इसका दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है. अधिकतर बूथों पर अल्पसंख्यक मोर्चा का संगठन तैयार है. बीजेपी का अल्पसंख्यक मोर्चा मुस्लिम बहुल 50,000 बूथों में से करीब 40,000 पर में संगठन तैयार करने का दावा करता है. बासित अली के मुताबिक़ इस संगठन से अल्पसंख्यक युवाओं, महिलाओं और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की योजनाओं का मुसलमानों तक लाभ पहुंचाने में भी मदद मिलेगी. इससे मुसलमानों के वोट लेना और भी आसान हो जाएगा.
हर बूथ पर कैसे मिलेंगे 30 मुसलमानों के वोट
बीजेपी ने मुसलमानों के वोट हासिल करने के लिए अपने अल्पसंख्यक मोर्चे के कार्यकर्ताओं को ही इस्तेमाल कर रही है. पार्टी की तरफ से निर्देश दिए गए हैं कि हर बूथ पर कम से कम दो कार्यकर्ता अल्पसंख्यक मोर्चे से रखे जाएं. इस तरह एक कार्यकर्ता पर 15 मुसलमानों के वोट डलवाने की ज़िम्मेदारी आएगी. बीजेपी उम्मीद कर रही है कि बूथ स्तर पर ज़िम्मेदारी पाने वाला कार्यकर्ता अपने परिवार के साथ क़रीबी रिश्तेदारों और दोस्तों में से कम से कम 15 लोगो के वोट तो पार्टी को दिलवा ही सकते हैं. इस तरह एक बूथ पर दो मुस्लिम कार्यकर्ता होंगे तो पार्टी को लक्षित कम से कम औसतन 30 मुस्लिम वोट ज़रूर मिल सकते हैं. कहीं वोट कम रहेंगे तो किसी बूथ पर ये आंकड़ा ज्यादा भी होगा. पार्टी के एक नेता के मुताबिक ज़्यादातर बूथों पर मुस्लिम कार्यकर्ताओं की तैनाती हो चुकी है.
बीजेपी को कितनी सीटों पर होगा फायदा
पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा के नेता के मुताबिक़ पिछले चुनाव में बीजेपी मुस्लिम बहुल इलाकों में क़रीब 40-50 सीटों पर दो से पांच हज़ार वोटों के अंतर से हारी थी. इस बार अगर इन सीटों पर उसे इतने ही मुस्लिम वोट मिल जाएं तो इनमें से आधी से ज्यादा सीटें वो जीत सकती है. विधानसभा चुनाव में इतना अंतर काफी मायने रखता है. जिन सीटों पर सपा, बसपा, कांग्रेस और किसी मुस्लमि नेतृत्व वाली पार्टी के मुस्लिम उम्मीदवार आपस में टकराते हैं वहां बीजेपी की जात की राह वैसे ही आसान हो जाती है. लेकिन अगर इनमें से दो ही पार्टियों के मुस्लिम उम्मीदवार आमने-सामने हों तो बीजेपी का जीतना इतना आसान नहीं होता. ऐसे में अगर उसे कुछ मुस्लिम वोट मिल जाएं तो उसकी जीत की संभावना बढ़ जाएगी. इसी चुनावी गणित को देखते हुए बीजेपी की इस बार मुस्लिम वोटों पर नज़र है.
बीजेपी की ख़ासियत है कि वो हर चुनाव में अपनी सीटें बढ़ाने के लिए कुछ नया करने की सोचती है. नया लक्ष्य निर्धारित करती है. उसे हासिल करने के लिए रणनीति बनाती है और उस पर अमल भी करती है. यही बात उसे दूसरी पार्टियों से अलग करती है. यूपी के चुनाव में मुस्लिम वोट हासिल करने की बीजेपी की कोशिशें कितनी कारगर साबित होंगी, ये तो चुनावी नतीजे बताएंगे. अगर बीजेपी अपनी रणनीति से कुछ हद तक मुस्लिम वोट हासिल करने में कामयाब हो जाती है तो इससे उसे सत्ता में वापसी करने में काफ़ी मदद मिल सकती है. ऐसी सूरत में बीजेपी का ये दावं ख़ुद को मुस्लिम वोटों का दावेदार समझने वाली पार्टियों के लिए बड़ा झटका साबित होगा.
(डिस्क्लेमर: लेखक एक वरिष्ठ पत्रकार हैं. आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.)
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