सम्पादकीय

UP Assembly Election: क्या मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ बयानबाज़ी से कामयाब होगी ध्रुवीकरण की कोशिशें?

Gulabi
28 Dec 2021 1:18 PM GMT
UP Assembly Election: क्या मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ बयानबाज़ी से कामयाब होगी ध्रुवीकरण की कोशिशें?
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उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिशें तेज़ हो गई हैं
यूसुफ़ अंसारी।
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Elections) से पहले सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिशें तेज़ हो गई हैं. जम कर हिंदू-मुसलमान हो रहा है. हाल ही में हरिद्वार में हुई धर्म संसद में मुसलमानों के खिलाफ हुई भड़काऊ बयानबाज़ी से यूपी का सियासी महौल भी गरमा रहा है. बीजेपी नेताओं ने असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) के दो हफ्ते पुराने भाषण का एक हिस्सा सोशल मीडिया पर वायरल करके हरिद्वार में मुसलमानों के ख़िलाफ़ लगे नारों को न्यायोचित ठहराने की कोशिश की. इस पर ओवैसी को भी सफाई देनी पड़ी. शनिवार को फिरोज़ाबाद की रैली में ओवैसी ने धर्मसंसद में आग उगलने वालों को जवाब दिया.
फिरोज़ाबाद की रैली में ओवैसी फुल फार्म में दिखे. उन्होंने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को निशाने पर लिया. ओवैसी बोले कि पीएम गुजरात के एक चर्च में जाकर भारत को अखंड बनाए रखने की बात करते हैं, वहीं उत्तराखंड में हुई धर्म संसद में देश को तोड़ने वाली बाते कही गईं. उस पर वो चुप हैं. सूबे में उनकी पार्टी की सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की. वहां एक साहब ने कहा कि मैं सांसद होता तो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को गोली मार देता. दूसरे ने कहा कि भगवा संविधान लाना है, क्योंकि बाबा साहब का संविधान नहीं मानेंगे. एक ने नाथूराम गोडसे की पूजा करने की बात कही. ओवैसी ने कहा कि जिस नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी को गोली मारी हो वह आजाद भारत का सबसे पहला आतंकी था. उन्होंने पूछा कि क्या ऐसा करने वालों के ख़िलाफ़ मोदी-योगी कार्रवाई करेंगे?
बीजेपी और ओवैसी की गुटबंदी
जहां बीजेपी ओवैसी पर लगातार हमला करके उन्हें चुनाव के केंद्र में बनाए रखना चाहती है, वहीं बीजेपी की कोशिशों में हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी अप्रत्यक्ष रूप से मदद कर रहे हैं. अपनी पार्टी ऑल इंडिया इत्तेहादुल मुसलमीन की पिछली कई रैलियों में ओवैसी ने मुसलमानों से एसपी, बीएसपी, कांग्रेस और आरएलडी जैसी सेक्युलर पार्टियों को छोड़कर उनकी पार्टी को वोट देने की अपील की है. एक रैली में ओवैसी ने कहा था कि बीजेपी हिंदुओं के वोट की ताक़त से सत्ता में आती है तो मुसलमानों को भी एकजुट होकर अपनी ताक़त दिखानी चाहिए. फिरोज़ाबाद में ओवैसी ने कहा कि बीजेपी उन पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाती है. यदि 80 वर्ष के बूढ़े की दाढ़ी नोची जाएगी तो मैं बोलूंगा चाहे वह बुजुर्ग मुसलमान हो या फिर हिंदू. हम ज़ालिमों के नहीं मज़लूमों के साथ हैं.
मथुरा में मंदिर का मुद्दा
पिछले चुनाव में ध्रुवीकरण के सहारे बीजेपी अकेले 312 और अपने सहयोगियों के साथ 325 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई थी. इस बार भी वो यही कोशिश कर रही है. इसी लिए उसके नेता अयोध्या में राम मंदिर और वाराणसी में काशी कॉरिडोर बनने के बाद अब मथुरा में भी मंदिर निर्माण का मुद्दा उठा रहे हैं. यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से लेकर मथुरा की सांसद हेमा मालिनी तक कई बड़े नेता ये मुद्दा उठा चुके हैं. ज़ाहिर है कि बीजेपी अपने कट्टर समर्थक हिंदू मतदाताओं को लुभाने के लिए ही इस मुद्दे को ज़ोर शोर से उठा रही है. इसके लिए बीजेपी की तरफ से कहा जा रहा है कि जैसे उसने अयोध्या में मंदिर का सदियों पुराना सपना साकार किया है वैसे ही वो मथुरा में भी मंदिर का बरसों पुराना सपना साकार करके दिखाएगी.
मुसलमानों के ख़िलाफ़ भड़काऊ बयानबाज़ी
बीजेपी की तरफ़ से मुसलमनों के ख़िलाफ लगातार भड़काऊ बयानबाज़ी हो रही है. ये इसलिए कि मुसलमान भी उकसावे में आकर प्रतिक्रिया दें तो संप्रदायिक ध्रुवीकरण आसान हो जाएगा. कभी 'जालीदार टोपी' और 'लुंगी' के बहाने मुसलमानों को निशाने पर लिया जता है तो कभी आतंकवादी और देशद्रोही बताया जाता है. हैरानी की बात तो यह है कि मोदी और योगी सरकार के मंत्रियों के साथ सांसद भी ग़ैर ज़िम्मेदाराना बयान देकर आग में घी डालने पर तुले हुए हैं. शुक्रवार को बहराइच में कैसरगंज के सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने खूब ज़हर उगला. सांसद ने कर्नल पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा का जिक्र करते हुए कहा कि इन्हें आतंकवादी करार देने में कांग्रेस ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने कहा कि वो सभी मुसलमानों पर आरोप नहीं लगा रहा रहे, लेकिन यह सत्य है कि जितने आतंकवादी हैं वह मुसलमान ही हैं.
औरंगज़ेब बनाम शिवाजी की याद
बीजेपी की चुनावी रैलियों में काफ़ी दिनों से जिन्ना का ज़िक्र हो रहा था. अब औरंगज़ेब को भी घसीट लिया गया है. मक़सद मुसलमानों को चिढ़ाना और मुसलमानों का डर दिखाकर कट्टर हिंदू वोटबैंक को साधना है. कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वराणसी में काशी विश्वनाथ धाम के पहले चरण के उद्घाटन के वक़्त औरंगज़ेब का ज़िक्र किया था. इस मौक़े पर मोदी ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में जब भी औरंगजेब पैदा हुआ, तब इस मिट्टी से शिवाजी का भी उदय हुआ. यह देश, बाकी दुनिया से अलग है. मोदी के इस बयान के बाद बीजेपी के तमाम नेता अब इसी लाइन पर बयान दे रहे हैं. बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक ट्वीट में असदुद्दीन ओवैसी को चुनौती देते हुए कहा कि हम औरंगज़ेब और जिन्ना से नहीं डरे तो तुमसे क्या डरेंगे.
जिन्ना का जमकर ज़िक्र
जब से यूपी में चुनावी सरगर्मियां तेज़ हुई हैं, तब से उसकी लगभग हर चुनावी सभा में जिन्ना का ज़िक्र होता है. पिछले महीने नोएडा एयरपोर्ट के शिलान्यास कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि यहां के किसानों ने कभी किसी काल खंड में गन्ने की मिठास को आगे बढ़ाने का प्रयास किया था, लेकिन गन्ने की मिठास को कुछ लोगों ने कड़वाहट में बदलकर दंगों की शृंखला खड़ी की थी. आज देश के अंदर एक नया द्वंद्व बना है कि गन्ने की मिठास को एक नई उड़ान मिलेगी या जिन्ना के अनुयायियों से दंगा कराने की शरारत होगी. इसके बाद कई नेता चुनावी सभाओं में जिन्ना का ज़िक्र कर चुके हैं. शुक्रवार को बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि आजादी के बाद जिन्ना तना ले गए, लेकिन जड़ देश में ही छोड़ गए. जिसका खामियाजा आज देश भुगत रहा है.
अखिलेश को मुसलमानों से जोड़ने की कोशिश
बीजेपी अपनी सबसे मज़बूत प्रतिद्वंदी समाजवादी पार्टी के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को लगातार मुसलमानों से जोड़ने की कोशिश कर रही है. शुक्रवार को बहराइच में कैसरगंज के संसद बृजभूषण शरण सिंह ने अखिलेश यादव को घेरते हुए यहां तक कह डाला कि एक बार जनता ने बीजेपी को फिर से जनादेश दे दिया तो अखिलेश यादव अल्लाह-अल्लाह चिल्लाने लगेंगे. कुछ दिन पहले केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश को 'अखिलेश अली जिन्ना' कहा था. हालांकि अखिलेश और मुलायम को मुस्लिम पहचान से जोड़ने की शुरुआत कई महीनों पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 'अब्बाजान' से की थी. बाद में कई बार उन्होंने ने इसका इस्तेमाल किया. ग़ौरतलब है कि 90 के दशक में मुलायम सिंह खुद को 'मौलान मुलायम' कहलवाना पसंद करते थे. तब मुस्लिम पहचान से उन्हें राजनीतिक फ़ायदा होता था. लेकिन अब मुस्लिम पहचान का यही दावं उनके बेटे पर उलटा पड़ रहा है.
बीजेपी के बयानों से मिला ओवैसी को मिला मौक़ा
मुसलमानों के ख़िलाफ़ हो रही इस भड़काऊ बयानबाज़ी से असदुद्दीन ओवैसी को भी अपनी राजनीति चमकाने का मौक़ा मिल रहा है. ओवैसी भी मुसलमानों के जज़्बात से खेलने का कोई मौक़ा नहीं चूक रहे. हरिद्वार में धर्मसंसद में मुसलमानों के ख़िलाफ़ हुई भड़काऊ बयानबाज़ी के बाद ओवैसी का जो बयान वायरल हुआ है उसमें वो एक मुस्लिम बुज़ुर्ग की दाढ़ी नोचने वाले पुलिसकर्मी के बहाने पुलिस को चेतावनी देते दिख रहे हैं. ओवैसी कह रहे हैं कि जब योगी मठ में वापिस चल जाएंगे और मोदी सन्यास लेकर पहाड़ों पर चले जाएंगे तो तब तुम्हें कौन बचाएगा. ओवैसी साफ कहते हैं कि यूपी में बीजेपी के राज में मुसलमनों पर ज़ुल्म हो रहे हैं. बीजेपी राज में मुसलमान कभी सुरक्षित नहीं रह सकते. इसलिए वो मुसलमानों का नेता बनने यहां आए हैं. ओवैसी के जज़्बाती भाषणों पर मुसलमान तालियां भी खूब पीटते हैं.
हालांकि ओवैसी अपने भाषणों में बीजेपी से ज़्यादा एसपी, बीएसपी और कंग्रेस को निशाने पर रखते हैं. हर रैली में उनका तर्क होता है कि सेक्युलरिज़्म के नाम पर ये पार्टियों मुसलमानों के वोट तो लेते रहे हैं लेकिन सत्ता में आने पर मुसलमानों को सत्ता में वाजिब हिस्सेदारी नहीं देती. वहीं बीजेपी ओवैसी को मुगलों से जोड़कर और उनका डर दिखा कर अपने खिसकते जनाधार को वपिस अपने खेमे में लाना चाहती है. तो बाजेपी के खिलाफ़ मुसलमानों की नफ़रत को भुनाकर ओवैसी मुसलमनों के वोट के ज़रिए सूबे में अपनी पार्टी का खाता खोलकर पैर जमाना चाहते हैं. अपने-अपने राजनीति हित साधने के लिए बीजेपी और ओवैसी एक-दूसरे पर भड़ास निकाल कर यूपी को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की आग में झोंक रहे हैं.
(डिस्क्लेमर: लेखक एक वरिष्ठ पत्रकार हैं. आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.)
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