सम्पादकीय

UP Assembly Election: क्या यूपी के चुनाव को प्रभावित करेगा कर्नाटक का हिजाब विवाद?

Gulabi
9 Feb 2022 5:17 PM GMT
UP Assembly Election: क्या यूपी के चुनाव को प्रभावित करेगा कर्नाटक का हिजाब विवाद?
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कर्नाटक का हिजाब विवाद
कर्नाटक (Karnataka) में पिछले क़रीब एक महीने से चल रहे हिजाब पर विवाद (Hijab Controversy) ने अब उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) में भी दस्तक दे दी है. पहले चरण के मतदान से एक दिन पहले यह मुद्दा यूपी की सियासत में पूरी तरह छाया हुआ है. इसके बहाने पाकिस्तान भी चर्चा में आ गया है. यह तमाम ऐसे मुद्दे हैं जो भारत के किसी भी राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में अक्सर आ जाते हैं और चुनाव को प्रभावित करते हैं. ऐसा लगने लगा है कि कर्नाटक में हिजाब पर चल रहे विवाद का असर यूपी के चुनाव पर भी पड़ सकता है.
गौरतलब है कि पहले चरण में पश्चिमी उत्तर के 11 जिलों की 58 सीटों पर वोट डाले जाने हैं. इनमें से कई जिलों में मुस्लिम आबादी 25 से लेकर 40 फीसदी तक है. यूपी में सत्ता पर कब्जे को लेकर चल रहे चुनावी जंग में बीजेपी और सपा गठबंधन के लिए पहले चरण का मतदान बहुत महत्वपूर्ण है. बीजेपी ने पिछली बार पहले चरण की 58 में से 53 सीटें जीतीं, जबकि समाजवादी पार्टी को 2 सीटें मिली थीं. इस चुनाव में उसकी सहयोगी आरएलडी को 1 सीट मिली थी. दो सीटें बीएसपी के खाते में गई थीं, कांग्रेस की झोली खाली थी. इस बार अखिलेश यादव आरएलडी के अध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ मिलकर जाट-मुस्लिम समीकरण के सहारे बीजेपी की जड़ें खोदना चाहते हैं. वहीं बीजेपी सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के सहारे जाट-मुस्लिम एकता को तोड़कर फिर से पिछली बार जीती सीटों का आंकड़ा छूने की कोशिशों में है. यही वजह है कि हिजाब पर विवाद के चलते पश्चिमी यूपी में समीकरण बिगड़ने की आशंका पैदा हो गई है.
यूपी में हिजाब विवाद खींच लाए ओवैसी
यूपी की सियासत में सबसे पहले हिजाब विवाद को खींचा ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने. मंगलवार को ओवैसी ने संभल में चुनाव प्रचार करते हुए पूछा कि भाजपा सरकार हमारी बेटियों को हिजाब पहनकर पढ़ाई नहीं करने दे रही है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन तलाक़ कानून के साथ मुस्लिम महिलाओं को सशक्त बनाने की बात करते हैं. क्या यही उनकी 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान की पिच है? ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने संसद में दो बार बात की लेकिन कर्नाटक में चल रहे हिजाब पर विवाद का एक बार भी जिक्र नहीं किया.
राष्ट्रीय आंकड़े बताते हैं कि तीन से 25 साल की उम्र की कई मुस्लिम लड़कियां कभी स्कूल नहीं गई हैं. प्रधानमंत्री उन लोगों के साथ ऐसा कर रहे हैं जो शिक्षित होने की कोशिश कर रही हैं. क्या यह मज़ाक नहीं है? ओवैसी के हिजाब विवाद पर बयान देते हैं यूपी की सियासत गरमा गई.
महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बनी मुस्कान
इससे पहले ओवैसी ने ट्वीट करके कहा था, 'एक वीडियो वायरल हुआ है कर्नाटक का, जिसमें एक बच्ची हिजाब पहनकर स्कूल पहुंचती है और उसको देखकर लोग नारे लगाते हैं तो उस बच्ची ने भी अल्लाह का नारा लगाया, मैं उस बच्ची को सलाम करता हूं.'
इस बच्ची को सलाम करने वाले ओवैसी अकेले नहीं हैं, बल्कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने भी इस बच्ची के लिए पांच लाख रुपए इनाम का ऐलान कर दिया है. ख़बर है कि कई और मुस्लिम संगठनों ने भी इस लड़की की हिम्मत की दाद देते हुए लाखों रुपए का इनाम देने का ऐलान किया है.
बता दें कि बुर्के में यह लड़की स्कूल जा रही थी. भगवा गमछा धारी कुछ लड़कों ने उसे घेर लिया था और 'जय श्रीराम' के नारे लगाने लग गए. जवाब में इस लड़की ने भी हिम्मत दिखाते हुए 'अल्लाह हू अकबर' के नारे लगाए. इस लड़की का ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. मुस्कान नाम की यह लड़की महिला सशक्तिकरण और हिजाब को लेकर चल रही लड़ाई का प्रतीक बन गई है.
प्रियंका गांधी ने भी लपका मुद्दा
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कर्नाटक में हिजाब को लेकर चल रहे विवाद के बीच बुधवार को कहा कि यह फैसला करना महिलाओं का अधिकार है कि उन्हें क्या पहनना है और पहनावे को लेकर उत्पीड़न बंद होना चाहिए. प्रियंका ने 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' हैशटैग से ट्वीट किया, 'चाहे वह बिकनी हो, घूंघट हो, जींस हो या हिजाब हो, यह फैसला करने का अधिकार महिलाओं का है कि उन्हें क्या पहनना है.' प्रियंका गांधी ने कहा, 'इस अधिकार की गारंटी भारतीय संविधान ने दी है. महिलाओं का उत्पीड़न बंद करो.' हालांकि लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब प्रियंका गांधी से पूछा गया कि स्कूल की ड्रेस के विवाद में बिकनी कहां से आ गई तो उनसे जवाब देते नहीं बना.
बीजेपी नेताओं का पलटवार
ओवैसी और प्रियंका के हिजाब पर दिए बयानों के बाद बीजेपी नेता उन पर हमलावर हो गए हैं. यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने प्रियंका गांधी के इस बयान पर सख्त आपत्ति जताई. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस ने जानबूझकर यह विवाद पैदा किया है.
उन्होंने कहा कि 'अगर किसी कॉलेज में मना है, तो वहां वही पोशाक क्यों पहने? बाहर पहनिए. जनता इसका जवाब देगी. इन्हीं सब हरकतों की वजह से कांग्रेस इतिहास के पन्नों में दर्ज हो रही है.' पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में भी कर्नाटक की तर्ज पर बुर्के और हिजाब पर पाबंदी लगाए जाने की बात हो रही है. मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दो टूक कहा है कि उनकी सरकार कर्नाटक की तर्ज पर स्कूल का ड्रेस कोड लागू करेगी जिसमें बुर्के या हिजाब पहनने पर पाबंदी होगी.
वहीं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि बुर्के और हिजाब की वकालत करने वाले लोग भारत को इस्लामिक स्टेट बनाना चाहते हैं लेकिन मोदी सरकार ऐसा नहीं होने देगी. ये तमाम बयान यूपी की सियासत को गर्माने के लिए काफी है.
मुस्लिम वोटरों पर ओवैसी की नज़र
असदुद्दीन ओवैसी जहां हिजाब विवाद को तूल देकर मुसलमानों के वोट को अपनी पार्टी की झोली में डालना चाहते हैं, वहीं बीजेपी इसकी प्रतिक्रिया में कट्टर हिंदू वोटों को अपने साथ एकजुट रखने की कोशिशों में जुटी हुई है. इसी मकसद से हिजाब वाले विवाद को देशभर में बढ़ाया जा रहा है, पहले चरण के चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी के उम्मीदवार हैं. उम्मीदवार कहीं सपा गठबंधन तो कहीं बीएसपी के मुस्लिम उम्मीदवारों की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं. ओवैसी को यूपी में अपनी अपनी पार्टी की साख बचाने के लिए अपनी पार्टी का खाता खोलना जरूरी है. उन्हें लगता है कि मतदान से पहले हिजाब विवाद को हवा देकर वो मुसलमान वोटरों को आकर्षित कर सकते हैं. इस सूरत में सपा गठबंधन को नुकसान हो सकता है.
धार्मिक पहचान को लेकर गंभीर हैं मुसलमान
दरअसल मुसलमान अपनी धार्मिक पहचान को लेकर काफी गंभीर रहते हैं. हाल ही में मुस्लिम पहचान या उनके धार्मिक गतिविधियों को लेकर हिंदूवादी ताकतों ने जिस आक्रामक तरीके से आपत्ति जताना शुरू किया है, उससे मुसलमानों में असुरक्षा की भावना बढ़ रही है. कर्नाटक में चल रहा हिजाब का मुद्दा भी ऐसा ही है. वहां से कभी हिजाब पहने लड़कियों के सामने भगवा गमछाधारी छात्रों का प्रदर्शन तो कभी भगवा स्कार्फ पहने लड़कियों का 'जय श्रीराम' के नारे लगाते हुए प्रदर्शन की तस्वीरों पर देश भर से प्रतिक्रिया आईं. अब बुर्के वाली लड़की के पीछे भगवा गमछा धारी लड़को के समूह के वीडियो पर दुनियाभर से प्रतिक्रिया सामने आ रही हैं. ऐसे में यूपी का मुसलमान भी इससे अछूता नहीं रह सकता.
हिजाब विवाद पर सपा-बसपा आरएलडी की चुप्पी
यूपी में समाजवादी पार्टी सत्ता की प्रबल दावेदार मानी जा रही है. वो इस मुद्दे पर खामोश है. न अखिलेश कुछ बोले न जयंत का कोई बयान आया. मायावती ने भी इस पर बोलना मुनासिब नहीं समझा. बीएसपी भी अपने पुराने दलित-मुस्लिम समीकरण के सहारे चुनाव में बने रहने की कोशिश कर रही है. इन हालात में असदुद्दीन ओवैसी मुसलमानों को फिर यह याद दिलाने लगे हैं कि उनके वोट से कई कई बार सत्ता में आने वाली पार्टियां उस वक़्त खामोश हो जाती हैं जब उनके समर्थक मुसलमानों को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है. ओवैसी की ऐसी बातें जज़्बाती मुसलमान खूब पसंद करते हैं. ऐसी बातों से वो मुस्लिम समाज में बेहद लोकप्रिय हो गए हैं. अगर उनकी तरफ कुछ वोट खिसकते हैं तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पहले चरण वाली कई सीटों पर उलटफेर हो सकता है.
किस जिले में कितने मुसलमान
पहले चरण में जिन 11 जिलों की 58 सीटों पर वोट पड़ेंगे, वहां मुस्लिम वोट बहुत निर्णायक हैं. जानिए किस जिले में कितने मुस्लिम मतदाता हैं. ऐसे में ये जान लेते हैं कि किस जिले में कितने मुसलमान हैं. इन ज़िलों में हिजाब विवाद से मतदान प्रभावित करने की कोशिश हो रही हैं.
शामली – 41.73 प्रतिशत, मुजफ्फरनगर – 40 प्रतिश, मेरठ – 34.43 प्रतिशत, हापुड़ – 32.39 प्रतिशत, बागपत – 27.98 प्रतिशत, गाजियाबाद – 22.53 प्रतिशत, बुलंदशहर – 22.22 प्रतिशत, मथुरा – 15.2 प्रतिशत, नोएडा – 13.08 प्रतिशत, आगरा – 12 प्रतिशत
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