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बीजेपी और समाजवादी पार्टी
एम हसन.
पांच चरणों में 292 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान पूरा होने के साथ ही अंतिम दो राउंड में केवल 111 सीटें बची हैं. इसलिए पूर्वांचल में छोटे क्षेत्रीय दलों के साथ जातिगत गठबंधन महत्वपूर्ण हो गया है और बीजेपी और एसपी दोनों इन पार्टियों के समर्थन से अपनी स्थिति को और मजबूत करने की उम्मीद कर रहे हैं.
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का चुनावी रथ अब राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पूर्वांचल (पूर्वी यूपी) में पहुंच गया है. इसके साथ ही अब सत्तारूढ़ बीजेपी (BJP) और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के चुनावी सहयोगियों का प्रदर्शन महत्वपूर्ण हो गया है. हमें मुख्तलिफ कनेक्शनों पर नज़र डालना होगा. बीजेपी ने डॉ. संजय निषाद के नेतृत्व वाली निषाद पार्टी और केंद्रीय राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व वाली अपना दल (सोनेलाल) के साथ गठबंधन किया है. समाजवादी पार्टी ने ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP), केन्द्रीय राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल की मां कृष्णा पटेल के नेतृत्व वाली अपना दल (कमेरावादी), केशव मौर्य के महान दल और जयंत चौधरी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोक दल (RLD) के साथ गठबंधन किया है. आरएलडी और महान दल पश्चिम यूपी तक ही सीमित थे.
हालांकि यह सब कुछ वर्णमाला के झोल की तरह लग सकता है, फिर भी यह गठबंधन यूपी चुनाव के अंतिम दो चरणों के चुनावी समीकरणों को आकार दे सकते हैं और परिभाषित भी कर सकते हैं. पूर्वी यूपी में बीजेपी और एसपी ने अपने सहयोगियों को 45 सीटें दी हैं. यह क्षेत्र अब सत्ता के दो प्रमुख दावेदारों के लिए काफी महत्वपूर्ण हो गया है. ये सीटें बस्ती, गोरखपुर, आजमगढ़, वाराणसी और मिर्जापुर संभाग में हैं, जहां अगले दो चरणों में 3 और 7 मार्च को मतदान होना है. सभी सीटों पर चुनाव लड़ते हुए बीएसपी और कांग्रेस ने किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया है.
अंतिम दो राउंड में केवल 111 सीटें बची हैं
बलरामपुर में एक रैली को संबोधित करते हुए राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन ने पिछले पांच चरणों में अपनी स्थिति मजबूत की है और भारी बहुमत के साथ सरकार बनाने की ओर बढ़ रही है, जबकि एसपी और सहयोगी दल का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है. उन्होंने कहा, "यह यूपी में हीरो बनाम जीरो की लड़ाई है." हालांकि स्वामी प्रसाद मौर्य, जो बीजेपी छोड़कर एसपी में शामिल हो गए थे, ने कहा कि एसपी गठबंधन चुनाव जीतने के लिए तैयार है. दोनों मनमाफिक सोच में लगे हुए हैं क्योंकि दोनों में से कोई भी इस बार के चुनाव से भागता हुआ नहीं दिख रहा है.
पांच चरणों में 292 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान पूरा होने के साथ ही अंतिम दो राउंड में केवल 111 सीटें बची हैं. इसलिए पूर्वांचल में छोटे क्षेत्रीय दलों के साथ जातिगत गठबंधन महत्वपूर्ण हो गया है और बीजेपी और एसपी दोनों इन पार्टियों के समर्थन से अपनी स्थिति को और मजबूत करने की उम्मीद कर रहे हैं. बीजेपी ने अपने सहयोगियों की संभावनाओं को मजबूती देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित नेताओं की फौज को मैदान में उतारा है. दूसरी तरफ एसपी प्रमुख अखिलेश यादव, उनकी पत्नी डिंपल यादव, एसपी सांसद जया बच्चन और अन्य ने पूर्वी यूपी की कमान संभाल ली है. योगी खुद गोरखपुर से चुनाव लड़ रहे हैं जहां 3 मार्च को मतदान होना है.
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) और अपना दल (एस) के साथ गठबंधन में बीजेपी ने 2017 के चुनाव में 111 सीटों में से 75 सीटें जीती थीं और यही वजह थी कि पार्टी को 324 सीटें मिली थीं. अपना दल को 5, सुभासपा को 4 और निषाद पार्टी एक सीट मिली थी. एसपी ने 13, बीएसपी ने 11, कांग्रेस और निर्दलीय ने एक-एक सीट पर जीत हासिल की थी.
पूर्वांचल को यूपी में सत्ता का प्रवेश द्वार माना जाता है
अब पूर्वांचल की सुभासपा पार्टी एसपी में शामिल हो गई है तो भगवा ब्रिगेड को इस इलाके में निषाद पार्टी और अपना दल (एस) के समर्थन पर निर्भर होना पड़ रहा है. बीजेपी ने निषाद पार्टी को जहां 16 सीटें दी हैं, वहीं अपना दल (एस) 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. 2017 में अपना दल ने 11 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे 9 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि निषाद पार्टी सिर्फ एक सीट जीत सकी थी. कुर्मी-पटेल वोटों की सारी जिम्मेदारी अपना दल (एस) के कंधों पर है. यह पार्टी इस समुदाय का प्रतिनिधित्व करती है और बीजेपी 2017 के चुनावों की तरह उनकी जीत पर निर्भर है. इसी तरह, निषाद पार्टी पूर्वी यूपी के गोरखपुर क्षेत्र में निषाद-मांझी-मछुवारा (मछुआरे) समुदाय के समर्थन का दावा करती है. बुंदेलखंड की कालपी सीट को छोड़कर जहां पहले ही मतदान हो चुका है, निषाद पार्टी की बाकी 15 सीटों पर छठे चरण में मतदान होंगे.
एसपी के खेमे से सुभासपा ने 18 सीटों पर और अपना दल (के) ने छह सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. बीजेपी के साथ गठबंधन में सुभासपा ने 2017 में चार सीटें जीती थीं. ओपी राजभर के नेतृत्व वाले सुभासपा के साथ गठबंधन के अलावा, जो जहूराबाद (गाजीपुर) सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, एसपी को बीजेपी छोड़ कर आए दो पूर्व मंत्रियों स्वामी प्रसाद और दारा सिंह चौहान से समर्थन मिलने की उम्मीद है. मौर्या फाजिलनगर (कुशीनगर) और दारा सिंह चौहान घोसी (मऊ) से मुकाबले में हैं. मौर्य और चौहान दोनों ओबीसी नेता हैं जिनकी जड़ें पूर्वांचल में हैं और उन्हें धूमधाम से एसपी में शामिल किया गया था. चूंकि इस क्षेत्र में ओबीसी मौर्य-कुशवाहों की अच्छी पकड़ है , इसलिए एसपी को यह उम्मीद है कि स्वामी प्रसाद एसपी-गठबंधन के पक्ष में हवा बहाने में सक्षम होंगे. इसी तरह, नॉनिया समुदाय से ताल्लुक रखने वाले चौहान के गाजीपुर, मऊ, आजमगढ़ और वाराणसी इलाकों में काफी समर्थक हैं, इसलिए कोई भी निश्चित रूप से नहीं कह सकता कि कौन जीतेगा.
पूर्वांचल को यूपी में सत्ता का प्रवेश द्वार माना जाता है. बीजेपी और एसपी दोनों ने ओबीसी-एमबीसी के दुर्जेय जातिगत गठबंधनों को खड़ा किया है. यह क्षेत्र ओबीसी बहुल है और ऊंची जातियां और मुसलमान कुछ इलाकों में बिखरे हुए हैं. ब्राह्मण समाज, जो 2017 में बीजेपी के साथ मजबूती से खड़ा था, का पिछले पांच वर्षों के दौरान योगी सरकार के "ठाकुर-प्रभुत्व" प्रशासन के कारण पार्टी से मोहभंग हो गया है. पूर्वांचल में ठाकुर-ब्राह्मण के बीच की प्रतिद्वंद्विता पारंपरिक रही है. जहां बीजेपी ने ब्राह्मण समुदाय को अपने पक्ष में रखने के लिए गोरखपुर के एसपी शुक्ला के नेतृत्व में समुदाय के कई नेताओं के मतभेदों को सुलझाने के लिए तैनात किया है, वहीं एसपी ने जाने माने ब्राह्मण नेता हरिशंकर तिवारी को अपने पक्ष में कर सत्ताधारी पार्टी के वोट-बैंक में सेंध लगाने की तैयारी में हैं.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.)
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