सम्पादकीय

UP assembly election: 1977 में संजय गांधी पर चलीं गोलियां भी चुनाव जीतने के लिए कारगर नहीं हुईं

Rani Sahu
6 Feb 2022 8:56 AM GMT
UP assembly election: 1977 में संजय गांधी पर चलीं गोलियां भी चुनाव जीतने के लिए कारगर नहीं हुईं
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1977 में संजय गांधी पर चलीं गोलियां भी चुनाव जीतने के लिए कारगर नहीं हुईं

सुरेंद्र किशोर

हाल में उत्तर प्रदेश में जब असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) पर हमला हुआ तो अमेठी के दो हमले याद आ गए. सन 1977 में अमेठी लोक सभा चुनाव क्षेत्र में प्रचार अभियान के दौरान प्रधान मंत्री के छोटे पुत्र संजय गांधी (Sanjay Gandhi) की जीप पर पांच गोलियां दागी गईं थीं. तीन गोलियां उनकी जीप पर लगीं. संजय गांधी के सुरक्षाकर्मियों ने जवाबी फायरिंग की. पर, हमलावर अंधेरे का लाभ उठाकर भाग गए. बाद में भी कोई पकड़ा नहीं गया. सरकार बदल जाने के बाद संजय गांधी भी वह 'घटना' 'भूल' गए. मीडिया के एक हिस्से ने लिखा कि ''संजय गांधी बाल-बाल बचे.''पर, प्रतिपक्ष ने कहा कि यह लोगों की सहानुभूति प्राप्त करने के लिए खुद का किया ड्रामा है. इस घटना पर जयप्रकाश नारायण ने कहा कि ''यह बहुत चिंताजनक खबर है.''जय प्रकाश नारायण हिंसा के सख्त विरोधी थे. बिहार आंदोलन के दौरान भी उन्होंने हमेशा आंदोलनकारियों को अहिंसक रखा. संजय गांधी पर तथाकथित हमले पर प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि लोकतंत्र में हिंसा की कोई जगह नहीं है. जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अशोक मेहता और इंदिरा जी की बुआ विजयलक्ष्मी पंडित ने भी इस घटना की भर्त्सना की.
इमरजेंसी विरोधी लहर के कारण ये दोनों चुनाव बुरी तरह हार गए
स्पष्टवादी नेता जे.बी.कृपलानी ने इस घटना को मनगढंत बता दिया. उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायणदत्त तिवारी ने कहा कि यह हमला लोकतंत्र पर है. जनता पार्टी के महासचिव सुरेंद्र मोहन ने इस घटना की न्यायिक जांच कराने की मांग की. याद रहे संजय गांधी पहली बार कोई चुनाव लड़ रहे थे. उनकी मां और देश की प्रधान मंत्री बगल के लोकसभा क्षेत्र रायबरेली से चुनाव लड़ रही थीं.
अमेठी चुनाव क्षेत्र के गौरी गंज थाने में इस संबंध में लिखाई गई रपट के अनुसार 14 मार्च 1977 की रात में जब करीब 10 बजे संजय गांधी अपने सहयोगियों के साथ गौरी गंज लौट रहे थे तो मुंशीगंज के मोड़ के पास एक जीप में बैठे दो लोगों ने संजय गांधी पर गोलियां चलाईं.
उत्तर प्रदेश पुलिस और खुफिया पुलिस ने मौके पर पहुंच कर पूरी सरगर्मी से जांच पड़ताल शुरू कर दी. हालांकि इमरजेंसी विरोधी लहर के कारण ये दोनों चुनाव बुरी तरह हार गए.
संजय सिंह बाल-बाल बच गए.
संयोगवश सन 1989 के लोक सभा चुनाव के समय भी अमेठी में गोलियां चली थीं. गोली अमेठी राज परिवार के सदस्य संजय सिंह के पेट में लगी. वे गंभीर रूप से घायल हो गए. उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा. पहले घायल संजय सिंह को लोग सुलतानपुर ले गए. बाद में उन्हें लखनऊ के अस्पताल में भर्ती किया गया. विश्वनाथ प्रताप सिंह के करीबी रिश्तेदार संजय सिंह अमेठी लोक चुनाव के दौरान मतदान केंद्र पर कब्जा का विरोध कर रहे थे, कांग्रेसी कब्जा कर रहे थे.
गोरखपुर से गए कुख्यात बाहुबलियों से संजय सिंह का आमना-सामना हो गया. तब अमेठी में प्रधान मंत्री राजीव गांधी के खिलाफ जनता दल से राजमोहन गांधी चुनाव लड़ रहे थे. संजय सिंह उनकी मदद कर रहे थे. राजमोहन गांधी वैसे तो जनता दल के उम्मीदवार थे किंतु अन्य प्रतिपक्षी दलों का समर्थन भी उन्हें हासिल था.
अमेठी चुनाव क्षेत्र में राजीव गांधी की चुनावी सभा छोटी और वी.पी.सिंह की बड़ी हुई थी
इससे घबराकर कांग्रेस ने किसी भी कीमत पर चुनाव जीतने की तैयारी कर ली थी. सन 2021 के पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव के दौरान जिस तरह की व्यापक धांधली की खबर आ रही थी,उसी तरह की धांधलियां सन 1989 में अमेठी में हुई थीं. अमेठी में प्रशासन व सुरक्षा बल के लोग धांधली में कांग्रेस का पूरा साथ दे रहे थे. राजीव गांधी के चुनाव की कमान सतीश शर्मा ने संभाल रखी थी. उससे पहले कांग्रेस की हताशा को लेकर जनता दल के अध्यक्ष वी.पी.सिंह ने कहा था कि ''प्रधान मंत्री राजीव गांधी का
हाल का प्रत्येक कदम बोफोर्स तोपों के धमाके से कांग्रेस शिविर में मचे हड़कंप ,निराशा और हताशा की निशानी है. आज कांग्रेस अथवा प्रधान मंत्री रत्ती-राई भर जोखिम नहीं उठा सकते.'' मतदान के दिन यह देखा भी गया कि प्रधान मंत्री के चुनाव प्रभारी सतीश शर्मा कोई जोखिम नहीं उठा रहे थे.
संजय सिंह को गोली मार कर गंभीर रूप से घायल कर देना उसका सबूत था. ध्यान रहे कि संजय सिंह अमेठी के राज परिवार से हैं, फिर भी उनके साथ कोई मुरव्वत नहीं की गई. चुनाव के बाद राजीव गांधी अमेठी से सांसद चुने गए. किंतु केंद्र में उनकी सरकार नहीं बनी. गैर कांग्रेसी दलों ने मिलकर विश्वनाथ प्रताप सिंह को प्रधान मंत्री बनाया. वैसे अमेठी में कांग्रेसियों ने नारा लगाया था कि ''राजीव जी को जीतना है और संजय सिंह को हराना है.''मानो अमेठी में वही चुनाव लड़ रहे हों. दरअसल वहां के उम्मीदवार राजमोहन गांधी की ताकत संजय सिंह ही थे.
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