सम्पादकीय

यूपी विधानसभा उपाध्यक्ष चुनाव: भाजपा को जीत पर भरोसा, लेकिन सता रही है क्रॉस वोटिंग की चिंता, व्हिप जारी 

Shiddhant Shriwas
18 Oct 2021 4:06 AM GMT
यूपी विधानसभा उपाध्यक्ष चुनाव: भाजपा को जीत पर भरोसा, लेकिन सता रही है क्रॉस वोटिंग की चिंता, व्हिप जारी 
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पार्टी ने जारी किया व्हिप, सचेतकों ने विधायकों को फोन मिलाकर नितिन अग्रवाल को वोट करने का दिया संदेश।

विधानसभा उपाध्यक्ष चुनाव में भाजपा ने सपा विधायक नितिन अग्रवाल को विधानसभा उपाध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार बनाकर बड़ा सियासी दांव खेला है। पार्टी नितिन की जीत को लेकर निश्चिंत भी है। लेकिन, सोमवार को होने वाले मतदान में क्रॉस वोटिंग की चिंता सताने लगी है। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि यदि चुनाव में दो चार विधायकों ने भी क्रॉस वोटिंग कर दी तो आगामी विधानसभा चुनाव से पहले खराब संदेश जाएगा। इस स्थिति से बचने के लिए पार्टी ने रविवार को अपने विधायकों को समर्थित उम्मीदवार के पक्ष में ही मतदान करने का व्हिप जारी कर दिया है। दूसरा, उपाध्यक्ष चुनाव आगामी विधानसभा चुनाव में छोटे दलों व दल-बदलने को मन बना चुके विधायकों का रुख भी साफ करने वाला होगा।

विधानसभा में भाजपा के 304, सपा के 49, बसपा के 16, अपना दल के 9, कांग्रेस के 7, सुभासपा के 4, राष्ट्रीय लोक दल के एक, निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल के एक, तीन निर्दलीय और एक नामित विधायक हैं। बसपा से निष्कासित लालजी वर्मा और राम अचल राजभर असंबद्ध विधायक हैं। भाजपा के पास अपने 304 विधायकों के साथ अपना दल के 4 विधायक हैं। सामान्यतया इनका वोट पक्का है। रालोद के एक मात्र विधायक सहेंद्र सिंह रमाला पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके है। उन्नाव के पुरवा से बसपा विधायक अनिल सिंह , रायबरेली से कांग्रेस विधायक अदिति सिंह और हरचंदपुर से कांग्रेस के ही विधायक राकेश सिंह भी भाजपा के साथ माने जा रहे हैं।

माना जा रहा है कि निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी का भी वोट भाजपा के पक्ष में जाएगा। निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह और विनोद सरोज ने 2018 में राज्यसभा चुनाव में भाजपा का समर्थन किया था। ऐसा माना जा रहा है कि विधानसभा उपाध्यक्ष चुनाव में भी दोनों निर्दलीय विधायक भाजपा का समर्थन कर सकते हैं। तीनों निर्दलीय विधायकों का समर्थन भाजपा समर्थित उम्मीदवार को मिलता है तो उन्हें 316 मत तो मिलने ही चाहिए। लेकिन, यह समीकरण इतना भी आसान नहीं बताया जा रहा है।

यदि कुछ विधायकों ने भी क्रॉस वोटिंग की तो विपक्ष के हाथ पार्टी पर हमले का मौका लग जाएगा। भाजपा के कई विधायकों के आगामी विधानसभा के चुनाव में टिकट को लेकर सवाल उठाया जाता रहा है। कुछ विधायक अपनी सरकार के खिलाफ भी गाहे-बगाहे मुखर हो जाते हैं, आशंका है कि उनमें से कुछ नया ठिकाना भी तलाश सकते हैं। पार्टी की नजर ऐसे विधायकों पर है। क्रॉस वोटिंग की चुनौती से बचने के लिए पार्टी ने विधायकों को फोन कर समय पर विधानसभा पहुंचने और नितिन को ही मत देने का संदेश सुनाया है। पार्टी के मुख्य सचेतक योगेंद्र उपाध्याय ने बताया कि पार्टी सदस्यों को व्हिप जारी किया गया है।

सपा को दूसरे दलों के विधायकों के समर्थन की उम्मीद

सपा को अपने 49 विधायकों के साथ सुभासपा के 4 विधायकों का समर्थन मिलने की आस है। हालांकि, सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने अभी स्पष्ट नहीं किया है कि उनकी पार्टी विधानसभा उपाध्यक्ष चुनाव में किसका समर्थन करेगी। लेकिन, उपाध्यक्ष चुनाव से दो दिन पहले उन्होंने शर्तों के साथ भाजपा से हाथ मिलाने का संकेत देकर अपनी मंशा जता दी है। बसपा ने भी रविवार रात तक अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है, लेकिन उसके 18 विधायकों में से दो असंबद्ध के अलावा 9 अन्य समय-समय पर पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निलंबित हो चुके हैं। इनमें अनिल सिंह को छोड़कर बाकी किधर जाएंगे, यह भी मतदान से साफ हो जाएगा। अनिल भाजपा समर्थित प्रत्याशी नितिन अग्रवाल के प्रस्तावक हैं। बाकी 10 विधायकों में से ज्यादातर सपा की ओर पींगें बढ़ा चुके हैं।

नितिन की डिनर डिप्लोमेसी

विधानसभा उपाध्यक्ष चुनाव में भाजपा समर्थित उम्मीदवार नितिन अग्रवाल ने रविवार रात भाजपा विधायकों के साथ भाजपा समर्थित विधायकों को विधानसभा की कैंटीन में रात्रि भोज दिया।

बसपा और कांग्रेस के विधायक बने प्रस्तावक

नितिन अग्रवाल के नामांकन पत्र के एक सेट में उन्नाव के पुरवा से बसपा विधायक अनिल सिंह और रायबरेली के हरचंदपुर से कांग्रेस विधायक राकेश सिंह भी प्रस्तावक बने हैं।

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