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Written by जनसत्ता; सेव लाइफ फाउंडेशन के एक सर्वे के अनुसार मुंबई-अहमदाबाद राजमार्ग पर घोरबंदर और पालघर जिले के दपचारी के बीच एक 'ब्लैक स्पाट'' है। इस ब्लैक स्पाट पर इस वर्ष अब तक साइरस मिस्त्री की कार सहित 268 दुर्घटनाएं और 61 मौतें हुई हैं। इस ब्लैक स्पाट के लिए सड़क का खराब डिजाइन जिम्मेदार है। इनके अलावा सड़क दुर्घटनाओं एक अन्य प्रमुख कारण है अप्रशिक्षित ड्राइवर और शराब पीकर गाड़ी चलना। इसकी वजह से न जाने कितने लोग नाहक मारे जाते हैं। इन परिस्थितियों में सड़क हादसों को रोकने के लिए कानून और सजा से इतर कई अन्य मोर्चे पर भी काम करना होगा।
सड़कों से असुरक्षित और जुगाड़ जैसे वाहन हटाने होंगे। मानवीय भूल कम करने के लिए चालकों को स्तरीय प्रशिक्षण देना होगा। ड्राइविंग लाइसेंस प्रक्रिया कड़ी और भ्रष्टाचार मुक्त बनाना होगा। शराबी चालकों की धर-पकड़ बढ़ानी होगी। सड़कों का डिजाइन सुधारा जाए और वह अतिक्रमण या फिर गड्ढा मुक्त रहें, यह सुनिश्चित करना होगा। जहां डिजाइन में सुधार संभव न हो, वहां उचित तरीके से गतिरोधक बनें, चेतावनी के बोर्ड लगें। हालांकि फिर भी हादसे होंगे। इसलिए त्वरित उपचार की व्यवस्था हो और घायलों को अस्पताल ले जाने वाले लोगों को अनावश्यक पुलिस कार्रवाई से बचाया जाए।
आंकड़ों में न उलझाएं और सच्चाई से अवगत हों। आंकड़ों के भंवरजाल में सरकार खुद तो उलझ रही है और उपभोक्ताओं को भी गुमराह कर रही है, लेकिन वास्तव में महंगाई बेकाबू होने से दैनंदिनी उपभोग की वस्तुएं सस्ती ही नहीं हो पा रहीं, बल्कि जीएसटी लगने से और महंगी होती जा रही है। इसी तरह पेट्रोल-डीजल और गैस आदि की स्थिति भी असहनीय हो रही है।
दरअसल, 2014 में विश्व भुखमरी सूचकांक में भारत का स्थान 55वां था, जो अब 2021 में 101वें पायदान पर है। ऐसे में 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन देने के बाद भी हम पांच ट्रीलियन अर्थव्यवस्था की बात को कितना सही मानें? महंगाई के समक्ष सरकारी उपाय कमजोर साबित हो रहे हैं, क्योंकि बेरोजगारी, आयात और जनसंख्या में बढ़ोतरी तथा निर्यात में कमी के साथ रुपए का अवमूल्यन से महंगाई बेकाबू हो रही है और इससे अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो रही है।