सम्पादकीय

असुरक्षित परिसर

Subhi
22 Oct 2022 6:13 AM GMT
असुरक्षित परिसर
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अक्सर समाचार पत्रों, टीवी या इंटरनेट में कुछ ऐसी खबरें देखने को मिलती हैं जो हमें सोचने पर मजबूर कर देती हैं। हाल के समय में कुछ दूषित मानसिकता वाले युवकों द्वारा स्कूल के अंदर ताकझांक करने की घटनाओं में बढ़ोतरी की खबरें बहुत ज्यादा आने लगी हैं। खासतौर पर लड़कियों के स्कूलों में इस तरह की घटनाएं देखी जा रही हैं।

Written by जनसत्ता: अक्सर समाचार पत्रों, टीवी या इंटरनेट में कुछ ऐसी खबरें देखने को मिलती हैं जो हमें सोचने पर मजबूर कर देती हैं। हाल के समय में कुछ दूषित मानसिकता वाले युवकों द्वारा स्कूल के अंदर ताकझांक करने की घटनाओं में बढ़ोतरी की खबरें बहुत ज्यादा आने लगी हैं। खासतौर पर लड़कियों के स्कूलों में इस तरह की घटनाएं देखी जा रही हैं।

इन मामलों में कुछ आदतन अपराधी अमूमन स्कूल के बाहर टहलते नजर आते हैं और जैसे ही मासूम छात्राएं मध्यावकाश में या छुट्टी के समय अपने कक्ष से बाहर निकलती हैं, वे अपराधी छात्राओं को तंग करने को कोशिश करते हैं। आगे चल कर ऐसे ही लड़के अपराधी बनने की राह पर निकल पड़ते हैं और मौका पाते ही एक जघन्य अपराध को अंजाम देते हैं।

गौरतलब है कि युद्ध, अर्थव्यवस्था और राजनीति की खबरों के बीच अक्सर ऐसी खबरें छिप जाती हैं जो हमारे बच्चों के जीवन को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं। मां-बाप इस भ्रम में रहते हैं कि उनकी बेटी या बेटा स्कूल में बिल्कुल सुरक्षित हैं, लेकिन सच्चाई यह नहीं है। ऐसे अपराधों को रोकने के लिए स्कूल प्रशासन को सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों को ऐसी घटनाओं से बचाया जा सके। इसके साथ ही पुलिस को भी स्कूलों के आसपास गश्त बढ़ानी चाहिए और कोई संदिग्ध व्यक्ति दिखते ही पूछताछ करनी चाहिए। तभी स्कूलों के भीतर और आसपास का माहौल सुरक्षित हो पाएगा।


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