सम्पादकीय

असुरक्षित अदालतें

Subhi
24 Dec 2021 5:11 AM GMT
असुरक्षित अदालतें
x
पंजाब में लुधियाना की जिला अदालत परिसर में हुए बम धमाके की घटना ने एक बार फिर इस जरूरत को रेखांकित किया है कि सुरक्षा व्यवस्था के मोर्चे पर अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

पंजाब में लुधियाना की जिला अदालत परिसर में हुए बम धमाके की घटना ने एक बार फिर इस जरूरत को रेखांकित किया है कि सुरक्षा व्यवस्था के मोर्चे पर अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। बम विस्फोट में एक व्यक्ति का शरीर क्षत-विक्षत हो गया, जबकि कई अन्य बुरी तरह घायल हो गए। संभव है, इसे किसी व्यापक असर वाली घटना के तौर पर न देखा जाए, लेकिन पंजाब इस समय जिस राजनीतिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है, उसमें ऐसी घटनाओं को आम आपराधिक घटना मानना किसी बड़े जोखिम का कारण बन सकता है।

हैरानी है कि जिन अदालतों को सामान्यतया सुरक्षित परिसर माना जाता है, अब ऐसी जगहें भी महफूज नहीं हैं। राज्य के उपमुख्यमंत्री ने माना है कि इस अदालत परिसर में सबसे बड़ी सुरक्षा चूक यह थी कि बारह प्रवेश द्वारों में से केवल दो जगह मेटल डिटेक्टर लगाए गए थे और वे भी काम नहीं कर रहे थे। फिर, अगर खुफिया एजंसियों ने पहले ही चेतावनी जारी की थी, तो यह साजिश कैसे कामयाब हो गई।
इस घटना की जांच राष्ट्रीय अन्वेषण एजंसी यानी एनआइए सहित अन्य संस्थाएं करेंगीं। उनके निष्कर्ष से ही वारदात की परतें खुलेंगी, लेकिन इतना साफ है कि अपवाद मान कर इसकी अनदेखी भारी पड़ सकती है। हाल में दिल्ली की एक अदालत परिसर में गोलीबारी और विस्फोट की घटना ने पहले ही इस बात को लेकर गंभीर चिंता पैदा की कि क्या अब ऐसी जगहें भी खतरे से खाली नहीं हैं! लेकिन दिल्ली में दोनों घटनाओं की जांच में सामने आया कि ये अपराधी गुटों के बीच टकराव या फिर निजी प्रतिद्वंद्विता का नतीजा थीं।
हालांकि अदालत के किसी कमरे में विस्फोट या गोलीबारी अपने आप में बेहद संवेदनशील मामला है और यह सुरक्षा व्यवस्था में भारी चूक को दर्शाता है, लेकिन यह ध्यान रखने की जरूरत है कि ऐसी हरकतों की प्रकृति क्या रही हैं। लुधियाना की अदालत परिसर में बम विस्फोट की घटना की जांच के निष्कर्ष आने बाकी हैं, लेकिन इस बात की आशंका भी जताई गई है कि कहीं इसका सिरा आतंकवादी समूहों से तो नहीं जुड़ा है। गौरतलब है कि विस्फोट में जिस व्यक्ति का शव क्षत-विक्षत पाया गया, उसके बारे में एक आशंका यह भी है कि वह शायद बम लगाते समय खुद विस्फोट की चपेट में आ गया।
इके मद्देनजर इस कोण से भी जांच पर जोर दिया जाना चाहिए कि कहीं उसके तार आतंकी गतिविधियों से तो नहीं जुड़े थे। इतना तो साफ है कि लुधियाना की अदालत में विस्फोट की घटना किसी सुनियोजित साजिश का नतीजा है। विडंबना यह है कि पंजाब को राजनीतिक रूप से जिस तरह से एक संवेदनशील इलाके के तौर पर देखा जाता है और वह पाकिस्तान की सीमा से सटा राज्य है, उसमें वहां होने वाली ऐसी घटनाओं के प्रति ज्यादा सचेत रहने की जरूरत है। कुछ समय बाद पंजाब में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और इसके मद्देनजर सभी राजनीतिक पार्टियां सक्रिय हैं।
इस बीच वहां धार्मिक बेअदबी की कई घटनाओं और उनकी प्रकृति ने जैसा संदेह पैदा किया है, वह अपने आप में यह बताने के लिए काफी है कि कुछ असामाजिक तत्त्व पंजाब के माहौल में सोच-समझ कर अस्थिरता और अशांति पैदा करना चाहते हैं। ऐसे में केंद्र और राज्य दोनों सरकारों, पुलिस और सुरक्षा या खुफिया एजंसियों को अतिरिक्त चौकसी बरतने की जरूरत है।

Next Story