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इस समय पूरे देश की निगाहें एक फरवरी 2022 को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले वर्ष 2022-23 के बजट की ओर लगी हुई हैं। वित्तमंत्री इस बार कोरोना संकट और वित्तीय चुनौतियों के बीच आगामी महीनों में पांच राज्यों में चुनाव और विभिन्न वर्गों को कोरोना से निर्मित मुश्किलों को ध्यान में रखते हुए पूरी तरह खुली मुठ्ठियों से ऐसा अभूतपूर्व रणनीतिक बजट पेश करते हुए दिखाई देंगी जिससे लोगों को बड़ी राहत मिले और विकास दर भी बढ़े। इसमें कोई दो मत नहीं है कि इस वर्ष 2022-23 का बजट बनाते हुए विभिन्न आर्थिक एवं वित्तीय मुश्किलें वित्तमंत्री के मुंह बाए खड़ी हैं। कच्चे तेल की कीमतें 90 डॉलर प्रति बैरल के आसपास दिखाई दे रही है। महंगाई बढ़ी हुई है। कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर और ओमिक्रॉन के कारण देश के उद्योग-कारोबार पर असर पड़ रहा है। फिर भी पिछले वर्ष 2020 की तुलना में वर्ष 2021 में सरकारी खजाने की स्थिति संतोषप्रद है। वित्तमंत्री के लिए राहत की बात यह है कि चालू साल के दौरान पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क में कटौती करने और विनिवेश लक्ष्य के उम्मीद से कम होने के बावजूद राजकोषीय घाटे के मोर्चे पर स्थिति काबू में है। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने वित्त वर्ष 2021-22 में सरकार का राजकोषीय घाटा (फिजिकल डेफिसिट) 16.6 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान जताया है, जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब 7.1 फीसदी होगा। यह चालू वित्त वर्ष के बजट अनुमान 6.8 प्रतिशत से थोड़ा ही अधिक है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर के द्वारा खेती और किसानों को प्रोत्साहन के लिए उच्च प्राथमिकता दिए जाने के जो संकेत दिए गए हैं, उनके मद्देनजर कृषि को भारी प्रोत्साहनों के साथ खाद्य और उर्वरक सबसिडी पर जोरदार इजाफा हो सकता है। कृषि ऋण के लक्ष्य को बढ़ाकर 18 से 18.5 लाख करोड़ रुपए कर सकती है।
नए बजट में प्राकृतिक खेती और मांग आधारित खेती को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष घोषणा की जा सकती है। आगामी बजट में पीएम किसान निधि पर अधिक प्रावधान, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की जाने वाली सरकारी खरीद के लिए अधिक प्रावधान किया जा सकता है। किसानों की आमदनी बढ़ाने के मद्देनजर खाद्य प्रसंस्कृत क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ाने के नए प्रावधान दिखाई दे सकते हैं। चालू वित्त वर्ष 2021-22 में मनरेगा के लिए बजट आबंटन 73000 करोड़ रुपए का था। इस बार मनरेगा के लिए बजट वृद्धि होने की संभावनाएं हैं। निःसंदेह आगामी बजट में वित्तमंत्री बुनियादी ढांचे पर पूंजीगत व्यय बढ़ाकर आर्थिक गतिविधियों, खपत और नौकरियों के सृजन को बढ़ावा देते हुए दिखाई दे सकती हैं। सड़क और रेल क्षेत्र में बजट खर्च करीब 20 से 25 फीसदी बढ़ सकता है। बुनियादी ढांचे पर वर्ष 2021-22 के बजट में 5.54 लाख करोड़ रुपए की राशि की प्रतिबद्धता जताई गई थी। ऐसे में आगामी बजट में बुनियादी ढांचे पर करीब 7 लाख करोड़ रुपए का आवंटन हो सकता है। आगामी बजट में सौर ऊर्जा सेक्टर को लेकर भी बड़ी घोषणा हो सकती है। किफायती आवास, रियल एस्टेट और निर्माण (कंस्ट्रक्शन) पर सरकार ज्यादा जोर दे सकती है। चूंकि सरकार चाहती है कि आने वाले वर्षों में दुनियाभर में भारत मैन्युफैक्चरिंग हब बनकर उभरे, ऐसे में इस परिप्रेक्ष्य में वित्तमंत्री आगामी बजट में बड़े ऐलान कर सकती हैं। वित्तमंत्री नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिटों पर दी जा रही 15 फीसदी कॉरपोरेट टैक्स की स्कीम को अगले 2 साल के लिए बढ़ा सकती हैं। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 13 प्रमुख क्षेत्रों में घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत 1.97 लाख करोड़ रुपए का आवंटन किया है। अब आगामी बजट में पीएलआई योजना में शामिल विभिन्न क्षेत्रों के लिए अतिरिक्त आवंटन सुनिश्चित किया जा सकता है। आगामी बजट में वित्तमंत्री रिकॉर्ड निर्यात का लक्ष्य रखते हुए विभिन्न कच्चे मालों पर आयात शुल्क घटा सकती हैं। ये आयात शुल्क खासतौर से ऐसी चीजों के कच्चे माल पर घटाए जा सकते हैं, जिनका पीएलआई क्षेत्र के उद्योगों में उपयोग होता है। वित्तमंत्री के द्वारा आगामी बजट में छोटे करदाताओं व मध्यम वर्ग की क्रयशक्ति बढ़ाने हेतु सरकार के द्वारा राहत के व्यापक उपाय सुनिश्चित किए जा सकते हैं।
छोटे करदाताओं और मध्यम वर्ग की मुश्किलों के बीच वर्ष 2020 में लागू नई आयकर व्यवस्था को आकर्षक बनाने का ऐलान किया जा सकता है। टैक्सपेयर्स को राहत देते हुए सरकार टैक्स में छूट की सीमा को दोगुना कर 5 लाख तक कर सकती है। नौकरीपेशा वर्ग के लोगों को स्टैंडर्ड डिडक्शन की जो सीमा 50 हजार रुपए है, उसे बढ़ाकर 75 हजार रुपए किया जा सकता है। मौजूदा समय में धारा 80सी के तहत 1.50 लाख रुपए की छूट मिलती है। इसके तहत ईपीएफ, पीपीएफ, एनएससी, जीवन बीमा, बच्चों की ट्यूशन फीस और होम लोन का मूलधन भुगतान भी शामिल है। अतएव धारा 80सी के तहत कर छूट की सीमा ढाई लाख से तीन लाख रुपए की जा सकती है। वर्ष 2022-23 के बजट में घर खरीदने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के मद्देजनर सरकार होम लोन के ब्याज रीपेमेंट पर मिलने वाले बेनिफिट की लिमिट को दो लाख रुपए से बढ़ाकर चार लाख रुपए किया जा सकता है। सरकार के द्वारा 80डी के तहत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स छूट बढ़ाई जा सकती है। वित्तमंत्री के द्वारा महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयकर की छूट सीमा बढ़ाई जा सकती है। देश के शेयर बाजार को आगामी बजट से तेजी से बढ़ने के प्रोत्साहन मिल सकते हैं। साथ ही आगामी बजट में आतिथ्य, पर्यटन, आराम और अन्य संपर्क वाली सेवाओं को समर्थन दिया जा सकता है। देश में आने वाले दिनों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ-साथ ऑटोमेशन के बढ़ते दखल को देखते हुए इन्हें प्रोत्साहन देने हेतु केंद्र सरकार बजट में खास ऐलान कर सकती है। देश की सीमा पर चीन और पाकिस्तान के कारण गहराए तनाव और तनातनी के लंबे दौर में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े सवालों के कारण आगामी आम बजट के तहत रक्षा बजट में बड़ा इजाफा किया जा सकता है।
वित्त वर्ष 2022-23 के आम बजट में नव सृजित केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय के गठन की प्रक्रिया को अंतिम रूप देने और सहकारी संस्थाओं को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष प्रावधान किए जा सकते हैं। आगामी बजट के तहत वित्तमंत्री देश में खुदरा कारोबार और स्टार्टअप को प्रोत्साहन देने और कारोबार करने के लिए आवश्यक लाइसेंस की संख्या घटाकर उनका अनुपालन बोझ हल्का करने के तरीके भी सुनिश्चित कर सकती हैं। साथ ही एमएसएमई के लिए विशेष राहत पैकेज दिया जा सकता है। विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) को अधिक उपयोगी बनाने के लिए आगामी बजट में विशेष घोषणा की जा सकती है। निजीकरण और विनिवेश पर नए सिरे से जोर दिया जा सकता है। संपत्ति मुद्रीकरण के जरिए अतिरिक्त संसाधन जुटाए जा सकते है। हम उम्मीद कर सकते हैं कि वित्तमंत्री सीतारमण राजकोषीय घाटे को जीडीपी के करीब 6 से 6.5 प्रतिशत तक विस्तारित करते हुए अर्थव्यवस्था को गतिशील करने, रोजगार अवसरों को बढ़ाने, निवेश के लिए प्रोत्साहन देने तथा विभिन्न वर्गों को राहत देने के लिए आर्थिक प्रोत्साहनों से सजे-धजे वर्ष 2022-23 के बजट को प्रस्तुत करने के लिए आगे बढं़ेगी। इससे एक ओर आम आदमी की क्रय शक्ति बढ़ेगी, जिससे नई मांग का निर्माण होगा और उद्योग-कारोबार की गतिशीलता बढ़ेगी, वहीं दूसरी ओर आगामी वित्तीय वर्ष 2022-23 के अंत तक विकास दर करीब 8 फीसदी के स्तर पर पहुंचते हुए दिखाई दे सकेगी।