सम्पादकीय

नाहक विवाद

Subhi
1 Dec 2022 5:51 AM GMT
नाहक विवाद
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इसमें बिना गंभीरता से विचार किए की गई किसी एक गतिविधि या बयान से नाहक विवाद की स्थिति पैदा हो सकती है। गोवा में हाल ही में आयोजित तिरपनवें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के आखिरी दिन ‘कश्मीर फाइल्स’ फिल्म को लेकर आए बयान ने जिस तरह के विवाद की स्थिति पैदा कर दी, वह इस बात का उदाहरण है कि कैसे किसी एक व्यक्ति की टिप्पणी उसके देश के सामने सफाई पेश करने के हालात पैदा कर दे सकती है।

Written by जनसत्ता: इसमें बिना गंभीरता से विचार किए की गई किसी एक गतिविधि या बयान से नाहक विवाद की स्थिति पैदा हो सकती है। गोवा में हाल ही में आयोजित तिरपनवें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के आखिरी दिन 'कश्मीर फाइल्स' फिल्म को लेकर आए बयान ने जिस तरह के विवाद की स्थिति पैदा कर दी, वह इस बात का उदाहरण है कि कैसे किसी एक व्यक्ति की टिप्पणी उसके देश के सामने सफाई पेश करने के हालात पैदा कर दे सकती है।

समारोह में शामिल फिल्म 'कश्मीर फाइल्स' को लेकर किसी की राय अलग हो सकती है, लेकिन उसे जाहिर करने का तरीका ऐसा भी हो सकता है जो स्वस्थ विमर्श या बहस का हिस्सा बने। इसके बरक्स समारोह में जूरी के मुख्य नदव लापिद ने फिल्म के बारे में अपनी जो राय सामने रखी, उसने बहस के बजाय विवाद को जन्म दे दिया। जिस फिल्म ने हाल ही में एक गंभीर राजनीतिक प्रश्न पर चर्चा छेड़ी थी और माना जा रहा है कि उसने एक संवेदनशील मुद्दे को दर्शाने की कोशिश की है, उस पर नदव लापिद की गैरजरूरी तरीके से तल्ख और नकारात्मक प्रतिक्रिया ने स्वाभाविक ही कई लोगों के भीतर क्षोभ पैदा किया।

संभव है कि किसी फिल्म के बारे में उनकी अपनी राय हो, लेकिन उसे सार्वजनिक पटल पर रखते समय उन्हें उसके प्रभाव के बारे में भी ध्यान रखना चाहिए था। खासतौर पर तब जब इसकी आशंका हो कि वैसे बयान से किस तरह के कूटनीतिक सवाल खड़े हो सकते हैं। किसी बात को कहने का तौर-तरीका भी उसके प्रभाव को अप्रत्याशित बना दे सकता है। नदव लापिद चूंकि इजराइल में फिल्म निर्देशक हैं, इसलिए उनकी टिप्पणी पर उपजी प्रतिक्रिया में इजराइल की पहचान भी खोजी जाने लगी।

'कश्मीर फाइल्स' के बारे में उनकी राय से उपजे विवाद ने जब तूल पकड़ लिया तो इससे जितनी दिक्कत उन्हें हुई होगी, उससे ज्यादा उनके देश के सामने एक असुविधाजनक स्थिति पैदा हो गई। हालत यहां तक पहुंची कि भारत में इजराइल के राजदूत नाओर गिलोन ने नदव लापिद की टिप्पणी के लिए अपने देश की ओर से कहा कि एक इंसान के रूप में मुझे शर्म आती है। उन्होंने कहा, हम अपने मेजबानों से उस बुरे तरीके के लिए माफी मांगना चाहते हैं कि हमने उनकी उदारता और दोस्ती के बदले यह दिया है। अपने देश के राजदूत की यह प्रतिक्रिया नदव के लिए एक संदेश होना चाहिए।

दरअसल, अलग-अलग देशों के बीच कूटनयिक संबंध कई बार इस कदर संवेदनशील होते हैं कि बहुत मामूली घटना से उथल-पुथल मच जा सकती है। इसलिए किसी देश के आंतरिक मामलों से संबंधित समस्याओं और खासतौर पर राजनीतिक मुद्दों के बारे में आधिकारिक रूप से राय जाहिर करते हुए हर एक शब्द तक का ध्यान रखा जाता है। नदव लापिद फिल्म समारोह में जूरी के मुख्य के रूप में जरूर बोल रहे थे, मगर यह पहलू समझने में उन्होंने शायद जरूरी सावधानी नहीं बरती।

दूसरी ओर, एक समस्या यह भी रही कि समारोह में शामिल फिल्मों की विषय-वस्तु कई बार बहस का विषय बन सकती है और उसमें कुछ अप्रत्याशित टिप्पणियां आने की भी आशंका होती है, इसलिए उसके सार्वजनिक प्रसारण को लेकर भी सचेत रहना जरूरी होना चाहिए। गोवा में जिस मौके पर यह दुखद स्थिति पैदा हुई, उसके सीधे प्रसारण से बचा जा सकता था। बहरहाल, इस मसले पर इजराइल की ओर से आई प्रतिक्रिया के बाद उम्मीद की जानी चाहिए कि भविष्य में ऐसी अप्रिय स्थितियों से बचने की कोशिश की जाएगी।


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