सम्पादकीय

नाहक हंगामा

Subhi
12 Feb 2023 5:00 AM GMT
नाहक हंगामा
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तवलीन सिंह: पिछले सप्ताह 'पठान' देखने के बाद मैंने ट्वीट करके कहा कि मुझे यह फिल्म बहुत अच्छी लगी। कारण दो बताए मैंने। दूसरा कारण बताया कि बहुत दिनों बाद एक मुसलमान किरदार को नायक बनाया गया है। मेरी राय में 'एक्शन' इतना कमाल का दिखाया है 'पठान' में कि यह हालीवुड की सबसे बढ़िया 'एक्शन फिल्मों' का मुकाबला कर सकती है।

सोशल मीडिया पर कुछ लोग ऐसे हैं, जो मेरी हर ट्वीट पर गालियां देने लग जाते हैं, तो मेरी इन बातों को लेकर भी खूब ट्रोलिंग हुई। सबसे ज्यादा गालियां सुनने को मिलीं इस बात पर कि अच्छा लगा कि 'पठान' का नायक एक मुसलमान है।

आपको अगर हिंदी सिनेमा का शौक है तो आपने भी गौर किया होगा कि जबसे हिंदुत्व हृदय सम्राट का राज आया है दिल्ली में, तबसे बहुत कम ऐसी हिंदी फिल्में बनी हैं, जिनमें किसी मुसलमान को नायक बनाया गया है। मुसलमान अगर दिखे हैं हिंदी पिक्चरों में तो अक्सर जिहादी आतंकवादियों की भूमिका अदा करते हुए। बल्कि ऐसा कहना गलत न होगा कि मुसलिम नायक बालीवुड से गायब ही हो गए हैं।

इसके बारे में मैंने जब एक मशहूर फिल्म निर्देशक से बात की तो उसने स्पष्ट शब्दों में कहा कि माहौल बदल गया है। जबसे करण जौहर की 'ऐ दिल है मुश्किल' पर हमला किया था हिंदू कट्टरपंथियों ने इसको लेकर कि उस फिल्म में पाकिस्तानी अभिनेता था, तबसे फिल्म निर्देशक फूंक-फूंक कर कदम रखने लगे हैं।

एक जमाना वह हुआ करता था, जब मुंबई में बनी हर फिल्म में एक किरदार मुसलमान का होता था। वर्तमान हाल यह है कि हिंदी फिल्म उद्योग पर हिंदू कट्टरपंथी इतनी कड़ी नजर रखते हैं कि हमले शुरू हो जाते हैं सिनेमाघरों पर और टीवी की चर्चाओं में हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस लगने के बहाने।

ऐसा 'पठान' के साथ भी हुआ था। कई दिन बड़े-बड़े टीवी एंकरों ने चर्चाएं करवाईं इस बात को लेकर कि दीपिका पादुकोण ने एक गाने में भगवा रंग की बिकिनी पहन कर शाहरुख खान के साथ नाचा उस समय जब शाहरुख ने हरे रंग का कुर्ता पहना हुआ था। इन चर्चाओं में अनजान अभिनेत्रियों को बुलाया गया, जिन्होंने हिंदू धर्म की तथाकथित रक्षा चिल्ला-चिल्ला कर की थी। भारतीय जनता पार्टी के आला राजनेता भी पीछे नहीं रहे इस पिक्चर को बंद करवाने की होड़ में।

निजी तौर पर मैंने गौर किया है कि जो लोग हिंदुत्व की विचारधारा से जुड़े हुए हैं, उनको शाहरुख खान से खास नफरत है। मैंने यह भी देखा है कि प्रधानमंत्री के कई करीबी साथी भी बालीवुड के इस 'सुपर हीरो' से नफरत करते हैं, सो जब शाहरुख के बेटे को नाजायज तरीके से एक महीना जेल में रखा गया था, केंद्र के एक भी मंत्री ने खुल कर उसको गलत नहीं कहा।

फिल्म उद्योग से कुछ आवाजें उठीं शाहरुख के समर्थन में, लेकिन वे भी धीमी थीं। बाद में जब मालूम हुआ कि शाहरुख के बेटे को जेल में रखने का कोई कारण नहीं था, तब भी जितना हल्ला मचना चाहिए था, नहीं मचा। शाहरुख के पीछे ऐसे पड़े रहे हैं हिंदुत्व के रक्षक कि लता मंगेशकर के अंतिम संस्कार में जब उन्होंने दुआ मांगी और मास्क उतार कर आसमान की तरफ दुआ भेजी, तो झूठ फैलाया गया कि शाहरुख ने लताजी की अंतिम रस्म में थूका।

ऐसे माहौल में उनकी इस पिक्चर का 'सुपरहिट' होना एक तरह से संदेश है उन लोगों के लिए, जो चाहते हैं कि हिंदी फिल्म उद्योग पर ऐसा कब्जा किया जाए कि सिर्फ राष्ट्रवाद पर फिल्में बनाई जाएं। सोशल मीडिया पर कई हिंदुत्ववादी आरोप लगाते हैं कि बालीवुड को बंद कर देना चाहिए, क्योंकि यहां सिर्फ ऐसी फिल्में बनती हैं, जो हिंदुओं और सनातन धर्म के खिलाफ हैं।

यह सरासर गलत है। अच्छी बात है कि प्रधानमंत्री ने खुद हाल में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा कि हिंदी फिल्म उद्योग पर बेकार के हमले बंद हो जाने चाहिए। यह भी कहा उन्होंने कि इन हमलों के पीछे ऐसे लोग हैं, जो अपना प्रचार करवाने में लगे रहते हैं। रही बात 'पठान' की, तो इसमें शाहरुख खान ने एक अति-राष्ट्रवादी मुसलिम जासूस की भूमिका अदा की है, जो देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने के लिए तैयार है। एक जगह कहता है पठान कि चूंकि उसकी परवरिश एक अनाथालय में हुई थी, वह कभी नहीं जान पाया कि उसके मां-बाप कौन थे, सो उसने देश को अपने माता-पिता मान कर उसकी सेवा की है।

आज के माहौल में शायद यह पिक्चर सुपरहिट इसलिए हुई है कि आम लोग तंग आ गए हैं हर चीज में हिंदू-मुसलिम विवाद देख कर। मेरी नजर में 'पठान' की अहमियत सिर्फ इसमें नहीं है कि मजेदार, मनोरंजक पिक्चर है, उसकी अहमियत इसलिए ज्यादा है कि ऐसी पिक्चर बना कर बालीवुड शायद दिखा रहा है कि उसकी रीढ़ की हड्डी राजनीति और नफरत के बोझ तले टूटी नहीं है।

विश्व में दो फिल्म उद्योग ऐसे हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि ये 'साफ्ट पावर' का जरिया हैं। हालीवुड के जरिए अमेरिका ने अपनी सभ्यता और सोच को दुनिया के हर देश में फैलाया है और बालीवुड के जरिए हमने भारत की सभ्यता और सोच को दुनिया के हर देश में फैलाया है।

नादान हैं वे लोग, जिन्होंने पिछले दिनों ऐसी मुहिम चलाई, जिसका मकसद था हिंदी फिल्म उद्योग को घुटनों पर लाना।

नादान हैं वे लोग, जिन्होंने सोशल मीडिया पर 'बायकाट बालीवुड' जैसे हैशटैग चलाए। हिंदी फिल्म उद्योग में 'पठान' ने नई जान फूंकने का काम किया है, और मेरी तरफ से आपको संदेश यह है कि अगर आपने अभी तक देखी नहीं है यह फिल्म, तो जरूर देखिएगा।




क्रेडिट : jansatta.com

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