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- अदालतों पर अनावश्यक...
ए. सूर्यप्रकाश: हाल के दौर में न्यायपालिका हमलों के केंद्र में रही है। आरोपों की आड़ में हमला करने वालों का दावा है कि अब यह संस्थान स्वतंत्र एवं भरोसेमंद नहीं रहा, जबकि वास्तविकता यही है कि न्यायपालिका ने नागरिकों की स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की है। ऐसा नहीं है कि न्यायपालिका की निष्पक्षता पर अभी सवाल उठे हों। ऐसे प्रश्न स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से ही उठते रहे हैं। केवल भारत ही नहीं, दूसरे लोकतंत्रों में भी यह बहुत आम है। अमेरिका का ही उदाहरण लें, जहां डेमोक्रेटिक पार्टी द्वारा अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने संबंधी एक पहल की गई है। इसके पीछे डेमोक्रेट्स की यह दलील है कि सुप्रीम कोर्ट में रिपब्लिकंस की भरमार है। ऐसे में उन्होंने अमेरिकी संसद में एक विधेयक पेश किया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की संख्या नौ से बढ़ाकर 13 करने का प्रस्ताव है। संघीय सरकार इस पर एक आयोग की नियुक्ति करने के बारे में विचार कर रही है, पर क्या इससे मौजूदा अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट संदिग्ध हो जाता है।