सम्पादकीय

संघ प्रमुख का संदेश

Subhi
6 Oct 2022 3:41 AM GMT
संघ प्रमुख का संदेश
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विजयदशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख श्री मोहन भागवत के सम्बोधन का राष्ट्रीय महत्व है। सर संघ चालक ने अपने संबोधन में राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दों का उल्लेख करते हुए संघ सोच को एक बार फिर से स्पष्ट किया है

आदित्य चोपड़ा; विजयदशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख श्री मोहन भागवत के सम्बोधन का राष्ट्रीय महत्व है। सर संघ चालक ने अपने संबोधन में राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दों का उल्लेख करते हुए संघ सोच को एक बार फिर से स्पष्ट किया है। उन्होंने देश में साम्प्रदायिक सद्भाव पर अपना विस्तृत दृष्टिकोण पेश करते हुए न केवल हिन्दू शब्द का विरोध करने वालों पर करारा प्रहार किया है, बल्कि देश में अराजकता का माहौल पैदा करने वाले मुस्लिम संगठनों पर भी सीधी चोट की है। संघ प्रमुख ने पिछले कई दिनों में कई मुस्लिम विद्वानों से बात की थी, दिल्ली के एक मदरसे और मस्जिद में भी गए। हिन्दू राष्ट्र के विरोध पर संघ प्रमुख ने अपने विचार को स्पष्ट किया। उनका यह वक्तव्य बहुत महत्वपूर्ण है कि भारत में रहने वाले सभी निवासी हिन्दू हैं।हिन्दू शब्द सिंधू के अपभ्रंश के रूप में प्रचलित हुआ। सम्राट अशोक के समय उसका साम्राज्य ईरान तक फैला हुआ था और सम्राट अशोक के कार्यकाल में ही रोमन साम्राज्य की सेनाओं ने भारत के निवासियों को हिन्दू कहा। क्योंकि उससे पहले सिकंदर ने भारत पर आक्रमण करने का जो प्रयास किया था वह असफल हो चुका था और सिंधू नदी को पार करने का उसका सपना अधूरा रह गया था। मगर तब तक इस्लाम धर्म का उदय नहीं हुआ था। जब सातवीं सदी के बाद में भारत में मुस्लिम सुल्तानी आक्रमण शुरू हुए तो उन्होंने इसे हिन्दुस्तान का नाम दिया अर्थात् हिन्दुओं की आस्था का स्थान। सीधा अर्थ यही है कि जो लोग आज भी भारत में रहते हैं वे सभी हिन्दू हैं। हिन्दू शब्द नागरिकता का परिचायक बना और कालांतर में जब मुस्लिम आक्रांताओं ने जाेर जबरदस्ती और अत्याचार कर यहां के लोगों का धर्म बदला तो इससे लोगों की राष्ट्रीयता पर कोई फर्क नहीं आया। संघ प्रमुख लगातार कहते आ रहे हैं कि भारत में रहने वालों का डीएनए एक है। चाहे पंथ संस्कृति अलग हो, भाषा, प्रांत अलग हो, खानपान, रीति-रिवाज अलग हो, हम समाज और राष्ट्रीयता के नाते एक हैं। सम्पूर्ण समाज को कव्य की रक्षा के​ लिए संगठित होना चाहिए। संघ प्रमुख ने अपने संबोधन में देश के मुस्लिम समुदाय को अराजकता फैलाने वाले तत्वों से सतर्क रहने की नसीहत भी दी। देश में कई जगह हुई जघन्य घटनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने मुस्लिम समुदाय से यह आग्रह किया कि वे अन्याय, असत्य, अत्याचार के ​खिलाफ खड़े हों। हम सबको मिलकर संविधान का पालन करना चाहिए और ऐसी क्रूरत्म घटनाओं का विरोध मुखरता से किया जाना चाहिए।संपादकीय :और रावण फिर फुंक गया!वायुसेना की प्रचंड शक्तिअमित शाह का कश्मीर दौराफुटबॉल मैच में मौतेंभारत, पाकिस्तान और अमेरिकामहिलाओं की क्रांति को दुनिया का सलामदेश में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर चल रही चर्चा के बीच संघ प्रमुख ने सरकार को जनसंख्या नीति पर काम करने की नसीहत दी है। केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जनसंख्या नियंत्रण पर कानून लाने को लेकर भले ही अपनी अनि​िश्चतता जताई हो लेकिन संघ प्रमुख इस दिशा में तुरन्त कदम उठाने के पक्षधर दिखाई दिए। लेकिन उन्होंने इस संबंध में दोनों पहलुओं का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जनसंख्या कम होने से देश में बुजुर्गों की संख्या बढ़ती जाएगी जबकि जनसंख्या को एक सम्पत्ति माना जाता है। दूसरी तरफ जनसंख्या को संसाधनों की आवश्यकता होती है। यदि जनसंख्या बिना संसाधनों का निर्माण किए बढ़ती है तो यह एक बोझ बन जाती है। संघ प्रमुख ने जनसंख्या में असंतुलन की ओर संकेत करते हुए कहा कि जनसंख्या पर एक समग्र नीति बनाने की जरूरत है, जो सब पर समान रूप से लागू हो। किसी को छूट नहीं मिलनी चाहिए। उन्होंने इसके लिए समाज को भी जागरूक रहने की बात कही। देश का एक समुदाय अभी भी रूढ़िवादी सोच से ग्रस्त है और यह समुदाय जनसंख्या नियंत्रण के बारे में कुछ सोच नहीं रहा। भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाने के लिए कट्टरपंथी विचारधाराएं काम कर रही हैं और लोग ऐसी विचारधाराओं के भ्रमजाल में फंसकर इस दिशा में कुछ नहीं कर रहे। मेरे पिता और पंजाब केसरी दिल्ली के पूर्व सम्पादक श्री अश्विनी कुमार राष्ट्रवादी विचारधारा के पुरोधा रहे और संघ के पूर्व प्रमुख श्री के.एस. सुदर्शन जी से लेकर श्री मोहन भागवत तक और अन्य संघ के वरिष्ठ नेताओं से उनके रिश्ते काफी मधुर रहे। उनका लेखन किसी दलगत राजनीति से प्रभावित नहीं हुआ। उन्हें भी नागपुर में संघ मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने का अवसर मिला। वे अक्सर मुझे संघ की राष्ट्रवादी विचारधारा से अवगत कराते रहते थे। उनका यह स्पष्ट दृष्टिकोण था कि संघ की राष्ट्रभक्ति पर तनिक भी संदेह नहीं किया जा सकता। प्राकृतिक आपदाएं हों या युद्ध काल संघ का एक-एक स्वयंसेवक राष्ट्र के लिए हमेशा तैयार रहा। यही कारण है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से लेकर पंडित जवाहर लाल नेहरू को संघ की सराहना करनी पड़ी थी। संघ को बेवजह बदनाम करने की साजिशें होती रही हैं। संघ पर पूर्व की सरकारों ने कई बार प्रतिबंध लगाए लेकिन यह प्रतिबंध ज्यादा दिन ठहर नहीं पाए। संघ प्रमुख ने आज के संबोधन में भी संघ को बदनाम करने की कुचेष्टाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि संघ तो विश्व में सब जगह और सबके साथ भाईचारा और शांति का पक्षधर है। संघ और मुस्लिम समाज में संवाद आज भी बना हुआ है। संघ इस संवाद को कायम रखेगा क्योंकि समाज को तोड़ने के ​लिए बहुत सी को​िशशें हो रही हैं। संघ को इस बात के ​लिए बार-बार निशाना बनाया जाता रहा है कि वह महिलाओं की भूमिका को नजरंदाज करता है और उन्हें उचित सम्मान नहीं देता, लेकिन इस बार संघ के विजयदशमी कार्यक्रम में माउंटएवरेस्ट विजेता पर्वतारोही श्रीमती संतोष यादव बतौर मुख्य अतिथि शा​िमल हुईं। उन्हें मुख्य अतिथि बनाकर संघ ने आलोचकों को जवाब दे दिया है। संघ प्रमुख ने कहा कि संघ के कार्यक्रमों में महिलाओं की भागीदारी डा. हेडगेवार के वक्त से ही हो रही है। अनुसूईया काले से लेकर कई महिलाओं ने संघ के कार्यक्रमों में भागीदारी की है। उल्लेखनीय है कि संघ की महिला विंग महिलाओं के सशक्तिकरण, उनकी शिक्षा के लिए लगातार काम कर रही है। जहां तक मोदी सरकार का सवाल है संघ प्रमुख सरकार की रक्षा, आर्थिक नीतियों से काफी संतुष्ट दिखाई दिए। उन्होंने कहा ​कि पूरी दुनिया का भरोसा बढ़ा है। भारत की ताकत बढ़ी है। दुनिया में भारत की आवाज सुनी जा रही है। दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा और साख बढ़ी है और आत्मनिर्भर भारत की आहट सुनाई दे रही है। उन्होेंने बच्चों को संस्कारवान बनाने के लिए स्कूलों, कालेजों पर निर्भरता की बजाए घरों और समाज के वातावरण को स्वस्थ बनाने का संदेश दिया

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