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प्रो. संजय द्विवेदी। Pandit Madhavrao Sapre Birth Anniversary आजादी के आंदोलन की पहली पंक्ति के नायकों ने जहां देश में जागरूकता पैदा की, वहीं साहित्य, कला, संस्कृति और पत्रकारिता में सक्रिय नायकों ने अपनी लेखनी और सृजनात्मकता से भारतबोध और हिंदी प्रेम की गहरी भावना समाज में पैदा की। 19 जून, 1871 को मध्य प्रदेश के दमोह के पथरिया में जन्मे माधवराव सप्रे एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। आज के मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र तीन राज्य उनकी पत्रकारीय और साहित्यिक यात्र के केंद्र रहे। सप्रे जी एक कुशल संपादक, प्रकाशक, शिक्षक, कथाकार, निबंधकार, अनुवादक, आध्यात्मिक साधक सब कुछ थे। वे हर भूमिका में पूर्ण थे। हालांकि वह सिर्फ 54 साल जिए, किंतु जिस तरह उन्होंने अनेक सामाजिक संस्थाओं की स्थापना की, पत्र-पत्रिकाएं संपादित कीं, अनुवाद किया, अनेक नवयुवकों को प्रेरित कर देश के विविध क्षेत्रों में सक्रिय किया, वह विलक्षण है। 26 वर्षो की अपनी पत्रकारिता और साहित्य सेवा के दौर में उन्होंने कई मानक रचे।