सम्पादकीय

तालिबान के राज में

Triveni
29 Dec 2022 4:35 AM GMT
तालिबान के राज में
x

फाइल फोटो 

दस दिन पहले एक फरमान जारी कर तालिबान ने लड़कियों और महिलाओं को कालेज और विश्वविद्यालयों में जाने से रोक दिया।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | दस दिन पहले एक फरमान जारी कर तालिबान ने लड़कियों और महिलाओं को कालेज और विश्वविद्यालयों में जाने से रोक दिया। उच्च शिक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान में साफ कहा गया कि सारे कालेज और विश्वविद्यालय सरकार के इस आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू करें।

इससे पहले लड़कियों को स्कूल भेजने पर रोक लगा दी गई थी। तालिबान के ऐसे बेहूदे कदमों से साफ है कि वह देश को आदिम युग में ले जाने पर तुला है। अब तालिबान ने महिलाओं को स्वयंसेवी संगठनों और विदेशी सहायता संगठनों में काम करने से रोक दिया है। तालिबान का संदेश साफ है कि महिलाएं और लड़कियां घरों से बाहर कदम न रखें।
वरना उनका वैसा ही हाल किया जाएगा जैसा वह अब तक अपने तथाकथित आदिम कानूनों के हिसाब से करता आया है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि अगर महिलाओं के प्रति तालिबान का यही रवैया रहा तो अफगानिस्तान का भविष्य कैसा होगा!
काबुल में सत्ता में बदलाव को सत्रह महीने होने जा रहे हैं। तालिबान के दोबारा सत्ता कब्जाने के बाद से ही ये आशंकाएं जोर पकड़ने लगी थीं कि महिला अधिकारों को लेकर तालिबान का रुख कहीं पहले जैसा तो नहीं होगा। लेकिन ये आशंकाएं अब हकीकत में बदल चुकी हैं। गौरतलब है कि दो दशक पहले जब तालिबान ने अफगानिस्तान में सत्ता हथियाई थी, उसके बाद महिलाओं पर अत्याचारों की जो तस्वीरें दुनिया ने देखीं और जो दर्दनाक वाकये पढ़ने-सुनने को मिले थे, वे रोंगटे खड़े कर देने वाले थे।
चेहरा नहीं ढंकने जैसी मामूली बात को गंभीर अपराध बता कर सरेआम बेरहमी से महिलाओं को पीटा जाता था, उन पर कोड़े बरसाए जा रहे थे और दूसरे अपराधों में तो मौत के घाट तक उतार दिया जाता था। यही सब आज फिर से हो रहा है। चिंता की बात यह है कि इस्लाम की रक्षा के नाम पर तालिबान आज जो कर रहा है, उससे इस देश का सामाजिक ढांचा तो टूटेगा ही, देश को दूसरी गंभीर चुनौतियों का भी सामना करना पड़ेगा।
तालिबान ने महिलाओं के काम पर जाने को लेकर जो पाबंदी लगाई है, उसके भयानक असर देखने को मिलेंगे। लेकिन लगता है तालिबान शासन को यह सब समझ नहीं आ रहा। अगर स्वयंसेवी संगठनों में महिलाएं काम नहीं करेंगी तो कैसे इस देश में महिलाओं और बच्चों को भूख से मरने से बचाया जा सकेगा?
आज अफगानिस्तान की सबसे बड़ी समस्या भुखमरी, कुपोषण और स्वास्थ्य को लेकर है। करीब तीन करोड़ आबादी के पास खाने को नहीं है। इन्हें विदेशी संगठनों की मदद से खाना और दवाइयां मुहैया करवाई जा रही हैं। लेकिन अब मुश्किल यह आने वाली है कि महिला शिक्षा और काम के अधिकार के मुद्दे पर तालिबान को कसने के लिए विदेशी संगठन मदद देना बंद कर सकते हैं। पर तालिबान को इन सबकी चिंता नहीं है।
उसका एकमात्र मकसद इस्लाम की रक्षा के नाम पर महिलाओं को कुचल देना है। तालिबान को इस बात का शुरू से डर रहा भी है कि महिलाएं अगर बराबरी से सत्ता में भागीदार बन गर्इं तो उनकी आतंक के कारोबार की दुकान बंद होते देर नहीं लगने वाली। इसलिए अफगान शांति वार्ता में भी महिलाओं के अधिकारों को लेकर पुरजोर तरीके से आवाज उठती रही थी। महिलाओं की ताकत के आगे ईरान की सत्ता को भी झुकना पड़ गया। और आज काबुल में भी शिक्षा के अधिकार को लेकर महिलाएं जिस तरह सड़कों पर उतरी हैं, तालिबान को उसका मतलब समझ जाना चाहिए।
Triveni

Triveni

    Next Story