सम्पादकीय

यूएनसीटीएडी : अनुमान, आंकड़े और हकीकत, भारत को झेलनी पड़ सकती है ऊर्जा क्षेत्र में भारी परेशानी

Neha Dani
6 April 2022 1:43 AM GMT
यूएनसीटीएडी : अनुमान, आंकड़े और हकीकत, भारत को झेलनी पड़ सकती है ऊर्जा क्षेत्र में भारी परेशानी
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विदेशी संस्थानों द्वारा भारत के आर्थिक विकास के संदर्भ में उनके द्वारा किए जा रहे अनुमानों में कहीं न कहीं चूक की जा रही है।

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (यूएनसीटीएडी) ने वर्ष 2022 के लिए भारत की अनुमानित आर्थिक विकास दर को दो प्रतिशत घटाते हुए 6.7 के स्थान पर अब 4.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। इसके लिए यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध को मुख्य कारण बताया गया है। यह भी कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में हो रही भारी वृद्धि के चलते भारत को ऊर्जा क्षेत्र में भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

प्रतिवेदन में अमेरिका की वृद्धि दर को भी तीन प्रतिशत से घटाकर 2.4 प्रतिशत कर दिया गया है। चीन की आर्थिक विकास दर के अनुमानों को भी 5.7 प्रतिशत से घटाकर 4.8 प्रतिशत कर दिया गया है। रूस के लिए तो वर्ष 2022 में एक गहरी मंदी की आशंका व्यक्त की गई है। दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र के वर्ष 2022 के अनुमानों के ठीक विपरीत भारत की आर्थिक विकास दर लगातार तेजी से बढ़ती जा रही है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की आर्थिक विकास दर में 8.9 प्रतिशत की वृद्धि रहने का अनुमान लगाया गया है, हालांकि जनवरी 2022 में जारी अपने पहले अग्रिम अनुमानों में 9.2 प्रतिशत की वृद्धि दर रहने का अनुमान लगाया गया था। केंद्र सरकार एवं रिजर्व बैंक के अनुमानों के अनुसार भी भारत की आर्थिक विकास दर वित्त वर्ष 2021-22 में नौ प्रतिशत के आसपास रहने की संभावना व्यक्त की गई है एवं वित्त वर्ष 2022-23 में सात से आठ प्रतिशत के बीच रहने की संभावना जताई गई है।
अंतरराष्ट्रीय संगठनों से वर्ष 2022 के लिए भारत के आर्थिक विकास दर के अनुमान लगाने के संदर्भ में कहीं न कहीं चूक हो रही है, क्योंकि वास्तविक धरातल पर भारत के आर्थिक विकास की कहानी कुछ और ही स्थिति दर्शा रही है। वित्त वर्ष 2021-22 में भारत से वस्तुओं के निर्यात 40 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करते हुए 41,800 करोड़ अमेरिकी डॉलर के रहे हैं, जो निर्धारित लक्ष्य से भी पांच प्रतिशत अधिक हैं। पेट्रोलियम उत्पाद, जेम्स एवं ज्वेलरी, इंजीनियरिंग उत्पाद, कृषि उत्पाद आदि क्षेत्रों में वृद्धि दर सराहनीय रही है।
यूक्रेन-रूस युद्ध के चलते भारत से कुछ उत्पादों, विशेष रूप से कृषि उत्पादों के निर्यात में वृद्धि हुई है, क्योंकि युद्ध पूर्व यूक्रेन एवं रूस कृषि उत्पादों का भारी मात्रा में निर्यात करते थे। अब कई देश गेहूं आदि के लिए भारत की ओर आशा भरी नजरों से देख रहे हैं। दूसरे, भारत ने हाल ही में कुछ देशों (यूएई एवं ऑस्ट्रेलिया) के साथ मुक्त व्यापार समझौते किए हैं एवं कुछ अन्य देशों (ब्रिटेन, अमेरिका एवं यूरोपीय संघ) के साथ मुक्त व्यापार समझौते अंतिम रूप में हैं।
भारत पहले भी दक्षिण कोरिया, जापान, मलयेशिया, मारीशस, श्रीलंका, नेपाल, अफगानिस्तान, चिली, मरकोसुर आदि देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते, व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) या तरजीही व्यापार समझौते कर चुका है। आज आर्थिक दृष्टि से संपन्न कई देश भारत के साथ अपने आर्थिक रिश्तों को मजबूत करना चाहते हैं, ऐसे में वर्ष 2022 में भारत के विदेशी व्यापार में वृद्धि जारी रहने की पूरी संभावनाएं बनती हैं, जिससे देश की आर्थिक विकास दर में तेजी बनी रहेगी। तीसरे, भारत द्वारा हाल ही में आर्थिक क्षेत्र में कई अहम निर्णय भी लिए हैं, जैसे उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना।
इस योजना के अंतर्गत 13 विभिन्न औद्योगिक उत्पादों को शामिल करते हुए 1,97,000 करोड़ रुपये की राशि इस योजना पर खर्च करने का निर्णय किया जा चुका है। चौथे, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में 2022-23 में किए जाने वाले पूंजीगत खर्चों में अधिकतम 35.4 प्रतिशत की वृद्धि की घोषणा की है। पूंजीगत खर्चों में बढ़ोतरी से देश की आर्थिक गतिविधियों में भी वृद्धि होगी, जो कि आर्थिक विकास दर को आगे बढ़ाने में सहायक होगी। जाहिर है, विदेशी संस्थानों द्वारा भारत के आर्थिक विकास के संदर्भ में उनके द्वारा किए जा रहे अनुमानों में कहीं न कहीं चूक की जा रही है।

सोर्स: अमर उजाला

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