- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- बेलगाम महंगाई: थोक...
भूपेंद्र सिंह | थोक कीमतों पर आधारित महंगाई दर का रिकार्ड उच्च स्तर पर पहुंच जाना सरकार के लिए खतरे की घंटी बनना चाहिए- इसलिए और भी कि थोक के साथ खुदरा महंगाई दर भी सिर उठाए हुए है। सरकार को महंगाई पर लगाम लगाने के लिए तत्काल प्रभाव से कुछ ठोस कदम उठाने चाहिए, अन्यथा आवश्यक वस्तुओं के बढ़ते दाम उसके लिए आर्थिक के साथ-साथ राजनीतिक रूप से भी चुनौती बन सकते हैं। सरकार के नीति-नियंता इसकी अनदेखी नहीं कर सकते कि महंगाई के बेलगाम होने से एक ओर जहां विरोधी दल सड़कों पर उतरने की चेतावनी दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने में मुश्किलें भी खड़ी होती दिख रही हैं। महंगाई बढ़ने का कारण है पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में वृद्धि और आवश्यक वस्तुओं की मांग एवं आपूर्ति में अंतर, जो लाकडाउन के चलते बढ़ा है, लेकिन इसकी भी अनदेखी नहीं की जा सकती कि आम आदमी पेट्रोलियम पदार्थों के बढ़े मूल्यों के साथ खाद्य तेल के बढ़ते दामों से भी परेशान है। नि:संदेह इसके आसार हैं कि लाकडाउन में रियायत और राहत से मांग एवं आर्पूित में अंतर कम होगा, लेकिन सरकार को पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए भी कुछ करना होगा। देश के अनेक हिस्सों में पेट्रोल की कीमतें सौ रुपये के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर गई हैं। कुछ स्थानों पर तो डीजल की कीमतें भी सौ रुपये के आसपास पहुंच गई हैं।