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- यूक्रेन संकट और कृषि...
यद्यपि इन दिनों यूक्रेन संकट के कारण दुनिया के अधिकांश देशों में खाद्यान्न की कीमतें बढ़ते हुए दिखाई दे रही हैं, लेकिन भारत में यूक्रेन संकट से निर्मित आर्थिक चुनौतियों के बीच भी कृषि का परिदृश्य सुकूनदेह है। जहां देश का आम आदमी खाद्यान्न की महंगाई से दूर है, वहीं देश में कृषि क्षेत्र को आधुनिक बनाकर कृषि को कच्चे तेल की तरह मजबूत आर्थिक आधार बनाए जाने की संभावनाएं उभरकर दिखाई दे रही हैं। निःसंदेह कोविड-19 की चुनौतियों के बीच पिछले दो वर्षों में दुनिया में भारत की पहचान खाद्यान्न की वैश्विक आपूर्ति करने वाले मददगार देश के रूप में उभरकर सामने आई है। अब इस वर्ष 2022 में रूस और यूक्रेन युद्ध संकट जैसी अन्य स्थितियों के मद्देनजर भारत से खाद्य पदार्थों के निर्यात की संभावनाएं हैं। ऐसे में कृषि को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के मद्देनजर सुकूनभरी उम्मीदों के तीन महत्त्वपूर्ण आधार दिखाई दे रहे हैं। एक, फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान प्रस्तुत हुआ है। दो, वर्ष 2022 में मानसून के अनुकूल रहने का पूर्वानुमान लगाया गया है। तीन, वर्ष 2022-23 के नए बजट में कृषि को आधुनिक बनाकर कृषि उत्पादन बढ़ाने के नए रणनीतिक रास्ते सुझाए गए हैं। गौरतलब है कि पिछले दो वर्ष 2020 और 2021 में भी कोविड-19 की चुनौतियों के बीच अर्थव्यवस्था के दूसरे सेक्टरों में भारी गिरावट के बीच कृषि ही एकमात्र ऐसा क्षेत्र रहा है जिसने लगातार वृद्धि बताई है। निश्चित रूप से वर्ष 2022 में जबरदस्त कृषि उत्पादन और अच्छा मानसून देश के आर्थिक-सामाजिक सभी क्षेत्रों के लिए लाभप्रद होगा। निःसंदेह रूस और यूक्रेन संकट के साथ-साथ खाद्य मांग बढ़ने की अन्य वैश्विक चुनौतियों के बीच खाद्य पैदावार बढ़ाने के मद्दनेजर विगत एक फरवरी 2022 को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा प्रस्तुत किया गया आगामी वित्त वर्ष 2022-23 का बजट अहम भूमिका निभाते हुए दिखाई दे सकता है।