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- यूएपीए पर सुनवाई

कुछ वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के खिलाफ त्रिपुरा पुलिस की एक अविवेकपूर्ण कार्रवाई ने देश में नई बहस को जन्म दे दिया है। दरअसल, इनके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून, यानी यूएपीए के तहत कई धाराओं में मुकदमे दर्ज कर उसने सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों से इन सबके बारे में सूचनाएं दरियाफ्त की हैं। इस कार्रवाई के विरुद्ध और इस कानून के खिलाफ भी फरियादी अब देश की आला अदालत में पहुंच गए हैं, जहां उनकी शिकायतों को सुनने का भरोसा प्रधान न्यायाधीश ने दिया है। यह पूरा प्रकरण त्रिपुरा से सटे बांग्लादेश में दुर्गापूजा के दौरान हुई हिंसा से जुड़ा है, जिसकी प्रतिक्रिया बाद में त्रिपुरा में भी देखने को मिली। विडंबना देखिए कि दोनों जगह, दो धर्मों से जुडे़ लोगों की भूमिका बिल्कुल बदली हुई थी। दोनों के अनुयायी एक जगह पीड़ित, तो दूसरी जगह हमलावर के रूप में देखे गए। यकीनन, ऐसी वारदातें सभ्य समाज के लिए स्वीकार्य नहीं हो सकतीं और दोनों जगहों पर घटी घटनाएं पुलिस की लापरवाही और उसकी निष्पक्षता को कठघरे में खड़ी करती हैं
