सम्पादकीय

सफलता के दो खास गुर

Rani Sahu
29 Jun 2022 7:16 PM GMT
सफलता के दो खास गुर
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जीवन में सफल होना हम सबका लक्ष्य है। हम सब सफलता का स्वाद चखना चाहते हैं, सफलता का आनंद उठाना चाहते हैं। हम में से कोई भी असफल नहीं होना चाहता, फिर भी ऐसा क्यों है कि बहुत से लोग सभी प्रयत्नों के बावजूद सफल नहीं हो पाते? दरअसल, हम सफलता के कुछ आधारभूत नियमों को नहीं समझते और उसी का परिणाम होता है कि सारी कोशिशों के बावजूद हमारी मंजि़ल हमारे लिए छलावा बनी रह जाती है

जीवन में सफल होना हम सबका लक्ष्य है। हम सब सफलता का स्वाद चखना चाहते हैं, सफलता का आनंद उठाना चाहते हैं। हम में से कोई भी असफल नहीं होना चाहता, फिर भी ऐसा क्यों है कि बहुत से लोग सभी प्रयत्नों के बावजूद सफल नहीं हो पाते? दरअसल, हम सफलता के कुछ आधारभूत नियमों को नहीं समझते और उसी का परिणाम होता है कि सारी कोशिशों के बावजूद हमारी मंजि़ल हमारे लिए छलावा बनी रह जाती है। सफलता के दो मूलभूत सिद्धांतों को समझ लें तो सफलता आसान हो जाती है। पहला मंत्र यह है कि किसी के बारे में कोई धारणा बनाते समय सिर्फ उसका काम ही मत देखिए, नीयत समझिए। हाल ही में संपन्न 'यूट्यूबर्स कलैक्टिव' के एक समागम में मेरे भाषण का विषय ही था .. 'डोंट सी दि एक्शन अलोन, अंडरस्टैंड दि इंटेशन टू'। मेरे एक सहकर्मी का 15-16 साल का बेटा अपने एक दोस्त के घर से एक पाकेट कैमरा उठा लाया। घर आकर जब वह नन्हा-सा कैमरा अपनी अलमारी में रखने लगा तो उसके पापा ने देख लिया और पाकेट कैमरा छुपाने की उसकी कोशिश के ढंग से ही वे समझ गए कि उनका बेटा अपने दोस्त की जानकारी के बिना उनके घर से कैमरा उठा लाया है। उन्होंने सख्ती से पूछताछ की तो सब सामने आ गया। उन्होंने उसे एक थप्पड़ जड़ा, उसके साथ उसके दोस्त के घर खुद गए, माफी मांगी और पाकेट कैमरा वापस कर आए।

उसके बाद उनके बेटे ने इतना अपमानित महसूस किया कि उसने दो महीने तक उनसे बात नहीं की। उसे ज्यादा गुस्सा इस बात का था कि उसके दोस्त के घर में सबको पता चल गया कि उसने उनके घर से कैमरा चुराया था। मेरे सहकर्मी के बेटे ने यह तो देखा कि उसके पापा ने उसे थप्पड़ मारा, यह भी देखा कि पाकेट कैमरा वापस करने वह खुद गए और उसके दोस्त के घर में सबको बता दिया कि उनके बेटे ने उनकी मजऱ्ी और जानकारी के बिना पाकेट कैमरा ले लिया था। वह अकेला जाता तो चुपचाप कैमरा रख कर वापस आ जाता, पापा के जाने से उसकी बहुत बेइज्ज़ती हुई। दोस्त के घर आना-जाना बंद हो गया। उस बच्चे ने अपने पापा की एक्शन देखी कि उसे थप्पड़ पड़ा, चोट लगी, अपमान हुआ। यह भी देखा कि उसके दोस्त के घर बेइज्ज़ती हुई, पर वह क्या था ऐसा जिसे उसने उस वक्त नहीं देखा? उसने यह नहीं देखा कि उसके पापा ने उसे थप्पड़ क्यों मारा? उसने यह नहीं देखा कि उसके पापा खुद साथ क्यों गए कैमरा वापस करने? उसने सिर्फ अपने पापा की एक्शन देखी, उनकी नीयत नहीं देखी। अगर उसके पापा उसे उस दिन थप्पड़ न मारते और कैमरा वापस करने न जाते तो क्या होता? यह होता कि वह किसी और दोस्त के घर से भी कुछ और उठा लाता। यह होता कि धीरे-धीरे उसे अपने घर से और अपने दोस्तों के घर से चोरी की आदत पड़ जाती। यह होता कि वह धीरे-धीरे और बड़ी चोरियां करने लग जाता। यह होता कि शायद वह चोरी को अपना पेशा ही बना लेता और किसी दिन पकड़ा जाता, जेल चला जाता। उसके पापा ने उसे अपराध की अंधेरी दुनिया में जाने से बचा लिया। उसके पापा ने उसे जेल जाने से बचा लिया, पर तब उसने यह सब नहीं देखा। उसने सिर्फ यह देखा कि उसको थप्पड़ लगा है और उसका अपमान हुआ है।
काम देखा, काम के पीछे की नीयत नहीं देखी। इसमें कोई दो राय नहीं कि जब कोई व्यक्ति कोई बात करे या कोई काम करे, चाहे वह हमसे संबंधित हो या न हो, तो हमें उसका व्यवहार तो नज़र आता है, पर उस व्यवहार के पीछे का कारण पता नहीं होता, उसकी नीयत का पता नहीं होता और यह बिल्कुल संभव है कि हम उस व्यक्ति के बारे में कोई गलत धारणा बना लें। उस व्यक्ति के बारे में हमारे दिमाग में यह छवि, यह धारणा गलत भी हो सकती है और सही भी। हो सकता है कि किसी व्यक्ति ने कोई ऐसा काम किया जो हमें बहुत बुरा लगे और हम उसे खलनायक मान लें जबकि वह असल में बहुत अच्छा हो। यह भी हो सकता है कि किसी व्यक्ति ने कोई ऐसा काम किया जो हमें बहुत अच्छा लगे और हम उसे एक बढि़या आदमी मान लें जबकि असल में वह कोई बहुत ही खुराफाती शख्स हो। इसलिए कोई धारणा, कोई परसेप्शन, कोई पूर्वाग्रह बनाने की जल्दबाज़ी से बचेंगे तो जीवन में ज्यादा धोखा नहीं खाएंगे। जब आप टीम में काम करते हैं तो इस नियम का ध्यान रखना और भी ज़रूरी होता है, वरना आप गलतियां करते रह सकते हैं और धोखा खाते रह सकते हैं। सफल होने और लगातार सफल बने रहने का दूसरा मंत्र यह है कि हम अपनी सफलता को दोहराना सीख लें। हम सफल हो गए, एक बार सफल हो गए, लेकिन बार-बार सफल कैसे हों, लगातार सफल कैसे होते रहें ताकि कोई यह न कहे कि एक बार तो तुक्के से सफल हो गए, किस्मत के कारण सफल हो गए या किसी और के कारण सफल हो गए। शतरंज के क्षेत्र में एक बहुत विख्यात विश्व चैंपियन हुए हैं गैरी कास्पारोव। हर बार जीतते थे। बड़े से बड़े खिलाडि़यों को हरा देते थे। उनका इंटरव्यू हुआ। पत्रकार ने पूछा कि आपकी जीत का राज़ क्या है?
कैसे आप हर बार हर दूसरे खिलाड़ी को हरा देते हैं जबकि कई बार यह लगता है कि आप बस अब हारे कि अब हारे। इस पर गैरी कास्पारोव ने बड़े विश्वास से कहा कि लोग सफलता और असफलता के बीच अंतर करना नहीं जानते। असफलता से सीख लेकर आप सफल हो सकते हैं, पर सफलता से सीख लेकर आप लगातार सफल होते रह सकते हैं। गैरी कास्पारोव ने कहा कि मैं जब भी शतरंज के खेल में खुद को कहीं फंसा हुआ महसूस करता हूं तो यह याद करता हूं कि पिछली बार जीते गए मैच में मैंने कौन सी चाल चली थी जिससे मैं जीत गया था और मैं वही चाल फिर दोहरा देता हूं। जीत दिलाने वाली चाल को दोहराने के बजाय हम क्या करते हैं? हम यह विश्लेषण करते हैं कि हम क्यों हारे? अपनी कमियों और कमजोरियों की सूची बनाते हैं और फिर उन्हें दूर करने की कोशिश शुरू कर देते हैं। हमारा फोकस कहां है? कमियों पर, कमजोरियों पर, और कास्पारोव का फोकस कहां होता था? जीत दिलाने वाली चाल पर। इस अंतर को समझिए। हमें अपनी कमियों और कमज़ोरियों को समझना चाहिए, उन्हें दूर करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए, लेकिन यह मत भूलिए कि हमारे अंदर कुछ खूबियां भी हैं। अगर हम अपनी खूबियों पर फोकस करें, उनका लाभ उठाएं तो हम अपनी सफलता को भी आसानी से दोहरा सकते हैं। लगातार सफल होने वाले लोगों का यही गुर है जो उन्हें सफल बनाता है, लगातार सफल बनाता है, सफल बनाए रखता है। इन दो आसान मंत्रों को अपनाइए, जो आपका जीवन बदल सकते हैं।
पी. के. खुराना
राजनीतिक रणनीतिकार
ई-मेलः [email protected]

By: divyahimachal


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