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- टू फ्रंट वार : भारत है...
आदित्य नारायण चोपड़ा: एयर मार्शल वी.आर. चौधरी ने वायु सेनाध्यक्ष का पदभार सम्भाल लिया है। उनकी नियुक्ति ऐसे समय में हुई जब पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एम्बुअल कंट्रोल पर भारत और चीन के बीच सीमा पर विवाद काफी बढ़ा हुआ और साथ ही पाकिस्तान लगातार हमारी सीमाओं पर अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा। वी.आर. चौधरी को 1982 में भारतीय वायुसेना की लड़ाकू धारा में शामिल किया गया था। 38 वर्षों के विशिष्ट करियर में उन्होंने भारतीय वायुसेना की सूची में विभिन्न प्रकार के लड़ाकू और प्रशिक्षक विमान उड़ाए हैं। उन्हें मिग 21, मिग 23, मिग 29 और सुखोई-30 एसकेआई लड़ाकू विमानों पर परिचालान उड़ान सहित 3800 घंटे से अधिक का उड़ान अनुभव है।चीन की निरंकुश नीतियों और पाकिस्तान से उसके गठजोड़ को देखते हुए यह जरूरी है कि भारतीय सेना सामरिक दृष्टिकोण अपनाए। एयर चीफ मार्शल ने वायुसेना के 89वें स्थापना दिवस से पहले वार्षिक मीडिया सम्बोधन में पाक और चीन को चेतावनी दे दी है कि भारत पूरी तरह से किसी भी तरह के खतरे और चुनौती से निपटने को तैयार है। अगर टू फ्रंट वार यानि चीन और पाकिस्तान दोनों मोर्चों पर एक साथ लड़ने की स्तिथि आती है तो भी वायुसेना पूरी तरह तैयार है। उन्होंने यह भी कहा की पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर चीन की पीएलए-एयरफोर्स तीन बड़े एयर बेस पर अपनी तैनाती को बेहद मजबूत कर रही है लेकिन उससे वायुसेना की तैयारियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।करीब छह दशक पहले हिन्दी-चीनी भाई-भाई का जो नारा भारत-चीन की फिजां में गूंजा था, उसकी खुशबू दोनों ही पक्ष आज तक आत्मसात नहीं कर सके। चीन की विस्तारवादी नीतियां इसकी वजह रहीं। वैश्विक पटल पर भारत की बढ़ती धमक चीन को पच नहीं रही। उसकी तमाम हरकतों के बावजूद भारत ने उसकी महत्वकांक्षी वन वेल्ट वन रोड परियोजना को खारिज करके और उसका पिछलग्गू न बनकर अपने स्वाभिमान का परिचय दिया है। यह बात उसे नागवार गुजरी। भारत-चीन सीमा पर ड्रेगन का रवैया बदल गया हमारी जमीन पर उसकी गिद्ध दृष्टि और बढ़ गई। भारत का रुख अडिग है। भारत अब 1962 वाला भारत नहीं भारत अब इतना संयम और समर्थ हो चुका है कि किसी भी मुल्क काे जमीन, आकाश और पातल में सबक सीखा सके। युद्ध किसी मसले का हल नहीं लेकिन अगर भारत पर इसे थोपा जाता है तो सक्षम राजनीतिक नेतृत्व में समर्थ देश अपनी सीमाओं की रक्षा करना बखूबी जान चुका है।संपादकीय :कश्मीर मे फिर मजहबी खून!कल , आज और कल मुबारककिसान आन्दोलन का हल?पैंडोरा पेपर्स : खुलेगी भारतीयों की कुंडलीदुनिया में बढ़ता ऊर्जा संकटमोटर से दबे किसानों की चीखडोकलाम से गलवान घाटी तक चीन को भारत के कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा है। भारतीय वायुसेना की ओर से पाकिस्तान के बालाकोट में किए गए हमले ने पुलवामा आतंकी हमले का पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया था। इस अभियान को 12 मिराज 2000 ने अंजाम दिया था। भारतीय वायुसेना ने तीन-तीन युद्धों में पाकिस्तान को जमकर सबक सिखाया है। वायुसेना की स्थापना 8 अक्तूबर, 1932 को की गई थी, जिसमें 25 सैनिकों की ताकत थी, जिनमें से 19 लड़ाकू पायलट जिसके बाद लगातार वायुसेना में आधुनिकरण विस्तार आते रहे और भारतीय वायुसेना अब विश्व की चौथी सबसे खतरनाक वायुसेना बन चुकी है। राफेल मिलने से भारतीय वायुसेना की ताकत काफी बढ़ी है।पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षा क्षेत्र में बहुत कुछ बदला है। जियो-पालिटीकल क्षेत्र में भी बदलाव आए हैं और डिसरपिटव-टैक्नोलोजी (ट्रोन अटैक) से भी चुनौतियां बढ़ गई हैं। जरूरत है भारतीय वायुसेना को नई चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार किया जाए। वायुसेना अध्यक्ष ने अपनी जरूरतें भी बताई हैं कि दोनों मोर्चों पर लड़ने के लिए वायुसेना को लड़ाकू विमानों की 42 स्कॉवड्रन की जरूरत है। अगले दशक तक वायुसेना के पास 35 स्कॉवड्रन ही हो पाएंगे। वायुसेना के लिए 114 नए लड़ाकू विमानों की निविदा जारी कर दी गई है। राफेल लड़ाकू विमान भी दूसरे लड़ाकू विमानों के साथ प्रतिस्पर्धा में है। वायुसेना 4.5 जेनरेशन वाले ऐसे लड़ाकू विमान चाहती है जिनमें फिफ्थ जेनरेेशन की भी कुछ खुबियां हों। रूस से मिलने वाला एस-400 मिसाइल सिस्टम इस वर्ष के अंत तक वायुसेना को मिल जाएगा। मौजूदा हालातों में चीन के पास ऐसा कोई रास्ता नहीं कि वो हमें हटा सके। वायुसेना ने लद्दाख में सभी जरूरी आपरेशनल लोकेशन पर तैनाती कर रखी है। हर भारतीय को अपनी सेना पर गर्व है और भरोसा भी है। इसी भरोसे के चलते देशवासी चैन की नींद सोते हैं।