सम्पादकीय

गहरे असमंजस में ट्विटर

Gulabi
12 Feb 2021 3:12 PM GMT
गहरे असमंजस में ट्विटर
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ट्विटर एक उलझन में फंसा नजर आता है।

ट्विटर एक उलझन में फंसा नजर आता है। वह ये नहीं समझ पा रहा है कि आखिर किस हद तक अभिव्यक्ति की आजादी के समर्थन में खड़ा हुआ जाए। भारत उसके लिए एक महत्त्वपूर्ण बाजार है। इससे अलग हो जाना उसके लिए आसान नहीं है। दूसरी तरफ लगता है कि भारत सरकार ने उसे सबक सिखाने की पूरी तैयार कर ली है। मंत्री अगर एक वैकल्पिक देसी माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर जाकर उसे प्रोमोट करने लगें, तो इसका यही निष्कर्ष निकाला जाएगा कि भारत सरकार वैकल्पिक तैयारी कर रही है। वह चीन की तरह अपना माध्यम बना लेना चाहती है, जिस पर वह जितना चाहे उतना प्रतिबंध लगा पाएगी। बहरहाल, ट्विटर का कहना है कि उसने हाल ही में भारत सरकार द्वारा जारी किए गए आदेशों के अनुरूप कुछ कार्रवाई की है। लेकिन वह मीडिया संस्थाओं, पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और नेताओं से जुड़े ट्विटर एकाउंट को ब्लॉक नहीं करेगा। साफ तौर पर वह बीच का रास्ता ढूंढने की कोशिश में है।


ट्विटर ने कहा कि जिन ट्विटर हैंडल्स को उसने ब्लॉक नहीं किया है, उन्हें ऐसा करना भारतीय कानून के तहत उनके अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा। ट्विटर ने कहा कि वह ट्विटर और प्रभावित हुए ट्विटर एकाउंट दोनों के लिए भारतीय कानून के तहत विकल्पों को तलाश कर रहा है। उसने एक ब्लॉग पोस्ट में जानकारी दी है- 'बीते दस दिनों में ट्विटर को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69-ए के तहत भारत सरकार के इलेक्टॉनिक्स एवं सूचना प्रोद्यौगिकी मंत्रालय से कई अलग-अलग ट्विटर एकाउंट को ब्लॉक करने के आदेश मिले हैं। आज हमने भारत में विदहेल्ड कंटेंट पॉलिसी के तहत कुछ एकाउंट्स पर रोक लगाई है। ये ट्विटर एकाउंट भारत से बाहर उपलब्ध हैं, क्योंकि हमें नही लगता कि जो आदेश हमें दिए जा रहे हैं, वे भारतीय कानून के अनुरूप हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हमारे सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए हमने उन एकाउंट के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है, जो मीडिया संस्थाओं, पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और नेताओं से जुड़े हुए हैं। हमारा विश्वास है कि ऐसा करने से उनके भारतीय कानून के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।' तो सवाल यही है कि जब ऐसा है तो कुछ एकाउंट्स भारत में क्यों रोके गए हैं? बहरहाल, ये बयान केंद्र सरकार के साथ ट्विटर के मौजूदा तनाव को दर्शाता है। इसका समाधान आखिरकार ट्विटर को ही निकालना होगा, जिसकी अभिव्यक्ति की आजादी के प्रति निष्ठा दांव पर लगी हुई है।


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