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- वेतन घटाने की सिफारिश...
संपादक महोदय, श्री विनोद प्रकाश गुप्ता जी के पत्र का मैं सम्मान करता हूं। उनका कहना है कि सरकारी कर्मियों के वेतन हज़ारों पैरामीटरों को ध्यान में रख कर निर्धारित किए जाते हैं। मैंने वेतन आयोगों की रपटों को देखा है। इन्होंने मुख्यत: सरकारी कर्मियों के उत्तम जीवनयापन के लिए जरूरी रकम की संस्तुति की है। दूसरे देशों के अनुभव विशेषकर वियतनाम एवं चीन के अनुभवों को नहीं देखा है। इन्होंने यह भी नहीं देखा है कि सामान्य मजदूर की तुलना में सरकारी कर्मियों को कितना वेतन मिलता है। वेतन आयोगों के सदस्य सरकारी कर्मी होते हैं और अपने स्वार्थ के लिए ऊंचे वेतन की संस्तुति करते हैं। वेतन आयोग अंतिम निर्णायक नहीं होता है। इनकी रपटों को निरस्त करना चाहिए। दूसरे आपने कहा है कि 14 करोड़ कर्मचारी क्या कोई भी सरकार भर्ती कर सकती है? उत्तर है, हां। इसमें व्यवधान क्या है? तीसरे आपका कहना है कि राष्ट्रपति का वेतन 70000 रुपए रह जाएगा। यह सही है। ऐसा ही होना चाहिए। चौथे आपका कहना है कि श्रेणी चार वाले को 2000/3000 मिलेंगे। इस पर अवश्य विचार करना चाहिए। मूल बात है कि वियतनाम एवं चीन से सीखना चाहिए। आम आदमी की सेवा के लिए नियुक्त किए गए सरकारी कर्मी आम आदमी का शोषण कर रहे हैं। इसे बंद करना चाहिए।