सम्पादकीय

कोशिश की जाए कि कितनी ही व्यस्तता हो, योग अवश्य कर लें

Gulabi Jagat
23 April 2022 7:19 AM GMT
कोशिश की जाए कि कितनी ही व्यस्तता हो, योग अवश्य कर लें
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अपनी खामोशी को आवाज बनाने का हुनर जिन लोगों में होता है, उन्हें योगी कहते हैं

पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:

अपनी खामोशी को आवाज बनाने का हुनर जिन लोगों में होता है, उन्हें योगी कहते हैं। योग करने वालों को जुबां से बहुत अधिक बोलने की जरूरत नहीं होती। उनके नेत्र बोलने लगते हैं। अब तो विज्ञान ने भी मान लिया है कि जो लोग ध्यान करते हैं उनके मस्तिष्क के कुछ क्षेत्र ध्यान न करने वालों के मुकाबले अधिक परिपक्व होते हैं। विज्ञान की भाषा में उनमें ग्रे मैटर अधिक होता है।
मोटे तौर पर हमारे भीतर पांच मस्तिष्क होते हैं- बैलेंस्ड ब्रेन, स्पॉन्टेनियस ब्रेन, परसिस्टेंट ब्रेन, सेंसिटिव ब्रेन और कॉशस ब्रेन। इन पांच रूपों में जो ग्रे मैटर होता है, उसको बढ़ाने का काम योग करता है। इसलिए कोशिश की जाए कि कितनी ही व्यस्तता हो, योग अवश्य कर लें।
जैसे ही हम योग से गुजरते हैं, समझ में आ जाता है कि नापसंद लोगों को एक बार दिल में भले ही जगह दे दी जाए, पर दिमाग में न दें। हमारे आसपास कई लोग ऐसे हैं जिन्हें हम पसंद-नापसंद करते हैं। इन लोगों का दिमाग में जाना, दिल में आना यह संतुलन यदि समझ में आ जाए तो भीतर की बेचैनी का एक बड़ा हिस्सा खत्म हो जाएगा।

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