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सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस स्पाईवेयर प्रकरण में केंद्र सरकार की दलीलों को ठुकराते हुए इसकी विस्तृत और पारदर्शी जांच कराने का फैसला किया और इसके लिए तीन सदस्यों की एक समिति भी गठित कर दी। मीडिया समूहों के एक इंटरनैशनल कॉन्सर्शियम की ओर से करीब तीन महीने पहले आई इस रिपोर्ट ने दुनिया भर में हलचल मचा दी थी कि इस्राइली कंपनी एनएसओ ग्रुप के फोन हैकिंग सॉफ्टवेयर पेगासस के जरिए विभिन्न देशों में नागरिकों की जासूसी कराई गई। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि इसके मार्फत भारत में भी 50,000 लोगों के फोन को निशाना बनाया गया। इनमें न केवल नेता, सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार और बिजनेसमेन बल्कि जिम्मेदार और संवैधानिक पदों पर बैठे लोग भी थे। मामले का एक महत्वपूर्ण पहलू यह रहा कि एनएसओ ग्रुप ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा, यह उपकरण प्राइवेट पार्टियों को नहीं बेचा जाता, सिर्फ सरकारों को दिया जाता है क्योंकि इसका मकसद आतंकवाद जैसी गतिविधियों पर रोक लगाने में मदद करना है। इसके बाद स्वाभाविक रूप से भारत में भी सबका ध्यान सरकार की ओर गया। संसद में भी यह सवाल उठा और सरकार से इस पूरे मामले की भरोसेमंद जांच कराने की मांग की गई।