सम्पादकीय

आक्सीजन संकट का सच: कोविड महामारी के दौरान दिल्ली सरकार ने 4 गुना ज्यादा मेडिकल आक्सीजन की मांग की थी

Triveni
26 Jun 2021 3:38 AM GMT
आक्सीजन संकट का सच: कोविड महामारी के दौरान दिल्ली सरकार ने 4 गुना ज्यादा मेडिकल आक्सीजन की मांग की थी
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कोविड महामारी की दूसरी लहर के दौरान आक्सीजन संकट को लेकर मचे हाहाकार पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित समिति की यह रपट अवाक कर देने वाली है

भूपेंद्र सिंह |कोविड महामारी की दूसरी लहर के दौरान आक्सीजन संकट को लेकर मचे हाहाकार पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित समिति की यह रपट अवाक कर देने वाली है कि दिल्ली सरकार ने अपनी जरूरत से चार गुना ज्यादा मेडिकल आक्सीजन की मांग की थी। इस समिति के अनुसार दिल्ली सरकार की ओर से बढ़ा-चढ़ाकर की गई इस मांग के कारण कम से कम 12 राज्यों को आक्सीजन संकट से जूझना पड़ा। हैरानी नहीं कि कई कोरोना मरीज इसकी भेंट भी चढ़ गए हों, क्योंकि अन्य राज्यों के हिस्से की आक्सीजन में कटौती करके दिल्ली को दी गई। सच जो भी हो, यह एक किस्म का आपराधिक कृत्य है कि कोई राज्य सरकार एक ऐसे समय जीवनरक्षक आक्सीजन की चार गुना अधिक मांग करे, जब देश में हर कहीं उसकी कमी हो। विडंबना यह रही कि दिल्ली सरकार यह मांग तब तक करती रही, जब तक केंद्र सरकार ने आक्सीजन खपत का आडिट कराने की पेशकश नहीं की। पहले तो दिल्ली सरकार ने इस पेशकश से बचने की कोशिश की, फिर यकायक कहने लगी कि उसे कहीं कम आक्सीजन की जरूरत है। इससे तो यही लगता है कि जानबूझकर जरूरत से ज्यादा आक्सीजन की मांग की जा रही थी। आखिर इसका क्या मकसद हो सकता है? संकट को और बड़ा करके दिखाना और केंद्र सरकार को बदनाम करना अथवा अपनी गलती के लिए किसी और को जिम्मेदार दिखाना?

दिल्ली सरकार का मकसद जो भी हो, इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि उसकी आक्सीजन संबंधी मांग को सही समझकर दिल्ली उच्च न्यायालय केंद्र सरकार को न केवल फटकार लगाने में लगा हुआ था, बल्कि उसके अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करने को भी तैयार था। स्पष्ट है कि दिल्ली उच्च न्यायालय भी मान बैठा था कि दिल्ली सरकार को वाकई उतनी ही आक्सीजन की जरूरत है, जितनी उसके द्वारा मांग की जा रही थी। अच्छा होगा कि सुप्रीम कोर्ट की समिति उन कारणों की तह तक जाने की कोशिश करे, जिनके चलते दिल्ली सरकार 300 मीट्रिक टन के बजाय 1,200 मीट्रिक टन आक्सीजन मांग रही थी, ताकि इस कृत्य के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह बनाया जा सके और उन्हें सबक सिखाया जा सके। यह इसलिए आवश्यक है, क्योंकि दिल्ली सरकार अपनी भूल स्वीकार करने के बजाय बहाने बनाने के साथ यह साबित करने की भी कोशिश कर रही है कि ऐसी किसी रपट का वजूद ही नहीं, जिसमें यह कहा गया है कि उसने जरूरत से कई गुना ज्यादा आक्सीजन की मांग कर अन्य राज्यों के समक्ष संकट खड़ा किया। इस मामले से खुद केंद्र सरकार को भी आगे के लिए सबक सीखने होंगे।


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