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- आक्सीजन संकट का सच:...
भूपेंद्र सिंह |कोविड महामारी की दूसरी लहर के दौरान आक्सीजन संकट को लेकर मचे हाहाकार पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित समिति की यह रपट अवाक कर देने वाली है कि दिल्ली सरकार ने अपनी जरूरत से चार गुना ज्यादा मेडिकल आक्सीजन की मांग की थी। इस समिति के अनुसार दिल्ली सरकार की ओर से बढ़ा-चढ़ाकर की गई इस मांग के कारण कम से कम 12 राज्यों को आक्सीजन संकट से जूझना पड़ा। हैरानी नहीं कि कई कोरोना मरीज इसकी भेंट भी चढ़ गए हों, क्योंकि अन्य राज्यों के हिस्से की आक्सीजन में कटौती करके दिल्ली को दी गई। सच जो भी हो, यह एक किस्म का आपराधिक कृत्य है कि कोई राज्य सरकार एक ऐसे समय जीवनरक्षक आक्सीजन की चार गुना अधिक मांग करे, जब देश में हर कहीं उसकी कमी हो। विडंबना यह रही कि दिल्ली सरकार यह मांग तब तक करती रही, जब तक केंद्र सरकार ने आक्सीजन खपत का आडिट कराने की पेशकश नहीं की। पहले तो दिल्ली सरकार ने इस पेशकश से बचने की कोशिश की, फिर यकायक कहने लगी कि उसे कहीं कम आक्सीजन की जरूरत है। इससे तो यही लगता है कि जानबूझकर जरूरत से ज्यादा आक्सीजन की मांग की जा रही थी। आखिर इसका क्या मकसद हो सकता है? संकट को और बड़ा करके दिखाना और केंद्र सरकार को बदनाम करना अथवा अपनी गलती के लिए किसी और को जिम्मेदार दिखाना?