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नवभारत टाइम्स: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप अगले मंगलवार को एक बड़ी घोषणा करने जा रहे हैं। माना जा रहा है कि वह 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपनी उम्मीदवारी का एलान करने वाले हैं। ट्रंप की ताजा घोषणा अमेरिका में प्रतिनिधि सभा के लिए होने जा रही वोटिंग के ठीक एक दिन पहले आई। खास बात यह है कि इन चुनावों में ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी को बहुमत हासिल होने की संभावना जताई जा रही है। अगर ऐसा हुआ तो जो बाइडन के करीब दो साल के बचे हुए कार्यकाल में विधायिका की ताकत उनके साथ नहीं होगी। डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए बुरी खबर यह भी है कि बाइडन की लोकप्रियता कम हुई है। अमेरिका मंदी की ओर बढ़ रहा है और महंगाई दर के अभी तक काबू में आने के संकेत नहीं दिख रहे हैं। इससे वहां लोगों की जिंदगी मुश्किल हुई है। इन हालात में ट्रंप के नेतृत्व में रिपब्लिकन पार्टी की लोकप्रियता और बढ़ सकती है। इसके अलावा ट्रंप के राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के संकेत को कई और वजहों से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अमेरिका ही नहीं, दुनिया के प्रमुख लोकतांत्रिक देशों का हालिया इतिहास देखा जाए तो ट्रंप संभवत: इकलौते राष्ट्रपति रहे हैं, जिन्होंने चुनाव में पराजित होने और पद छोड़ने के दो साल बाद तक हार नहीं मानी है। आज भी जब वह अगला चुनाव लड़ने का संकेत दे रहे हैं, उन्होंने पिछले राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को औपचारिक तौर पर स्वीकार करने की घोषणा नहीं की है।
दूसरी बात यह कि उन पर राष्ट्रपति भवन खाली करते समय कई सीक्रेट फाइल्स साथ ले जाने समेत कई गंभीर आरोप हैं, जिनकी फेडरल एजेंसियां जांच कर रही हैं। 6 जनवरी 2020 को कैपिटल हिल (संसद भवन) पर हुए हमले की जांच कर रही हाउस कमिटी ने भी उन्हें समन भेजा है। उनसे 14 नवंबर को अपना बयान दर्ज कराने के लिए कहा गया है। ध्यान रहे, ट्रंप ने अपने 'बड़े एलान' की तारीख इसके अगले दिन यानी 15 नवंबर तय की है। साफ है कि ट्रंप की इस घोषणा को एक लोकतांत्रिक देश में सर्वोच्च पद के किसी भी सामान्य उम्मीदवार द्वारा किए जाने वाले एलान की तरह नहीं लिया जा सकता। मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडन बार-बार इस बात को रेखांकित कर रहे हैं कि 'हमारा लोकतंत्र खतरे में है।' लेकिन अमेरिकी पब्लिक के लिए अभी बड़ा मुद्दा आर्थिक मुश्किलें और बढ़ती महंगाई है, जिनसे जल्द राहत मिलने के संकेत भी नहीं दिख रहे। इसका मतलब यह है कि हाल-फिलहाल बाइडन सरकार की दिक्कतें और बढ़ेंगी। दूसरी ओर, पिछले राष्ट्रपति चुनावों के बाद रिपब्लिकन पार्टी ने ट्रंपवाद को जोरशोर से अपनाया है, जिसकी अपील उसके समर्थकों के बीच बनी हुई है। यह ट्रंप के लिए अगले राष्ट्रपति चुनावों के लिहाज से भले ही अच्छी खबर हो, लेकिन अमेरिकी लोकतंत्र के लिए नहीं।