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- ट्रंप की जिद
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। शायद उनसे कोई और उम्मीद भी नहीं थी। पिछले चार साल में यह शिकायत आमतौर पर सुनाई देती थी कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के तौर-तरीकों में वह गरिमा नहीं है, जो दुनिया के सबसे ताकतवर शख्स में होनी चाहिए। पूरे चार साल तक वह कहीं भी, कुछ भी उल्टा-सीधा बोलने के लिए कुख्यात रहे और अब जब वह हारते दिख रहे हैं, तब यह सोचना व्यर्थ है कि वह उस सलीके से पेश आएंगे, जो किसी लोकतंत्र में जनता के आदेश को स्वीकार करने के लिए जरूरी होता है। फिलहाल यह कहना तो ठीक नहीं है कि वे पूरी तरह हार ही गए हैं, मतगणना अभी जारी है और टक्कर कांटे की है। इसलिए ट्रंप के बर्ताव में जो खीझ दिख रही है, वह दरअसल मनमुताबिक नतीजे न आने की खीझ है। या शायद इन्हीं नतीजों में उन्होंने अपनी हार को सूंघ लिया है और परेशान हो गए हैं। मंगलवार की शाम को उन्होंने अपनी जीत का एलान कर दिया था। बुधवार से ही उन्होंने यह कहना शुरू कर दिया था कि चुनाव में धांधली हुई है और उनके साथ धोखा हुआ है। शुक्रवार को उन्होंने ह्वाइट हाउस में बाकायदा पत्रकारों के सामने कहा कि उन्हें हराने के लिए चुनाव में धांधली की गई। उनका कहना था कि अगर कानूनी वोट गिने जाएं, तो वह जीते हुए हैं, लेकिन गैर-कानूनी वोटों की वजह से वह हार रहे हैं। उसके बाद उन्होंने न इस धांधली के कोई सुबूत दिए और न ही पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए।
ये कौन से वोट हैं, जिन्हें वह गैरकानूनी बता रहे हैं? दरअसल इस बार अमेरिका में बड़ी संख्या में मतदाताओं ने डाक से वोट दिए हैं। कोरोना संक्रमण के चलते ऐसे बहुत से मतदाता हैं, जिन्होंने मतदान केंद्र तक जाकर भीड़ में वोट देना बेहतर नहीं समझा और डाक वाले विकल्प को चुना। यह भी कहा जाता है कि ये वे मतदाता हैं, जिन्हें संक्रमण रोकने संबंधी ट्रंप प्रशासन की व्यवस्थाओं पर यकीन नहीं था और इसलिए भी उन्होंने यह विकल्प चुना। जाहिर है कि ऐसे मतदाताओं के ज्यादातर वोट ट्रंप के खिलाफ ही पड़ने थे। डाक से आए मतपत्रों को गिनने में ज्यादा समय लगता है, इसलिए इस बार अमेरिका की मतगणना प्रक्रिया काफी लंबी हो गई है, ट्रंप को भी अपनी खीझ दिखाने के लिए लंबा समय मिल गया है। इस बीच अमेरिका से आ रही इन खबरों ने भी चिंताएं बढ़ा दी हैं कि वहां कई जगह ट्रंप समर्थक विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं, और कुछ प्रदर्शनकारी तो बाकायदा खतरनाक हथियारों से लैस हैं।
डोनाल्ड ट्रंप के इस मनमाने रवैये का खुद उनकी ही पार्टी के कई नेताओं ने विरोध किया है। उनका कहना है कि अगर उनके पास चुनाव में हुई धांधली के पक्के सुबूत हैं, तो उन्हें लोगों और मीडिया के सामने हंगामा करने के बजाय अदालत का दरवाजा खटखटाना चाहिए। हालांकि, अमेरिका के दो राज्यों में अदालतों ने ट्रंप की याचिका को खारिज कर दिया है। यानी अब डोनाल्ड ट्रंप के पास अपनी जिद दिखाने के अलावा दूसरे विकल्प भी बहुत कम बचे हैं। यह हाल तब है, जब खुद ट्रंप के पक्ष में भी भारी मतदान हुआ है और बहुत से राज्यों में तो वह स्पष्ट रूप से विजेता ही रहे हैं। अंतिम चुनावी नतीजे चाहे जो हों, लेकिन इस चुनाव के बाद अमेरिका एक ऐसे देश केरूप में सामने आया है, जहां ट्रंप केउग्र रवैये, विवादास्पद नीतियों और उनकी जिद के समर्थक भी बहुत बड़ी संख्या में हैं।