सम्पादकीय

आफत और राहत: राज्यों की कोताही पर कोर्ट क्षुब्ध

Gulabi
24 Nov 2020 4:45 AM GMT
आफत और राहत: राज्यों की कोताही पर कोर्ट क्षुब्ध
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वैक्सीन ट्रायल के उत्साहवर्धक परिणामों के बाद सरकार ने पूरा ध्यान वैक्सीन संग्रहण और वैक्सीनेशन के वितरण पर लगा दिया है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ऐसे वक्त में जब कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने फिर भयभीत किया है, चारों दिशाओं से कोरोना वैक्सीन ट्रायल के उत्साहवर्धक परिणामों ने राहत की उम्मीद जगाई है। सोमवार को देश की शीर्ष अदालत ने राज्य सरकारों की खिंचाई की और कोरोना से निपटने की तैयारी का विस्तृत ब्योरा मांगा। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए देर से कदम उठाने को लेकर सवाल किये।

साथ ही शवों के साथ सम्मानजनक ढंग से व्यवहार न करने पर नाराजगी जतायी। दिल्ली, महाराष्ट्र, असम व गुजरात के हालात पर चिंता जताते हुए कोर्ट ने गुजरात सरकार से कहा है कि कैसे वह सार्वजनिक कार्यक्रमों व विवाहों में ज्यादा भीड़भाड़ की अनुमति दे रही है, जबकि राज्य में हालात गंभीर हो रहे हैं। कोर्ट ने राज्यों से संक्रमण से मुकाबले की तैयारी पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है और इस पर 27 नवंबर को फिर से सुनवाई करेगी।

वहीं दिल्ली हाईकोर्ट ने लॉकडाउन लगाने को लेकर दायर याचिका पर सख्ती दिखाते हुए पूछा कि क्या लॉकडाउन के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है? इसी बीच दो अमेरिकी फार्मा कंपनियों फाइजर और मॉर्डना द्वारा कोविड वैक्सीन की 95 फीसदी क्षमता के दावों के बीच ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के फेज तीन के ट्रायल्स के उत्साहजनक परिणामों ने भारत में उम्मीद जगायी है।

ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन कोविशील्ड से भारत को बड़ी आशाएं हैं क्योंकि सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने एस्ट्राजेनेका से वैक्सीन को लेकर करार किया है। कंपनी सौ करोड़ डोज तैयार करेगी। भारत सरकार भी कंपनी से वैक्सीन की खरीद को लेकर बातचीत कर रही है।

दरअसल, यह वैक्सीन अन्य वैक्सीनों से बहुत सस्ती है और भारत सरकार को यह कम कीमत पर मिलेगी। यह वैक्सीन भी डेढ़ खुराक के साथ नब्बे फीसदी असरदार पायी गयी है।

दूसरा इस वैक्सीन को सुरक्षित रखने के लिए जो जरूरी न्यूनतम तापमान है, वह भारत के अनुकूल है और अन्य वैक्सीनों को भी इसी तापमान में रखा जाता है।  दरअसल, ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन कोविशील्ड के ट्रायल भारत, ब्रिटेन और ब्राजील में हुए हैं।

इसके किसी तरह के साइड इफेक्ट भी नजर नहीं आये हैं। साथ ही यह भारतीय वातावरण के अनुकूल भी है। वहीं अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइजर और मॉर्डना की वैक्सीन को शून्य से बेहद कम तापमान में रखना पड़ता है, जिसका वितरण भारत में इस तापमान पर कर पाना संभव नहीं है।

वहीं भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षणों के परिणाम उत्साहजनक रहे हैं, जिसके भी फरवरी में उपलब्ध होने के आसार हैं।

ऐसे में कोविशील्ड और कोवैक्सीन के भारत में उत्पादन के चलते नागरिकों को जल्दी मिलने के पक्के आसार हैं। वहीं दूसरी ओर सरकार ने भी वैक्सीनेशन के लिये हाइटैक प्लान तैयार किया है, जिसके लिये सभी लोगों को कोविन एप डाउनलोड करना पड़ेगा जो कि हर व्यक्ति के आधार नंबर से जुड़ेगा।

वैक्सीन ट्रायल के उत्साहवर्धक परिणामों के बाद सरकार ने पूरा ध्यान वैक्सीन संग्रहण और वैक्सीनेशन के वितरण पर लगा दिया है।

कोविन एप के जरिये जहां वैक्सीनेशन की सारी जानकारी व्यक्ति को मिलेगी, वहीं किस व्यक्ति को टीका लग चुका है और कितने लोग रह गये हैं, इसकी जानकारी सरकार के पास होगी। यह एप वैक्सीन के स्टोरेज से लेकर हेल्थ सेंटर तक के मार्ग को ट्रेक करेगा। उसके तापमान पर भी नजर रखेगा। इसके जरिये वैक्सीनेशन के कार्यक्रम की भी जानकारी मिलेगी। वैक्सीन लगने पर एक सर्टिफिकेट भी दिया जायेगा।

इसके साथ ही एप में फ्रंटलाइन वर्कर्स, ज्यादा उम्र के लोगों, गंभीर रोगों से पीडि़त लोगों का डाटा भी रहेगा। इन्हें मंजूरी के बाद पहले वैक्सीन दी जायेगी। वैक्सीनेशन बूथों को भी चिन्हित किया जा रहा है। अब तक टीकाकरण में प्रयुक्त हजारों वैक्सीन स्टोरेज सेंटर इसमें मददगार साबित होंगे।

बहुत संभव है कि भारत में समय से पहले टीके की आमद हो जाये। दरअसल, ब्रिटेन में एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के इमरजेंसी अप्रूवल के लिए आवेदन करेगी। अनुमति मिलने पर सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया भी भारत में इमरजेंसी अप्रूवल हासिल कर सकती है जो भारतीयों के लिये राहतकारी होगा।

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