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- माकपा की राह पर तृणमूल...
शंकर शरण : बंगाल की घटनाएं बता रही हैं कि तृणमूल कांग्रेस ने अपने को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी यानी माकपा के नक्शे में ढाल लिया है। इस राज्य में माकपा राज जनसमर्थन से अधिक हिंसा और गुंडागर्दी से चला था। स्वयं प्रसिद्ध कम्युनिस्ट नेता और वरिठ सांसद भूपेश गुप्त ने कहा था कि शुरू से ही माकपा ने अपराधियों और समाज-विरोधी तत्वों के साथ मिलकर अपना कब्जा बनाया। गुप्त के शब्दों में, 'पश्चिम बंगाल में तब तक सामान्य स्थिति होने की आशा नहीं, जब तक कि मार्क्सवादी अपने बमों को हुगली में फेंक नहीं देते तथा अपनी बंदूकें और छुरे चलाना छोड़ नहीं देते। माकपा का आतंकवाद खत्म हुए बिना बंगाल में सामान्य स्थिति की वापसी असंभव सी है।' आज यही बात तृणमूल कांग्रेस के लिए कही जा सकती है। तृणमूल की भारतीय अखंडता से उदासीनता या घृणा भी कम्युनिस्टों से मिलती-जुलती है। तृणमूल के लोगों द्वारा राज्य से बाहर के नेताओं, सम्मानित व्यक्तियों को भी बाहरी कह कर तिरस्कार करने में वही भाव है। माकपा खुलेआम विदेशी कम्युनिस्ट सत्ताओं, विशेषकर चीनियों से अपनी निकटता और भारत के कांग्रेस नेताओं से अपना दुराव दर्शाती थी। तृणमूल के प्रवक्ताओं ने भी वही रूप दर्शाया है।