सम्पादकीय

गुजरात में आम आदमी पार्टी की तिरंगा यात्रा, विपक्ष के वोट बटेंगे या बीजेपी के कटेंगे

Gulabi Jagat
4 April 2022 8:56 AM GMT
गुजरात में आम आदमी पार्टी की तिरंगा यात्रा, विपक्ष के वोट बटेंगे या बीजेपी के कटेंगे
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पाटीदार समुदाय के लेउवा पटेल संप्रदाय में खोड़ियार देवी के प्रति गहरी आस्था है
दर्शन देसाई।
दिल्ली और पंजाब में सरकार बनाने के बाद आम आदमी पार्टी (Aam Aadami Party) की निगाहें अब गुजरात में पार्टी का विस्तार करने पर लगी हैं. इसके लिए आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejariwal) और पंजाब के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शनिवार को अहमदाबाद में रोड शो किया. साथ ही इसी साल दिसंबर में गुजरात विधानसभा चुनावों (Gujarat Assembly Election) की तैयारी के लिए स्थानीय नेताओं के साथ रणनीति बनाने वाली बैठकों में भी शामिल हुए. राज्य के दो दिवसीय अपने दौरे पर दोनों मुख्यमंत्री शुक्रवार रात को गुजरात पहुंचे और शनिवार को रोड शो किया जिसे कि पार्टी की ओर से तिरंगा यात्रा का नाम दिया गया है. यह यात्रा अहमदाबाद के पास पाटीदार के खोड़ियार मंदिर और पूर्वी उपनगर निकोल से शुरू हुई जहां श्रमिकों की संख्या ज्यादा है. निकोल और इसके आसपास के क्षेत्र में गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र की जनसंख्या ज्यादा है. पाटीदार समुदाय के लेउवा पटेल संप्रदाय में खोड़ियार देवी के प्रति गहरी आस्था है.
मुख्य विपक्षी दल के तौर पर उभरी है आप
पिछले साल फरवरी में सूरत नगर निगम चुनावों में अपनी पार्टी की शानदार जीत के बाद अरविंद केजरीवाल ने गुजरात में अपने पैर पूरी तरह जमाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं. बता दें कि इन चुनावों में कांग्रेस को पूरी तरह से बाहर करते हुए आम आदमी पार्टी मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरी. 80 लोकसभा सीटों के साथ देश की राजनीति में जो मायने उत्तर प्रदेश के हैं, वो ही 182 सदस्यों वाली गुजरात विधानसभा में 52 सीटों के साथ सौराष्ट्र के हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए ही अरविंद केजरीवाल ने आगामी विधानसभा चुनावों में अपनी पकड़ बनाने के लिए अभी से रोड शो कर एक तरह से चुनावी बिगुल बजा ही दिया है.
अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने पिछले साल गांधीनगर नगर निगम जैसे छोटे चुनाव में भी 21 प्रतिशत वोट शेयर हासिल कर कांग्रेस को बड़ा झटका दिया था. भाजपा शासित राज्य की राजधानी में हुए चुनावों में पहली बार विपक्ष को मिले वोटों में इतने अंतर का बंटवारा देखने को मिला.
चूंकि सूरत के 27 नगर पार्षदों में से अधिकांश पाटीदार हैं जिनकी जड़ें सौराष्ट्र क्षेत्र से हैं, इसलिए आप उन्हें लुभाने की कोशिश कर रही है. एक शक्तिशाली लेउवा पटेल नेता और सौराष्ट्र में प्रभावशाली राजकोट जिले स्थित खोडलधाम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेश पटेल ने हाल ही में राजनीति में शामिल होने के व्यापक संकेत दिए हैं. नरेश पटेल को भाजपा और कांग्रेस के बाद अब आप भी लुभाने का प्रयास कर रही है. बता दें कि ये वही पटेल हैं जिन्होंने 2021 में एक संयुक्त सम्मेलन में लेउवा और काडवों के बीच के तनाव को दूर करने में बड़ी भूमिका निभाई थी. वैसे वह कई बार आम आदमी पार्टी की राजनीति की प्रशंसा कर चुके हैं.
कांग्रेस से नरेश पटेल के सीएम कैंडिडेट होने की अटकलें
हालांकि ताजा अटकलें ये अनुमान दे रही हैं कि नरेश पटेल अंततः कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. ये भी कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस के राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर उनको बतौर सीएम कैंडिडेट पेश करें. हालांकि प्रशांत किशोर और नरेश पटेल, दोनों ने ही फिलहाल मामले पर पूरी चुप्पी साध रखी है, इसलिए इस पर कुछ भी टिप्पणी करना अभी जल्दबाजी होगा. आम आदमी पार्टी, अपने साथ गुजरात की राजनीति में एंट्री कर रही अन्य नई पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) की तरह ही कांग्रेस के पतन में से खुद को उठाने का प्रयास कर रही है, जहां तीसरा मोर्चा या तो सफल नहीं हुआ है या फिर 1960 में राज्य के गठन के बाद से अस्थायी व्यवस्था के रूप में ही नजर आया है.
बेशक यह कांग्रेस पार्टी के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं और न ही हाल में गुजरात में प्रवेश कर जीरो से शुरू करने वाली वाली अन्य दो पार्टियों के लिए निराशाजनक, जिनका ग्राफ फिलहाल ऊपर ही जाना है. इस तरह विपक्ष का बंटना या सत्ता विरोधी वोटों के आगे विकल्पों का उभरना – दरअसल भाजपा के लिए ही अच्छी खबर है.
कांग्रेस के लिए तो आप अपशकुन साबित होने जा रही
1995 से राज्य में सत्ता में बनी हुई भाजपा ये अंदाजा होने के बावजूद कि उसे चुनाती देना किसी अन्य पार्टी के लिए आसान नहीं है, भी शांति से बैठने की बजाय लगातार अभियान मोड में ही रहती है और अच्छा नेटवर्क बनाए रखने के साथ ही तमाम हलचल पर भी पूरी निगाह रखती है.आप या एआईएमआईएम को गुजरात चुनावों में कितनी सीट मिलेंगी, ये अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है लेकिन दोनों पार्टियां कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाएंगी – ये तो निश्चित तौर पर कहा जा सकता है. हालांकि, आप से उम्मीद है कि ये भाजपा के कुछ शहरी वोट काट सकती है. वहीं, सूरत नगर निगम में विपक्ष के रूप में उभरने के अलावा, आप अभी तक पूरे गुजरात में बहुत कुछ नहीं कर सकी है लेकिन इन चुनावों और बाद में गांधीनगर में अपने प्रदर्शन से उसने यह साबित कर दिया कि कांग्रेस के लिए वह पक्के तौर पर एक अपशकुन साबित होने जा रही है.
आप ने गुजरात बीजेपी का मुख्यालय घेर कर दिखा दी है अपनी कूवत
अहमदाबाद नगर निगम चुनावों में एआईएमआईएम ने कांग्रेस से सात सीटें छीनी हैं, वहीं इसने गोधरा, मोडासा और भरूच जैसी जिला पंचायतों में 24 सीटों पर जीत हासिल की है. आम आदमी पार्टी की बात करें तो पंजाब में जीत के बाद से बेशक इसका जोश हाई है और सूरत में अपने प्रदर्शन के बाद से यह गुजरात की राजनीति में अपनी अहम जगह बनाने की उम्मीद कर रही है. कांग्रेस के विपरीत, गुजरात में आप को मजबूत करने के लिए पार्टी कार्यकर्ता हर संभव प्रयास कर रहे हैं.
पिछले साल नवंबर में हेड क्लर्क परीक्षा के पेपर लीक का पर्दाफाश कर सत्तारूढ़ भाजपा को परीक्षा रद्द करने और पुलिस जांच शुरू करने के लिए मजबूर करना आप की इसी रणनीति का हिस्सा कहा जा सकता है. जांच में इस घोटाले की पुष्टि हुई थी और बाद में मामले में लगभग 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इस कदम से संतुष्ट नहीं होने पर आप के कार्यकर्ताओं ने गांधीनगर में गुजरात भाजपा मुख्यालय श्री कमलम की घेराबंदी भी कर दी थी जिसके बाद कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था. यह वाकई चौंका देने वाला था कि एक नवोदित राजनीतिक दल गुजरात में भाजपा मुख्यालय पर धावा बोल दे और कांग्रेस ने तो ऐसे किसी कदम को उठाने की कल्पना भी नहीं की होगी.
खैर, इन घटनाओं के बावजूद फैक्ट यही है कि गुजरात में आम आदमी पार्टी इतनी जल्दी कांग्रेस की जगह नहीं ले सकती लेकिन हां, इसे तगड़ा झटका जरूर दे सकती है.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.)

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