सम्पादकीय

पुण्यतिथि पर नमन: गुरु गोबिंद सिंह, दुनिया के पहले क्रांतिकारी

Gulabi
7 Oct 2021 9:33 AM GMT
पुण्यतिथि पर नमन: गुरु गोबिंद सिंह, दुनिया के पहले क्रांतिकारी
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सुधीर कुमार पाण्डेय।

दुनिया में पहला राजा हुआ जिसने धर्म और फ़र्ज़ के लिए अपने 4 बेटों को क़ुर्बान कर दिया और उफ़्फ़ भी ना की. जब बहुत छोटे थे तो अपने पिता को कश्मीरी पंडितों का धर्म बचाने की प्रेरणा दी, पिता का सिर दिल्ली में जहां काटा गया वहां आज शीशगंज गुरुद्वारा मौजूद है. कम उम्र में सिखों के दसवें गुरु बने और आनन्दपुर साहिब में खालसा पंत की स्थापना की. लड़कों को सिंह यानि शेर और लड़कियों को कौर मतलब राजकुमारी की उपाधि दी.

कवि भी थे और शूरवीर भी. चमकौर की ऐतिहासिक लड़ाई में दो बड़े बेटों को अपने हाथ से सजाकर युद्धभूमि में भेजा ये जानते हुए कि मृत्यु तय है. 72 का मुक़ाबला लाखों की सेना से था, दोनो साहिबज़ादे शहीद हुए. गुरुजी की बुज़ुर्ग मां और दो छोटे बेटों को मुग़ल वज़ीर ने बेहद ठंड में बिना गर्म कपड़ों के ऊंची मीनार में क़ैद किया. दो छोटे साहिबज़ादे ज़िंदा चुनवा दिए गए और बुज़ुर्ग मां पोतों की मृत्यु सह ना सकी ख़बर मिलते ही प्राण त्याग दिए.
गुरु गोबिंद सिंह ने चमकौर की ऐतिहासिक लड़ाई में दो बड़े बेटों को अपने हाथ से सजाकर युद्धभूमि में भेजा.
इतना होने के बाद भी गुरु साहिब ने अपने सैनिकों को बोला कि युद्ध में जो मुग़ल सैनिक घायल दिखें उसे पानी पिलाओ उसकी मरहम पट्टी करो. जब 4 जवान बेटों और अपनी सांस को गवां चुकी मां रोने लगी तो गुरुजी ने कहा रोना है तो ज़रूर रो लेकिन इन आंसुओं में हर सैनिक का दर्द शामिल करना जिसने मेरे आदेश पर अपनी जान दे दी, वो भी मेरे बेटे थे.

गुरु साहब ने औरंगज़ेब को ज़फ़रनामा नाम का ख़त लिखा जिसकी दूसरी मिसाल नहीं. चमकौर युद्ध पर उसी में लिखा था-

"चिड़ियों से मैं बाज लड़ाऊं , गीदड़ों को मैं शेर बनाऊं." "सवा लाख से एक लडाऊं तभी गोबिंद सिंह नाम कहाऊं."

गुरुसाहिब ने साधारण बंदा सिंह को एक मुलाक़ात में बहादुर बंदा सिंह जैसा सेनानी बना दिया जिसने बाद में गुरुजी के त्याग का बदला मुग़ल वज़ीर को मारकर लिया. गुरुजी के पंडाल में कोई भी जा सकता था किसी से उसका धर्म जाति नहीं पूछी जाती दुश्मन ने इस उदारता का फ़ायदा उठाया. दुश्मनों ने साज़िश रची गुरुजी पर सोते समय हमला किया गया पर शेर तो सोते समय भी शेर ही होता है, एक हमलावर को तो चोटिल गुरुजी ने ही निपटा दिया दूसरा बाहर मारा गया लेकिन उस गहरे ज़ख़्म ने आज के ही दिन उनकी जान ले ली.
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